Friday, January 20, 2012

अभिव्यक्ति और धर्म की आजादी के मायने!

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
toc news internet channal

राजस्थान की राजधानी जयपुर में ‘जयपुर फेस्टीवल’ में शीर्ष साहित्यकारों को आमन्त्रित किया गया था, जिनमें भारत मूल के ब्रिटिश नागरिक सलमान रुश्दी को भी बुलावा भेजा गया| सलामन रुश्दी की भारत यात्रा के विरोध में अनेक मुस्लिम संगठन आगे आये और सरकार द्वारा उनके दबाव में आकर सलमान रुश्दी को भारत बुलाने का विचार त्याग दिया गया|

इस बात को लेकर देशभर में धर्मनिरपेक्षता, धर्म की आजादी की रक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की आजादी के विषय पर अनेक प्रकार की बातें सामने आ रही हैं| हालांकि मूल रूप से दो पक्ष हैं! एक मुस्लिम पक्ष है, जो सलमान रुश्दी के विचारों को इस्लाम के विरोध में मानता है और उनका मानना है कि सलमान रुश्दी ने इस्लाम के बारे में जो कुछ कहा है, उससे इस्लाम के अनुयाई खफा हैं| ऐसे में यदि सलमान रुश्दी को भारत में आने दिया गया तो इस्लाम के अनुयाई इससे आहत होंगे| दूसरा पक्ष कहता है कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है, जिसमें हर व्यक्ति को हर धर्म या हर विषय पर अपनी बात कहने की आजादी है| ऐसे में देश के करीब पन्द्रह फीसदी मुसलमानों के मुठ्ठीभर लोगों के विरोध के कारण संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी को नहीं छीना जा सकता है|

कहा यह जा रहा है कि सलमान रुश्दी का विरोध करने वालों का विरोध करने वाले मूलत: कट्टरपंथी हिन्दूवादी लोग हैं| जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि उन्होंने भारतीय नागरिक और प्रख्यात चित्रकार एम एफ हुसैन की अभिव्यक्ति की आजादी का इतना विरोध किया कि हुसैन को अन्तत: भारत छोड़ना पड़ा और उन्होंने जीवन की अन्तिम सांस भारत से बाहर ही ली|

ऐसे में कुछ अन्य लोगों का कहना है कि सलमान रुश्दी के साथ खड़े दिखाई देने वाले लोग केवल मुस्लिम कौम की खिलाफत करने के लिये अभिव्यक्ति की आजादी की बात कर रहे हैं| अन्यथा उनके मन में संविधान या अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के प्रति किसी प्रकार का कोई सम्मान नहीं है| इन हालातों में हमें इस बात की पड़ताल करनी होगी कि इस बारे में हमारा संविधान क्या कहता है?

संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (क) भारत के सभी नागरिकों को वाक-स्वतन्त्रता और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का मूल अधिकार प्रदान करता है| जिसके आधार पर सलमान रुश्दी के पक्ष में दलीलें दी जा रही हैं, उन्हें अपने विचार व्यक्त करने से रोका जा रहा है| इसमें सबसे पहली बात तो यह है कि सलमान रुश्दी भारत का नागरिक ही नहीं है| अत: तकनीकी तौर पर उन्हें यह मूल अधिकार प्राप्त ही नहीं है| जबकि भारत का नागरिक होने के कारण एमएफ हुसैन को उक्त मूल अधिकार प्राप्त था, फिर भी उन्हें भारत छोड़ना पड़ा|

दूसरी और महत्वूपर्ण बात यह है कि इसी अनुच्छेद 19 के भाग (2) में साफ किया गया है कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता अबाध नहीं है| सरकार भारत की प्रभुता और अखण्डता, सुरक्षा, विदेशों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार, सदाचार के हितों में और न्यायिक अवमानना, अपराध करने को उकसाना आदि स्थिति निर्मित होने की सम्भावना हो तो अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर जरूरत के अनुसार प्रतिबन्ध भी लगा सकती है|

ये तो हुई अभिव्यक्ति के कानून की बात| निश्‍चय ही यह बात प्रमाणित है कि किसी को भी निर्बाध या अबाध आजादी या स्वतन्त्रता उसे तानाशाह बना देती है| अत: समाज या कानून या संविधान हर बात की सीमा का निर्धारण करता है| इसी बात को ध्यान में रखते हुए देश के दूरदर्शी संविधान निर्माताओं ने बोलने की आजादी देने के साथ-साथ साफ कर दिया कि जहॉं आप दूसरे की अभिव्यक्ति की आजादी में हस्तक्षेप करते हैं, वहीं से आपकी खुद की सीमा शुरू हो जाती है|

