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गुजरात में बनी लौह पुरुष सरदार पटेल की प्रतिमा पूरे देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है। आपको बता दें कि सरदार पटेल की प्रतिमा तकरीबन 600 फीट ऊंची है तथा यह संसार में बनी अब तक की सबसे बड़ी प्रतिमा है।
हम सभी जानते हैं सरदार वल्लभ भाई पटेल ने संपूर्ण देश को एक करने के लिए कितनी कड़ी मशक्कत की थी। यही वजह है कि मोदी सरकार ने उनकी याद में यह एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है। इसके साथ ही भाजपा के साथ तमाम पाटीदार लोगों का समर्थन भी जुड़ गया है।
हालांकि इसी बीच सरदार पटेल की प्रतिमा के आसपास रह रहे गांव के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी को एक खुली चिट्ठी लिखी है। जिसमें उन्होंने कहा है कि वह भले यहां आकर सरदार पटेल की प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे, लेकिन सभी गांव वासी उनका स्वागत नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने जितना पैसा इस प्रतिमा पर खर्च किया है, उतना पैसा यहां के किसानों पर खर्च कर दिया जाता। तो किसान धनी हो जाते। इसके अलावा कई किसानों ने यह कहा कि नर्मदा के किनारे रहने के बावजूद उनके खेतों में पानी नहीं पहुंचता। इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के तमाम दावों के बावजूद यहां के किसान की स्थिति अभी भी दयनीय है। लेकिन भाजपा सरदार पटेल की प्रतिमा को लेकर इतना उत्साहित है कि उसे किसानों का दर्द नजर ही नहीं आता।
वहीं सरदार पटेल की प्रतिमा को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार का अलग ही तर्क है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार का मानना है कि आजादी की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल को जिस तरह से पिछले 70 वर्षों में नजरअंदाज किया गया है। उससे देश के तमाम लोग काफी आहत हुए हैं तथा यह प्रतिमा बनवा कर उन्हें विशेष सम्मान प्रदान किया गया है। वहीं राज्य सरकार ने अपना तर्क दिया है कि सरदार पटेल की प्रतिमा को देखने के लिए प्रतिवर्ष तकरीबन 25 लाख लोग आएंगे। इसके चलते यहां के स्थानीय लोग एक बेहतर रोजगार प्राप्त कर पाएंगे। इसके अलावा सरकार ने दिया कि पर्यटन के मामले में गुजरात काफी आगे है, इससे उम्मीद की जा सकती है कि इस प्रतिमा को देखने वालों की संख्या इससे और भी कहीं ज्यादा हो सकती है। ऐसे में वहां के स्थानीय लोग अधिक पर्यटन होने की वजह से एक उत्तम रोजगार प्राप्त कर पाएंगे।
हालांकि सरदार पटेल की प्रतिमा को लेकर हम जिसकी बात सुनते हैं, उसी की बात सच लगने लगती है। क्योंकि इस प्रतिमा की हकीकत और वहां पर रह रहे स्थानीय लोगों की हकीकत में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन आपके अनुसार क्या राज्य सरकार और केंद्र सरकार को सरदार पटेल की प्रतिमा पर इतना खर्चा करना चाहिए था तथा क्या किसानों की मांगे सही हैं?
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