अपने एक पूर्व शिष्या के साथ यौन उत्पीडऩ करने के आरोपी और
धार्मिक नेता से राजनीतिक बने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद के
खिलाफ गिरफ्तारी वारंट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति डीपी सिंह और न्यायमूर्ति वीके माथुर की खंडपीठ ने आदेश सुनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को चिन्मयानंद की याचिका पर तीन हफ्तों के भीतर जवाबी हलफनामा जमा करने का निर्देश दिया। राजग शासन में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रहे चिन्मयानंद ने शाहजहांपुर जिले के कोतवाली थाने में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी है।
प्राथमिकी में चिदरपिता गौतम ने आरोप लगाया कि वह 2005 में
चिन्मयानंद की शिष्य बनी और आश्रम में अपने प्रवास के दौरान चिन्मायानंद ने
उससे कथित तौर पर बलात्कार किया। एक से ज्यादा बार गर्भपात कराने को मजबूर किया और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी दी।
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