इस बात को अनेक बार अदालत ने भी गम्भीरतापूर्वक विचार करके निर्धारित किया है| लोक व्यवस्था के नाम पर सलमान रुश्दी को रोका गया है, जिसके बारे में बिहार राज्य बनाम शैलबाला, एआईआर, 1952 सुप्रीम कोर्ट, पृष्ठ-329 पर सर्वोच्च न्यायालय ने साफ किया है कि संविधान के अनुच्छेद 19 (2) में 'लोक व्यवस्था' पदावलि शब्द के परिणामस्वरूप देश में लोक व्यवस्था के साधारण भंग होने या अपराध करने के लिये उकसाने की सम्भावना के आधार पर भी नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है|

जहॉं पर राज्य सुरक्षा या लोकशान्ति और कानून व्यवस्था का मामला भी साथ में जुड़ा हो वहॉं पर तो स्थिति और भी गम्भीर मानी जानी चाहिये| एमएफ हुसैन और सलमान रुश्दी दोनों के ही मामले में संविधान के उपरोक्त उपबन्ध सरकार को यह अधिकार देते हैं कि सरकार ऐसे लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी को छीन ले| सलमान रुश्दी के मामले में तो संविधान में कोई रुकावट है ही नहीं, क्योंकि जैसा कि पूर्व में लिखा गया है कि सलमान रुश्दी भारत का नागरिक ही नहीं है|
लेकिन अनेक अन्तर्राष्ट्रीय ऐसे समझौते तथा कानून हैं, जो अभिव्यक्ति की आजादी को हर देश में संरक्षण देने के लिये सभी सरकारों को निर्देश देते हैं| जिन पर भारत ने भी हस्ताक्षर किये हुए हैं| मानव अधिकारों में बोलने की आजादी को भी शामिल किया गया है| इसलिये सलमान रुश्दी की अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को संरक्षण देना भी भारत का अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिमानों के अनुसार अनिवार्य दायित्व है| बशर्ते भारत के संविधान में इसकी स्वीकृति हो| यद्यपि इसके अनुसार भी भारत बाध्य नहीं है|

इन हालातों में भारत सरकार को अपने देश के हालात, देश के संविधान, लोक-व्यवस्था और शान्ति को बनाये रखने को प्राथमिकता देना पहली जरूरत है| इस प्रकार से सलमान रुश्दी को भारत आने से रोकने के निर्णय से किसी भी भारतीय या अन्तर्राष्ट्रीय कानून या समझौते का उल्लंघन नहीं होता है| एमएफ हुसैन के मामले में भी यही स्थिति थी|

हर व्यक्ति को अपनी आजादी के साथ-साथ दूसरों की आजादी का भी खयाल रखना होगा| तब ही संविधान या अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा सम्भव है| अन्यथा हमें जो-जो भी स्वतन्त्रताएँ या मूल अधिकार प्राप्त हैं, उन्हें न्यून या समाप्त करने या उन पर निर्बन्धन लगाने के लिये सरकारों और न्यायालयों के पास अनेक कारण होंगे| जिन्हें गलत ठहरा पाना असम्भव होगा|

इसी प्रकरण में एक अन्य पहलु भी समाहित है, वह यह कि संविधान देश के लोगों को धार्मिक स्वतन्त्रता का भी मूल अधिकार देता है| जिसके अनुसार इस्लाम के अनुयाईयों का कहना है कि उनको सलमान रुश्दी और बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन जैसे लोगों का और हिन्दुधर्मावलम्बियों का कहना है कि उनको एफएफ हुसैन जैसों का विरोध करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है| इसलिये भी सरकार को दोनों ही धर्म के लोगों की भावनाओं का खयाल करना होगा|

इस बारे में भारत के संविधान के उपबन्ध किसी भी धर्म के अनुयाईयों का समर्थन नहीं करते हैं| क्योंकि संविधान द्वारा प्रदान की गयी धार्मिक आजादी का अर्थ यह कदापि नहीं है कि हम अपने धर्म की रक्षा के लिये दूसरों के मूल अधिकारों में अतिक्रमण करें| क्योंकि धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार भी अबाध या निर्बाध नहीं है| धर्म की स्वतन्त्रता पर अनेक कारणों से निर्बन्धन लगाये जा सकते हैं| धर्म की स्वतन्त्रता में मूल रूप से अन्त:करण की स्वतन्त्रता है| जिसे संविधान के अनुच्छेद-21 में अतिरिक्त संरक्षण भी प्रदान किया गया है| जिसके अन्तर्गत समुचित विधि या रीति से उपासना, ध्यान, पूजा, अर्चना, प्रार्थना करने या नहीं करने का मूल अधिकार शामिल है|

