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अ. भा. कांग्रेस कमेटी के सदस्य के. के. मिश्रा ने आज सरकार व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की "व्यक्तिगत ब्रांडिंग" करने का जिम्मा निभा रहे "जनसम्पर्क विभाग और माध्यम" (जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री हैं) पर दूसरा बड़ा हमला बोलते हुए पुनः अपने उस आरोप को दोहराया है कि ये दोनों ही उपक्रम विधानसभा चुनाव को लेकर जारी आचार संहिता का सीधा उल्लंघन करते हुए भाजपा के पक्ष में प्रचार-प्रसार का जिम्मा संभाले हुए हैं।
मुख्यमंत्री जी के प्रमुख सचिव,जनसंपर्क श्री एस.के.मिश्रा व मुख्यमंत्री जी के ही सगे भानजी दामाद तथा संचालक,जनसंपर्क श्री आशुतोष प्रताप सिंह बख़ूबी इस भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं, जिसकी चुनाव आयोग में कई गई शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं होना कई शंका-कुशंकाओं को जन्म दे रहा है!
अपने आरोपों का खुलासा करते हुए मिश्रा ने कहा कि रविवार को भाजपा के "समृद्ध मध्यप्रदेश" अभियान के शुभारम्भ के दौरान प्रचार-प्रसार हेतु पूरे राज्य में निकले प्रचार रथों का जिम्मा उक्त दोनों उपक्रमों से पिछले कई वर्षों से करोड़ों रु.से उपकृत किये जा रहे श्री संजय प्रकट और श्री तुषार पांचाल को सौंपा गया है। श्री पांचाल की ही कंपनी "सिल्वर टच", जो वर्षों से मुख्यमंत्री जी की पब्लिसिटी भी कर रही है! इस कंपनी का दफ्तर भी सरकारी "नर्मदा - भवन" से संचालित हो रहा है।एक निजी कंपनी को सरकारी भवन में दफ्तर क्यों,किसलिए दिया गया है?
भाजपा के पक्ष में प्रचार-प्रसार कर रहे इन रथों का भुगतान उक्त उपक्रमों के माध्यम से किया जाएगा क्योंकि सरकार के कामों के प्रचार- प्रसार हेतु जो कोटेशन जारी किए गए थे, उसमें इस अघोषित शर्तों को भी शामिल किया गया था।इन रथों में प्रयुक्त एलइडी टीवी भी वही हैं, जिनकी कुछ दिनों पूर्व माध्यम ने बल्क खरीदी की थी, चूंकि माध्यम के ऑडिट की अनिवार्यता नहीं है। लिहाजा, माध्यम के द्वारा कहीं भी, किसी प्रकार के कितनी राशि के भुगतान में कोई समस्या नहीं आती है।
मिश्रा ने पुनः कहा कि भाजपा के पक्ष में इस महते दायित्व का निर्वहन श्री एस.के.मिश्रा व आशुतोष प्रताप सिंह ही कर रहे हैं।यही नहीं कांग्रेस व कांग्रेस नेताओं की खबरें प्रकाशित नहीं होने का दबाव भी ये ही अधिकारीगण बनाते हैं।यदि इनके कॉल डिटेल्स/ वाट्स एप /एसएमएस संदेशों की जांच कर ली जाए तो उक्त आरोपों की स्वतः पुष्टि हो जाएगी।
मिश्रा ने नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह के कल चुनाव आयोग को की गई प्रामाणिक शिकायत को गंभीर बताते हुए कहा कि यह शिकायत सरकार के मुखिया द्वारा राज्य की जनता के साथ कि गई स्पष्ट धोखाधड़ी है।लिहाजा,चुनाव आयोग को उसे प्रदत्त अधिकारों के अनुपालन में निष्पक्ष व दिखाई देने वाली कार्यवाही करना चाहिए ताकि आयोग के प्रति जनविश्वास खंडित न हो।
मिश्रा ने आयोग से यह भी आग्रह किया है कि जब भाजपा सांसद श्री भागीरथ प्रसाद की आईपीएस पुत्री शिमाला प्रसाद, भिंड कलेक्टर आशीष कुमार गुप्ता हटाये जा सकते हैं तो भाजपा के लिए नियम विरुद्ध कार्य करने के स्पष्ट प्रमाणों के बाद अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी प्रति नियुक्ति पाकर प्रमुख सचिव,जन संपर्क का जिम्मा संभाल रहे श्री एस. के. मिश्रा व संचालक, जनसंपर्क के रूप में कार्य कर रहे सगे भानजी दामाद श्री आशुतोष प्रताप सिंह को चुनाव की निष्पक्षता बरकरार रखने के लिए नहीं हटाये जाने को लेकर आयोग मजबूर क्यों है?
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