भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, जानिए उनके जीवन का सफर |
ANI NEWS INDIA @ www.tocnews.org
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खराब स्वास्थ्य के कारण दिल्ली के एम्स में पिछले 66 दिनों से भर्ती हैं। बुधवार को उनके स्वास्थ्य में अचानक गिरावट आई और इसके बाद से ही यहां पीएम, उपराष्ट्रपति और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के आने का क्रम शुरू हो गया।
तीन बार देश के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी को किसी एक नहीं बल्कि कई ऐसे कदमों के लिए जाना जाता है जिन्होंने देश की दशा और दिशा बदलने में बड़ी भूमिका निभाई। उन्हीं के शासनकाल में देश परमाणु शक्ति संपन्न बना वहीं कारगिल युद्ध में जीत भी उनके प्रधानमंत्री काल में ही मिली थी।
जानिए उनका अब तक का सफर
अटल जी ने करीब 50 वर्षों तक भारतीय संसद के सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दी और अकेले ऐसे नेता हैं जो 4 अलग-अलग प्रदेशों से चुने गए। जवाहर लाल नेहरू के बाद अटल बिहारी बाजपेयी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने लगातार तीन बार प्रधानमंत्री पद संभाला। वह भारत के सबसे सम्माननीय और प्रेरक राजनीतिज्ञों में से एक रहे।
वाजपेयी ने कई विभिन्न परिषदों और संगठनों के सदस्य के तौर पर अपनी सेवाएं दीं। राजनीति के अलावा, वाजपेयी को एक कवि प्रभावशाली वक्ता के तौर पर भी जाना जाता है। एक नेता के तौर पर वह जनता के बीच अपनी साफ छवि, लोकतांत्रिक, और उदार विचारों वाले व्यक्ति के रूप में जाने गए। भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा।
जानिए उनके जीवन का सफर
1924: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर शहर में हुआ।
1939: एक स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस में शामिल हुए।
1947: संघ के पूर्णकालिका कार्यकर्ता बन गए।
1942: भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया।
1951: वाजपेयी जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य और सन् 1951 में गठित राजनैतिक दल ‘भारतीय जनसंघ’ के संस्थापक सदस्य थे।
1957: पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। अटल जी बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे।
1968-73: पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निधन के बाद अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के अघ्यक्ष रहे।
1975-77: इस दौरान अटल जी आपातकाल में अन्य नेताओं के साथ जेल में बंद रहे।
1977-79: मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई।
1980: बीजेएस और आरएसएस के साथियों के साथ मिलकर बीजेपी की स्थापना की। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया।
1984: इस साल के चुनाव में भाजपा महज 2 सीटों तक सिमट गई, इसके बाद उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए 1989 के आम चुनाव में पार्टी को 88 सीटों पर जीत दिलवाई।
1991 : अटल जी के नेतृत्व में भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 120 सीटों पर जीत दर्ज की।
1992: देश की उन्नति में योगदान के लिए पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया।
1993: संसद में विपक्ष के नेता बने और इसी साल मुंबई में उन्हें भाजपा ने अपना प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया।
1996: पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, बहुमत नहीं मिलने के कारण उन्होंने 13 दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई।
1998: दूसरी बार भी देश के प्रधानमंत्री बने। इस बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उटल जी ने राजग बनाया जिसमें कई दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई।
1998: सत्ता में आने के कुछ महीनों बाद ही मई में उन्होंने पोकरण में परमाणु परीक्षण करते हुए देश को परमाणु शक्ति बनाया।
1998: 13 महीने बाद ही एनडीए के समर्थक दलों एआईएडीएम ने समर्थन वापिस ले लिया और अटल जी की सरकार एक वोट से गिर गई।
1999: भारत और पाकिस्तान के बीच सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई।
1999: हालांकि, इसके कुछ समय बाद ही पाकिस्तान ने घुसपैठ की जिसका नतीजा कारगिल युद्ध के रूप में सामने आया। इस युद्ध में भारतीय सेना की जीत ने उन्हें और मजबूत किया।
1999: देश में फिर से चुनाव और और भाजपा और ज्यादा ताकतवर बनकर उभरी। वाजपेयी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने और दिल्ली से लाहौर के बीच बस सेवा संचालित कर इतिहास रचा।
2004: देश में लोकसभा चुनाव हुआ और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शाइनिंग इंडिया का नारा देकर चुनाव लड़ा। इन चुनावों में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला।
2005: दिसंबर माह में राजनीति से संन्यास ले लिया।
2015: देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।
पुरस्कार और सम्मान
वर्ष 1992 में देश के लिए अपनी अभूतपूर्व सेवाओं के चलते उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया।
वर्ष 1993 में उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि का सम्मान प्राप्त हुआ।
वर्ष 1994 में अटल बिहारी वाजपेयी को लोकमान्य तिलक अवार्ड से सम्मानित किया गया
वर्ष 1994 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान।
वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया।
वर्ष 2015 में बांग्लादेश द्वारा ‘लिबरेशन वार अवार्ड’ दिया गया।
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