स्वयंभू प्रदेश अध्यक्ष शलभ भदौरिया की उलटी गिनती शुरू
स्वयंभू
प्रदेश उपाध्यक्ष शरद जोशी के विरूध्द मामला एकपक्षीय हुआ 20 लाख से यादा
की अफरा-तफरी के मामले में ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार भी घसीटे गए
म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ द्वारा धोखाधड़ी
भोपाल / श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया यूं तो फर्जी काम काज और धोखाधड़ी करने में माहीर हैं इसका प्रमाण ई।ओ.डब्ल्यू में दर्ज प्रकरण और चल रही जांच हैं। ई.ओ.डब्ल्यू में शलभ भदौरिया द्वारा श्रमजीवी पत्रकार का फर्जी आर.एन.आई. प्रमाण पत्र बनाने का प्रकरण है। अभी इस प्रकरण की जांच के बाद कार्रवाई चल ही रही थी कि एक और धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस मामले ने एक नई बात उजागर कर दी कि म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ आजकल दो नावों पर सवारी कर रहा है मतलब म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ एवं एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन। वास्तविकता यह है कि एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन एक अलग संस्था है लेकिन म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ ने इस संस्था कि नाम से भी एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी से बीस हजार रूपये का चेक प्राप्त कर उक्त संस्था के नाम से खाता खोलकर उपरोक्त राशि का आहरण कर लिया। जो अपराधिक कृत्य और धोखाधड़ी का मामला है। कोई भी संस्था कानूनन यदि अपनी संस्था का नाम हिन्दी में उपयोग करती है तो उसे अंग्रजी में भी उसी नाम का उपयोग करना पड़ेगा जो उसका हिन्दी में नाम है। वह संस्था उसे अंग्रजी में ट्रांसलेट नहीं कर सकती। लेकिन एन.सी.एल. संस्था सिंगरोली से चेक क्र मांक. 395204 राशि बीस हजार दिनांक 20-11-07 एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के नाम से जारी किया गया उसका भुगतान प्राप्त कर लिया। सिंगरोली में मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के पदाधिकारियों ने अपने प्रदेश अध्यक्ष शलभ भदौरिया के निर्देशन में मात्र 20 हजार का भुगतान एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के नाम से बैंक में खाता खोल नगद प्रात्त कर लिया। उक्त चेक को म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ की सिंगरोली इकाई ने अध्यक्ष अम्बिका प्रसाद गोस्वामी ने चेक बैंक खाते में जमा किया तथा राशि का आहरण किया। रकम के लेन-देन में स्थानीय कोयला उघोग नार्दर्न कोल फील्ड्स लि. सिंगरोली के अधिकारियों तथा बैंक के अधिकारियों की भूमिका भी संदिगध हैं। म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के पदाधिकारियों के इस धोखाधड़ी के कृत्य से बैंक कर्मचारी एवं एन।सी.एल के कर्मचारी परेशानी में हैं।
भोपाल / श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया यूं तो फर्जी काम काज और धोखाधड़ी करने में माहीर हैं इसका प्रमाण ई।ओ.डब्ल्यू में दर्ज प्रकरण और चल रही जांच हैं। ई.ओ.डब्ल्यू में शलभ भदौरिया द्वारा श्रमजीवी पत्रकार का फर्जी आर.एन.आई. प्रमाण पत्र बनाने का प्रकरण है। अभी इस प्रकरण की जांच के बाद कार्रवाई चल ही रही थी कि एक और धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस मामले ने एक नई बात उजागर कर दी कि म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ आजकल दो नावों पर सवारी कर रहा है मतलब म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ एवं एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन। वास्तविकता यह है कि एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन एक अलग संस्था है लेकिन म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ ने इस संस्था कि नाम से भी एक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी से बीस हजार रूपये का चेक प्राप्त कर उक्त संस्था के नाम से खाता खोलकर उपरोक्त राशि का आहरण कर लिया। जो अपराधिक कृत्य और धोखाधड़ी का मामला है। कोई भी संस्था कानूनन यदि अपनी संस्था का नाम हिन्दी में उपयोग करती है तो उसे अंग्रजी में भी उसी नाम का उपयोग करना पड़ेगा जो उसका हिन्दी में नाम है। वह संस्था उसे अंग्रजी में ट्रांसलेट नहीं कर सकती। लेकिन एन.सी.एल. संस्था सिंगरोली से चेक क्र मांक. 395204 राशि बीस हजार दिनांक 20-11-07 एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के नाम से जारी किया गया उसका भुगतान प्राप्त कर लिया। सिंगरोली में मध्य प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के पदाधिकारियों ने अपने प्रदेश अध्यक्ष शलभ भदौरिया के निर्देशन में मात्र 20 हजार का भुगतान एम.पी. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के नाम से बैंक में खाता खोल नगद प्रात्त कर लिया। उक्त चेक को म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ की सिंगरोली इकाई ने अध्यक्ष अम्बिका प्रसाद गोस्वामी ने चेक बैंक खाते में जमा किया तथा राशि का आहरण किया। रकम के लेन-देन में स्थानीय कोयला उघोग नार्दर्न कोल फील्ड्स लि. सिंगरोली के अधिकारियों तथा बैंक के अधिकारियों की भूमिका भी संदिगध हैं। म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ के पदाधिकारियों के इस धोखाधड़ी के कृत्य से बैंक कर्मचारी एवं एन।सी.एल के कर्मचारी परेशानी में हैं।