इसी अधिकार में अपने धर्म को अबाध रूप से मानने, धर्म के अनुसार आचरण करने और अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने का भी सम्पूर्ण अधिकार दिया गया है| जिसके तहत सभी नागरिकों को अपने धर्मानुकूल अनुष्ठान करने या कराने का मूल अधिकार भी है| जिसमें सभी हिन्दुओं को मन्दिरों में प्रवेश करके अपने आराध्य की प्रार्थना और पूजा अर्चना करने का मूल अधिकार है! (जिससे भारत में अधिकतर दलित वर्ग को वंचित किया हुआ है| लेकिन इसके विरुद्ध आवाज उठाने के लिए मीडिया या अन्य लोगों के पास वक्त नहीं है!) इसी प्रकार से सभी मुस्लिमों को मस्जिदों में नमाज अदा करने का हक है| लेकिन इसके तहत किसी भी व्यक्ति विशेष को ये हक नहीं है कि वह किसी विशेष मन्दिर या मस्जिद में जाकर के ही प्रार्थना/पूजा या नमाज अदा करेगा| ऐसा करने से उसे युक्तियुक्त कारणों से सरकार द्वारा रोका जा सकता है|

जहॉं तक धर्म के प्रचार-प्रसार के मूल अधिकार की बात है तो भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनेक बार, अनेक मामलों में स्पष्ट किया है कि भारत में हर एक धर्म के प्रचार-प्रसार की पूर्ण आजादी है, लेकिन इसका ये अर्थ कदापि नहीं है कि किसी को अपना धर्म बदलने के लिये उकसाया या विवश किया जावे| हॉं ये हक अवश्य है कि दूसरे धर्म के लोगों को धर्म-प्रचारक के धर्म के बारे में उचित रीति से सम्पूर्ण जानकारी दी जाने की पूर्ण आजादी हो| ताकि उसके धर्म की बातों से प्रभावित होकर कोई भी अन्य धर्म का व्यक्ति अपना धर्म बदलना चाहे तो वह अपना धर्म बदल सके| क्योंकि जब तक किसी को दूसरे के धर्म की बातों की अच्छाई के बारे में जानकारी नहीं होगी, तब तक वह अपना धर्म या आस्था बदलने के बारे में निर्णय कैसे ले सकेगा|

लेकिन सलमान रुश्दी के मामले में धार्मिक आजादी का मूल अधिकार मुस्लिम बन्धुओं को किसी भी प्रकार का संवैधानिक या कानूनी हक प्रदान नहीं करता है| क्योंकि जिस प्रकार से किसी भी धर्म के प्रचारक को अपने धर्म की अच्छी बातें बतलाने का संवैधानिक हक है, उसी प्रकार से धर्मनिरपेक्षता के अधिकार के तहत या धर्म की आजादी के मूल अधिकार के तहत भारत में हर व्यक्ति को ये मूल अधिकार भी प्राप्त है कि वह अपने या किसी भी अन्य धर्म की बुराईयों, खामियों के बारे में भी आलोचना या निन्दा कर सके| जिसे अनुच्छेद 19 (1) (क) में भी संरक्षण हैं, लेकिन साथ ही साथ अनुच्छेद 19 (2) के निर्बन्धन यहॉं पर भी लागू होंगे| लेकिन इस प्रकार के निर्बन्धन धार्मिक भावनाओं के संरक्षण के लिये स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं हैं|


लेखक परिचय : नाम : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', आस्तिक हिन्दू! तीसरी कक्षा के बाद पढाई छूटी! बाद में नियमित पढाई केवल 04 वर्ष! जीवन के 07 वर्ष मेहनत-मजदूरी जंगलों व खेतों में, 04 वर्ष 02 माह 26 दिन 04 जेलों में गुजारे और 20 वर्ष 09 माह 05 दिन दो रेलों में सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृति! जेल के दौरान-कई सौ पुस्तकों का अध्ययन, कविता लेखन किया एवं जेल में ही ग्रेज्युएशन डिग्री पूर्ण की! हिन्दू धर्म, जाति, वर्ण, समाज, कानून, अर्थ व्यवस्था, आतंकवाद, राजनीति, कानून, संविधान, स्वास्थ्य, मानव व्यवहार, मानव मनोविज्ञान, दाम्पत्य, आध्यात्म सहित अनेकानेक विषयों पर सतत लेखन और चिन्तन! विश्‍लेषक, टिप्पणीकार, कवि और शोधार्थी! छोटे बच्चों, कमजोर व दमित वर्गों, आदिवासियों और मजबूर औरतों के शोषण, उत्पीड़न तथा अभावमय जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययनरत! जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र "प्रेसपालिका" का सम्पादक! 1993 में स्थापित और वर्तमान में देश के 18 राज्यों में सेवारत राष्ट्रीय संगठन‘भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान’ (बास-BAAS) का मुख्य संस्थापक तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष!
 Ph. 0141-2222225, Mob. : 098285-02666

