मुन्ना बजरंगी की हत्या |
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लखनऊ. डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई है। रविवार को पेशी के लिए डॉन मुन्ना बजरंगी को झाँसी जेल से बागपत लाया गया था, जहां उसकी हत्या कर दी गई। हत्या की जांच में य माना जा रहा है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था। मुन्ना बजरंगी का दावा है कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं।
मुख्तार अंसारी से गहरे सम्बन्ध
मुन्ना बजरंगी की हत्या में यह बात भी सामने आ आ रही है की उसकी हत्या में मुख़्तार अंसारी का भी हाथ हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक मामला यह बताया जा रहा रही कि मुन्ना बजरंगी ने एक महिला ले किये भाजपा से टिकट माँगा था लेकिन उसे टिकट नहीं मिला जिसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गया था तब से मुन्ना बजरंगी और मुख़्तार अंसारी के बीच में रंजिशें शुरू हो गई थी।
बता दें कि पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई। मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था।
राजनीति में भी उतरा था मुन्ना बजरंगी
एक बार मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की। मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था। जिसके चलते उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे। यही वजह थी कि मुख्तार उसके लोगों की मदद भी नहीं कर रहे थे। बीजेपी से निराश होने के बाद मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा। वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया।कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे। मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे। मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को सपोर्ट भी किया था।
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