खंडवा [हर्ष उपाध्य /महेश पटेल ]
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भारत में भ्रष्टाचार कितना बड़ गया इस बात का अंदाज़ा इस से ही लगाया जा सकता है कि मात्र दौ सौ रूपये के काम लिये तीन हजार रूपये की रिश्वत मांगने में भी जरा भी शर्म महसूस नहीं होती। यह हम नहीं कह रहे खंडवा के सामान्य वनमंडल कार्यालय में लोकायुक्त के छापे के बाद यह बात निकल कर सामने आई है।toc news internet channal
इंदौर लोकायुक्त टीम ने आज खंडवा वन विभाग की लाइसेंस शाखा में पदस्थ गार्ड को लाइसेंस नवीनीकरण के नाम पर 3 हजार की रिश्वत लेते लोकायुक्त टीम ने रंगे हांथो पकड़ा ! वहीँ गार्ड के बयान पर विभाग के एक लिपिक को भी आरोपी बनाया गया है |
सुतारी के लाईसेंस के लिये रिश्वत की मांग कर रहे एक फारेस्ट कर्मचारी को लोकायुक्त शाखा इंदौर ने रंगे हाथो पकड़ा। राम नगर निवासी राकेश मालवीया ने 29 जनवरी को सामान्य वन मंडल कार्यालय के कर्मचारी कृष्ण कुमार तिवारी की शिकायत लोकायुक्त इंदौर को दर्ज की। राकेश मालवीय से उक्त कर्मचारी ने लाइसेंस के लिये तीन हजार रूपये की रिश्वत की मांग की थी।
राम नगर निवासी राकेश मालवीय सुतारी का काम करता है उसने एक जनवरी को सुतारी लाइसेंस के लिये सामान्य वन मंडल खंडवा कार्यालय में तीन आवेदन दिये थे। लोकायुक्त से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृष्ण कुमार तिवारी जो कि एक फारेस्ट गार्ड है और वर्तमान में लाइसेंस शाखा में कार्य कर रहा है उसने लाइसेंस के लिये तीन हजार रूपये की मांग की मांग की थी। इस बात की शिकायत राकेश ने लोकायुक्त इंदौर को मंगलवार को थी। लोकायुक्त ने गुरूवार को छापामार कार्रवाई करते हुए रंगे हाथो पकड़ा। इतना ही नहीं लाइसेंस शाखा में कार्यरत कृष्णकांत तिवारी से पूछताछ करने पर लोकायुक्त को सामान्य वन मंडल कार्यालय में कार्यरत लेखापाल विजय गुप्ता के सम्मिलित होने का पता चला।
जेब से निकाले रूपये
लोकायुक्त टीम ने पूरी व्यूहरचना कर राकेश को रंग लगे पांच-पांच सौ के रंग लगे नोट देकर तिवारी के पास भेजा। पूरे घटना क्रम में पूरी सावधानी के साथ रिश्वत की रकम तिवारी ने राकेश से लेकर अपने पास रख ली। लोकायुक्त टीम की माने तो जिस समय रिश्वत दी गई उस समय उसके साथ लेखापाल गुप्ता भी मौजुद था। टीम के सूत्रों की माने तो रिश्वत लेने के लिये गुप्ता ने ही षडयंत्र रचाया था। टीम के छापा मारने के बाद कृष्णकांत के जेब से पांच-पांच सौ के रंग लगे नोट जब्ती की कार्रवाही की गई।
छोट-छोटे कामो के लिये मांगते है रिश्वत
राकेश ने बताया कि मजदूरी का लाईसेंस बनाने के लिये मात्र दो सौ रूपये का शुल्क देना होता है और व्यवसायी का लाइसेंस के लिये एक हजार रूपये लेकिन संबधित लोगो ने छोटे से काम के लिये भी तीन हजार रूपये की रिश्वत मांगी जा रही थी। इसलिये लोकायुक्त से शिकायत की और आज छापामार कार्रवाही में रिश्वत मांगने वाले के विरूद्ध केस दर्ज करवाया।