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भारतीय क्रिकेट का कायाकल्प करने के लिए पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का नाम इस खेल के इतिहास में स्विर्णिम अक्षरों में हमेशा के लिए दर्ज हो चुका है। क्रिकेट की दुनिया में 'दादा' और 'बंगाल टाइगर' के नाम से मशहूर सौरव गांगुली ने उस समय टीम की कमान संभाली थी,
जब देश के लिए खेलने वाले कई बड़े खिलाड़ियों पर मैच फिक्सिंग में संलिप्त होने का सनसनीखेज आरोप लगा और इस मामले में उनपर कार्रवाई भी हुई। वर्तमान भारतीय क्रिकेट टीम का जो जलवा कायम है, इसकी नींव सौरव गांगुली ने अपनी कप्तानी में रखी थी। 'दादा' के कारण ही भारतीय क्रिकेट को उसके महानतम खिलाड़ियों में शामिल हो चुके महेन्द्र सिंह धौनी मिले। यह दावा सौरव गांगुली के जीवन पर लिखी गई किताब में किया गया है।
'तेज दिमाग वाले विजनरी क्रिकेटर थे सौरव गांगुली'
सौरव गांगुली ने गत 8 जून को अपना 46वां जन्मदिन मनाया। इस मौके पर लेखक अभिरूप भट्टाचार्य ने 'दादा' के जीवन पर लिखी अपनी किताब, ‘विनिंग लाइक सौरव: थिंक एंड सक्सीड लाइक गांगुली’ का अनावरण किया। इस किताब में भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को तेज दिमाग वाला विजनरी क्रिकेटर बताया गया है। सौरव गांगुली ने साल 1999 में मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद सचिन तेंदुलकर की जगह भारतीय टीम की बागडोर संभाली थी और एक जुझारू टीम का गठन किया था। सौरव गांगुली ने ही युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, जहीर खान, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ियों को टीम में स्थान दिया। ‘टीम इंडिया’ और ‘मेन इन ब्लू’ की अवधारणा बनाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
'सौरव गांगुली कप्तान ना होते तो भारत को धौनी ना मिलते'
किताब में बताया गया है कि सौरव गांगुली का मंत्र सरल था, उनका मानना था कि अगर युवा प्रतिभाशाली हैं तो उन्हें खुद को साबित करने का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए। कप्तान के तौर पर गांगुली यह सुनिश्चित करते थे कि युवा खिलाड़ियों को शांत माहौल मिले और एक असफलता के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिए जाने की बजाए अपनी प्रतिभा साबित करने का पर्याप्त मौका मिले। महेंद्र सिंह धौनी सौरव की इस नीति के सबसे बेहतर उदाहरण हैं। जिन्हें पहली चार पारियों में असफल रहने के बावजूद पांचवां मैच खलने का मौका मिला और इस मैच में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 148 रन की पारी खेली।
'सौरव गांगुली की इमरान खान और अर्जुन रणतुंगा से तुलना'
इस एक पारी के बाद धौनी का करियर बदल गया और आगे चलकर वह भारतीय टीम के कप्तान बने। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को 2007 में आईसीसी टी-20 विश्व कप और 2011 में वनडे विश्व कप के अलावा 2013 में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब दिलाया। इस किताब में लिखा गया है, ‘अगर गांगुली ने धौनी पर भरोसा नहीं दिखाया होता, तो भारतीय क्रिकेट टीम को उसका सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर बल्लेबाज और कप्तान नहीं मिलता।’ अभिरूप भट्टाचार्य इससे पहले ‘विनिंग लाइक विराट: थिंक एंड सक्सेस लाइक कोहली’ किताब भी लिख चुके हैं। भट्टाचार्य ने सौरव गांगुली की तुलना क्रिकेट के दो महान कप्तानों पाकिस्तान के इमरान खान और श्रीलंका अर्जुन रणतुंगा से की है, जिन्होंने अपनी-अपनी टीमों का नए सिरे से गठन किया था और उन्हें ऊंचाई पर ले गए।
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