हाईकोर्ट ने विशेष न्यायधीश पर प्रशासनिक कार्यवाही
के दिये आदेश
विधि के विरूद्ध पारित निर्णय के खण्ड विशेष को किया
अपास्त
बैतूल // भारत
सेन
मप्र उच्च न्यायालय, जबलपुर ने दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 में विशेष शक्तियों
का प्रयोग करते हुए अत्याचार निवारण कानून के तहत स्थापित विशेष न्यायालय, बैतूल द्वारा
परित निर्णय को दोषपूर्ण पाकर निर्णय के विशेष खण्ड को अपास्त करते हुये विशेष न्यायधीश
आरके जोशी के विरूद्ध प्रशासनिक कार्यवाही के आदेश रजिस्टार जनरल को दिये। उच्च न्यायालय
ने यह आदेश प्रमोद और सोनम की ओर से दाखिल यचिका पर सुनवाई करते हुए दिए जिनके विरूद्ध
विशेष न्यायालय में विचाराधीन अपराध में सह आरोपी बनाये जाने का आवेदन पत्र सुनवाई
के दौरान पेश किया गया और सुनवाई पूरी होने तक लम्बित रहा। याचिकाकत्र्ता ने विशेष
न्यायधीश द्वारा पारित निर्णय के विशेष भाग को हटाने के लिए धारा 482 के तहत याचिका
दाखिल की थी।
विशेष न्यायालय,
बैतूल के विशेष प्रकरण क्र0 6/10 में आरोपी महादेव के विरूद्ध अपराध धारा 376(1),
506(-2), 366 भादवि और अत्याचार निवारण कानून की धारा 3(2)(5) के साथ अतिरिक्त धारा
376(2)(जी) के आरोप लगाये गये। मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकत्र्ता प्रमोद और
सोनम को सहआरोपी बनाये जाने के लिए धारा 319 का आवेदन पत्र इस आधार पर पेश किया गया
कि सामुहिक दुराचार के अपराध में आरोपी महादेव के साथ याचिकाकत्र्ता भी अपराध का समान
आशय रखते थे, इसलिए उन्हे भी आरोपी बनाया जाये।
विशेष न्यायधीश आरके जोशी ने 31 मई 2011 को अपने निर्णय के खण्ड 38 में प्रमोद
और सोनम के विरूद्ध अपराधिक विचारण शुरू किया जाने का लिखा था।
हाईकोर्ट
ने एमसीसी क्र0 7331/2011 में याचिकाकत्र्ता के अधिवक्ता के धारा 319 पर तर्क को सुना।
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 का प्रयोग न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण में उस
व्यक्ति को सहआरोपी बनाने में किया जाता हैं जो कि सुनवाई में आरोपी नही हैं। न्यायालय
को अपराध में उस व्यक्ति की भूमिका मालूम पड़ती हैं तब न्यायालय उसके विरूद्ध विरूद्ध
सुनवाई की प्रक्रिया चालु कर सकता हैं।
हाई
कोर्ट के न्यायधीश एन के गुप्ता ने यह आपत्तिजनक पाया कि विशेष न्यायधीश ने प्रमोद
और सोनम को सहआरोपी बनाये जाने का धारा 319 का आवेदन पत्र को प्रकरण के निराकरण तक
लम्बित रखा और जब 319 का सुनवाई का क्रम समाप्त हो गया, इस तरह का निर्णय पारित कर
दिया। इससे आवेदनकत्र्ता को संरक्षण दिया जाना प्रतीत होता हैं। इस तरह का कोई आदेश
पारित नही किया जा सकता क्योंकि धारा 319 के प्रावधान लम्बित प्रकरण में लागू होते
हैं। हाईकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित निर्णय के संबंधित भाग को कानून के
विरूद्ध पाकर उसका समर्थन नही किया और दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दाखिल
याचिका को स्वीकार करते हुए निर्णय के खण्ड 38 के भाग को अपास्त कर दिया। विशेष न्यायधीश
आरके जोशी के विरूद्ध प्रशासनिक कार्यवाही के लिए आदेश की प्रति रजिस्टार जनरल को भेजी
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