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मुंबई: सितंबर 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में एक विशेष अदालत ने मंगलवार को लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद, श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) और आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप तय किए.
एनआईए अदालत ने कर्नल पुरोहित की याचिका खारिज करते हुए सात लोगों के खिलाफ आतंकी षड्यंत्र, हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप तय किए.राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत के जज विनोद पढ़ालकर ने आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं. गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत आरोपियों पर आतंकवादी कृत्य का हिस्सा रहने और भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश और हत्या के आरोप तय किए गए.
आरोप तय करना एक प्रक्रिया होती है जिसके बाद आपराधिक मामले में मुकदमा शुरू होता है.पुरोहित और साध्वी के अलावा मामले में दूसरे आरोपी मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय रहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी हैं. जज ने जब आरोपियों के खिलाफ आरोप पढ़े तो उस वक्त सभी आरोपी अदालत में मौजूद थे.
इससे पहले मामले में आरोपी कर्नल पुरोहित ने याचिका दायर कर आरोप तय नहीं करने की मांग की थी. पुरोहित के वकील ने एनआईए कोर्ट से कहा कि वो बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने वाले हैं इसलिए अभी आरोप न तय किए जाएं. हालांकि कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और सात लोगों के खिलाफ आरोप तय किया.
कर्नल पुरोहित ने बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर आरोप तय करने से रोकने की मांग की थी. हालांकि हाईकोर्ट ने भी इसे खारिज कर दिया था.
वहीं मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का कहना है कि वो निर्दोष हैं और जल्द ही सच सामने आ जाएगा. उन्होंने कहा, ‘इससे पहले एनआईए ने मुझे क्लीन चिट दी थी. अब मेरे खिलाफ आरोप तय किए गए हैं. ये कांग्रेस के द्वारा एक षड्यंत्र था लेकिन एक दिन मैं निर्दोष साबित होउंगी क्योंकि हमेशा सत्य की जीत होती है.’
मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में लगाए गए बम में विस्फोट किया गया जिसमें छह लोगों की मौत हो गई जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. बम धमाके को 10 साल हो गए लेकिन अब तक आरोप तय नही हो पाया था. इस मामले में एटीएस ने 21 जनवरी 2009 को पहला आरोप पत्र दायर किया. इसमें 11 आरोपी गिरफ्तार किए गए और 3 आरोपी फरार दिखाए गए. गिरफ्तार आरोपियों में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे. बाद में इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई.NIA ने 31 मई 2016 को नई चार्जशीट फाइल की थी.
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