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बालाघाट। एक आदिवासी नाबालिग का अपहरण कर उससे सामूहिक दुष्कर्म और कमरे में बंद कर देह शोषण करवाने के मामले में अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के विशेष न्यायाधीश राजाराम भारतीय की अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई है।
अदालत ने मुकेश उर्फ आशीष (25) पिता पुनाजी राहुलकर खुड़सोड़ी निवासी और शहनवाज (28) पिता सलीम खान कोसमी निवासी को दुष्कर्म के मामले में 20-20 वर्ष व अपहरण के मामले में 7-7 साल की सजा व 19-19 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
इसी प्रकार कारीबाई उर्फ सकुनबाई (55) पति नत्थूलाल लोधी हीरापुर भरवेली निवासी, गीता (42) पति दिलबखत कटरे लालगपुर रामपायली निवासी, पुष्पा (46) पति रामेश्वर जगने आवासटोला वारासिवनी निवासी, सुनीता (41) पति विजय मसखरे गर्रा आवासटोला निवासी, कविता (40) पति गेंदलाल करवती बैहर को देह व्यापार कराने में 12 वर्ष व बंधक बनाने के मामले में 7 वर्ष के सश्रम कारावास और 15-15 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
यह है मामला
15 वर्षीय नाबालिग के साथ उसका भाई गलत काम करता था। इसके कारण वह 3 मई 2016 को घर से निकल कर रेलवे स्टेशन में रुकी थी। 5 मई को जब नाबालिग रेलवे स्टेशन से कोसमी रोड पर जा रही थी, इसी दौरान शहनवाज और आशीष राहुलकर जान से मारने की धमकी देकर बाइक से लौंगुर के जंगल में उसे ले गए और दोनों ने सामूहिक दुष्कर्म किया।
इसके बाद युवकों ने नाबालिग को कारीबाई के यहां पर कमरे में बंद कर रखा। नाबालिग से यहां देह व्यापार कराया जाता रहा। किसी तरह नाबालिग 11 मई की रात को मौका पाकर कारीबाई के घर से निकल कर भरवेली तक पहुंची और पुलिस को सूचना दी। इसके बाद 12 मई को पुलिस ने मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया था।
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