No comments:

Post a Comment

CCH ADD

CCH ADD
CCH ADD

Popular Posts

dhamaal Posts

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / रिपोर्टरों की आवश्यकता है

ANI NEWS INDIA

‘‘ANI NEWS INDIA’’ सर्वश्रेष्ठ, निर्भीक, निष्पक्ष व खोजपूर्ण ‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया ऑनलाइन नेटवर्क’’ हेतु को स्थानीय स्तर पर कर्मठ, ईमानदार एवं जुझारू कर्मचारियों की सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले एवं तहसीलों में जिला ब्यूरो प्रमुख / तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / पंचायत स्तर पर क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों / संवाददाताओं की आवश्यकता है।

कार्य क्षेत्र :- जो अपने कार्य क्षेत्र में समाचार / विज्ञापन सम्बन्धी नेटवर्क का संचालन कर सके । आवेदक के आवासीय क्षेत्र के समीपस्थ स्थानीय नियुक्ति।
आवेदन आमन्त्रित :- सम्पूर्ण विवरण बायोडाटा, योग्यता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के स्मार्ट नवीनतम 2 फोटोग्राफ सहित अधिकतम अन्तिम तिथि 30 मई 2019 शाम 5 बजे तक स्वंय / डाक / कोरियर द्वारा आवेदन करें।
नियुक्ति :- सामान्य कार्य परीक्षण, सीधे प्रवेश ( प्रथम आये प्रथम पाये )

पारिश्रमिक :- पारिश्रमिक क्षेत्रिय स्तरीय योग्यतानुसार। ( पांच अंकों मे + )

कार्य :- उम्मीदवार को समाचार तैयार करना आना चाहिए प्रतिदिन न्यूज़ कवरेज अनिवार्य / विज्ञापन (व्यापार) मे रूचि होना अनिवार्य है.
आवश्यक सामग्री :- संसथान तय नियमों के अनुसार आवश्यक सामग्री देगा, परिचय पत्र, पीआरओ लेटर, व्यूज हेतु माइक एवं माइक आईडी दी जाएगी।
प्रशिक्षण :- चयनित उम्मीदवार को एक दिवसीय प्रशिक्षण भोपाल स्थानीय कार्यालय मे दिया जायेगा, प्रशिक्षण के उपरांत ही तय कार्यक्षेत्र की जबाबदारी दी जावेगी।
पता :- ‘‘ANI NEWS INDIA’’
‘‘न्यूज़ एण्ड व्यूज मिडिया नेटवर्क’’
23/टी-7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, प्रेस काम्पलेक्स,
नीयर दैनिक भास्कर प्रेस, जोन-1, एम. पी. नगर, भोपाल (म.प्र.)
मोबाइल : 098932 21036


क्र. पद का नाम योग्यता
1. जिला ब्यूरो प्रमुख स्नातक
2. तहसील ब्यूरो प्रमुख / ब्लाक / हायर सेकेंडरी (12 वीं )
3. क्षेत्रीय रिपोर्टरों / प्रतिनिधियों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
4. क्राइम रिपोर्टरों हायर सेकेंडरी (12 वीं )
5. ग्रामीण संवाददाता हाई स्कूल (10 वीं )

SUPER HIT POSTS

TIOC

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

''टाइम्स ऑफ क्राइम''


23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1,

प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011

Mobile No

98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।

http://tocnewsindia.blogspot.com




यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा mob no 09893221036, 8989655519 & हमारा मेल है E-mail: timesofcrime@gmail.com, toc_news@yahoo.co.in, toc_news@rediffmail.com

''टाइम्स ऑफ क्राइम''

23/टी -7, गोयल निकेत अपार्टमेंट, जोन-1, प्रेस कॉम्पलेक्स, एम.पी. नगर, भोपाल (म.प्र.) 462011
फोन नं. - 98932 21036, 8989655519

किसी भी प्रकार की सूचना, जानकारी अपराधिक घटना एवं विज्ञापन, समाचार, एजेंसी और समाचार-पत्र प्राप्ति के लिए हमारे क्षेत्रिय संवाददाताओं से सम्पर्क करें।





Followers

toc news