एम.पी. श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) के नाम पर लिये शलभ ने लाखों के विज्ञापन
भोपाल/ईश्वर पर विश्वास करने वाले लोग कहते हैं कि झूठ एवं फरेव के पैर नहीं होते परन्तु इस युग में झूठे एवं फरेवी का बोल वाला होता है और उसे मदद भी मिलती है परन्तु जिन्हें न्याय एवं न्यायाधीश पर भी भरोसा है उनका साथ ईश्वर देता है। मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया चर्चा में आये बिना बुलेटिन के लिये खबर बनने से कैसे रूक सकते है इनके कारनामें ही ऐसे है कि खबर अपने आप बनती है। शलभ भदौरिया के कारनामों के दो उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं जिनको पढ़कर पत्रकारों एवं अधिकारियों राजनेताओं को उनसे सावधान हो जाना चाहिए बरना कोई भी कानून के फंदे में कभी भी फंस सकता है क्योंकि यह व्यक्ति स्वयं कानून के फंदे में फं सा हुआ है रजिस्ट्रार भारत के समाचार पत्र के द्वारा जारी समाचार पत्रों को जारी प्रमाण पत्र को फर्जी तैयार कर कई तरह के लाभ अर्जित करने पर 420 के सहित कई धाराओं में प्रकरण पंजीबध्द है। शलभ भदैरिया ने एम.पी. श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) जिसे राय सरकार के जनसंपर्क विभाग ने 31-3-03 से 15-10-2003 तक लगभग चार लाख के चैक प्रदान किया। शलभ भदौरिया ने तो जो किया वह तो जांच में आयेगा ही परन्तु जनसंपर्क विभाग के वो अधिकारी भी जांच के घेरे में आयेगें जिन्होंने विज्ञापन नीति की अवहेलना कर अनुचित लाभ दिया एम.पी. श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) के नाम पर जनसंपर्क विभाग ने (1) चैक क्रमांक 818060-दिनांक 31-03-03 को रूपये 6826600 (2) 818326 दिनांक 30-5-03 को रूपये 80000.00 (3) चैक क्र. 818763 दिनांक 11-08-03 को रू. 1,77,348 एवं चैक क्र. 819512 दिनांक 15-10-03 को रूपये 30,000.00 के चैक प्रदान किये। जनसंपर्क विभाग से सूचना के अधिकार के तहत विभाग के विज्ञापन कोड क्रमांक 8117 जो कि एम.पी. श्रमजीवी पत्रकार संघ (एस) का है कि जानकारी पर यह तथ्य उजागर हुये। मजेदार बात यह है जिस बैंक में ये चैक जमा किये गये उसने भी इस फर्जीबाड़े में सहयोग किया। संस्थनों के खाते खोलने के लिये संस्था का विधान, संस्था का पंजीयन एवं साधारण संभा की बैठक की कार्यवाही की सत्यापित प्रति जमा कराने होते है। जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन नीति कहती है कि पंजीयत संस्था को वर्ष में एक बार ही स्मारिका प्रकाशन पर विज्ञापन दिये जा सकते हैं परन्तु सब कुछ गोलमाल होता रहा। प्रस्तुत है विज्ञापन आदेश की प्रति अवलोकनार्थ।
शलभ भदौरिया ने श्रम न्यायालय को धोखा दिया
भोपाल/
मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के सदस्यों ने संघ का विधान देखा नहीं
होगा और देखा भी होगा तो मूल विधान नही। संघ का पंजीयन क्रमांक 4500 है जो
वर्ष 1992 दिसंबर की तीन तारीख को किया गया। इस समय नाम मध्यप्रदेश
श्रमजीवी पत्रकार संघ भोपाल था। नियत में खोट आती है तो व्यक्ति गलत या
फर्जी काम करता है संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया ने पत्रकार भवन पर कब्जा
करने के लिए संघ के विधान में संशोध किया यह संशोधन किया 27 अगस्त 1998 को।
इस संशोधन में संघ के नाम को अंग्रेजी में एम.पी.वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन
भी संशोधन किया जायेगा। परन्तु दुर्भागय शलभ का कि रजिस्ट्रार व्यावसायिक
संघ ने उसे अमान्य कर दिया । मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के संशोधन
विधान की सत्यापित प्रति वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के कार्यालय में उपलब्ध
है। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के पंजीयन से घबराकर शलभ भदौरिया ने एक वाद
औघोगिक न्यायालय खण्डपीठ भोपाल के माननीय न्यायाधीश श्री जे. एस. सेंगर के
समक्ष विपक्ष अधिवक्ता श्री शरद शुक्ला के द्वारा प्रस्तुत किया जिसमें
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के पंजीयन को निरस्त करने का अनुरोध किया ।
माननीय न्यायालय के न्यायाधीश ने पहली ही सुनवाई में उक्त अपील को प्रचलन
योगय न होने के कारण निरस्त कर दी। माननीय न्यायालय के आदेश क्रमांक 1230
दिनांक 19 अगस्त 2008 जब वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन को प्राप्त हुआ और उसे
पढ़ा, देखा तब ऐसा लगा कि शलभ भदौरिया ने अपने अधिवक्ता को अंधेरे में रखकर
फसाना चाहते थे क्योंकि जो आदेश कि प्रति प्राप्त हुई है। उसमें मध्यप्रदेश
श्रमजीवी पत्रकार संघ (म.प्र. वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ) लिखा है श्रम
न्यायालय का आदेश पत्रकारों अधिकारियों के अवलोकनार्थ प्रस्तुत है।
ne apne portal ye news laga rakhi hai
http://wjumedia.blogspot.com/2009/12/blog-post_5917.html
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