Published - Toc News
Written by राजेश ज्वेल
व्यापमं महाघोटाले की जांच तो चल ही रही है, वहीं अब निजी डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में बीते 10-11 सालों में हुए डीमेट घोटाले की परतें भी खुलने लगी हैं। 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक के इस डीमेट घोटाले में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेसी भी फंस रहे हैं।
निजी कॉलेजों ने 20 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ और उससे भी अधिक राशि लेकर हजारों एडमिशन दे डाले। इस मामले में गिरफ्तार किए गए डीमेट के कोषाध्यक्ष रहे योगेश उपरित ने कई चौंकाने वाली जानकारियां भी दी हैं।
अभी तक व्यापमं घोटाले को लेकर कांग्रेस हल्ला मचाती रही है, मगर डीमेट के मामले में यह पता चल रहा है कि भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के लोगों ने भी इसी तरह अपने बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों के एडमिशन करवाए हैं। व्यापमं से लेकर डीमेट घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और इंदौर हाईकोर्ट में अभी पिछले दिनों लगाई याचिका में जांच के आदेश भी हुए। इस मुद्दे को नागदा के अभय चौपड़ा लगातार उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि अब डीमेट का जो फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है उस संबंध में कांग्रेस व्यापमं की तरह आक्रामक क्यों नहीं है?
शासन के कोटे से निजी डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में भरी जाने वाली सिटों में पिछले 10-11 सालों के दौरान जबरदस्त तरीके से गड़बड़ी की गई और अब निजी कॉलेज इस जांच को दबाना चाहते हैं ताकि पूरा मामला व्यापमं घोटाले तक ही सिमटकर रह जाए। श्री चौपड़ा के मुताबिक निजी मेडिकल कॉलेजों को पहले राउंड की काउंसलिंग की रिपोर्ट 18 सितंबर 2013 और दूसरे राउंड की काउंसलिंग की रिपोर्ट 24 सितंबर 2013 को डीएमई को करना थी,
लेकिन उसने निजी मैनेजमेट कोटे के छात्रों को प्रवेश देने के लिए तथ्य छुपाए और कट ऑफ डेट 30 सितंबर 2013 को खाली सीटें गैर कानूनी तरीके से फीस के नुकसान नहीं होने देने के आधार पर भर दी गई। निजी कॉलेजों द्वारा शासन के कोटे की 197 सीटें भरने के लिए 29 और 30 सितंबर 2013 को पहले राउंड की काउंसलिंग की गई और फिर धोखे से ये सारी सीटें भरी बता दी गईं।
हाईकोर्ट ने भी इस पूरी प्रक्रिया को प्रथम दृष्ट्या गलत माना है। उनका यह भी आरोप है कि डीमेट के नाम पर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला किया गया और एक-एक सीट 20 लाख से लेकर 1 करोड़ और उससे अधिक कीमत में बेची गई। उल्लेखनीय है कि डीमेट के कोषाध्यक्ष योगेश उपरित को पिछले दिनों गिरफ्तार किया गया था और एसडीएफ द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही है और उपरित ने कई चौंकाने वाली जानकारी एसटीएफ को दी है, जिसमें यह भी बताया गया कि व्यापमं की तरह ही डीमेट में भी नामी-गिरामी लोगों ने अपने बच्चों के एडमिशन करवाए।
कल भी उपरित को भोपाल स्थित एसटीएफ मुख्यालय लाया गया और आज ग्वालियर हाईकोर्ट में उनकी पेशी हो रही है। आने वाले दिनों में व्यापमं की तरह ही डीमेट में भी कई गिरफ्तारियां होंगी और अब भाजपा भी इस घोटाले को इसलिए उजागर करना चाहती है क्योंकि इसमें कई कांग्रेसी भी फंसे हैं ताकि उन्हें व्यापमं घोटाले में लगाए जा रहे आरोपों का जवाब दिया जा सके।
10 करोड़ मंत्री बनते ही मिलते रहे : व्यापमं और डीमेट घोटाले के मामले में गिरफ्तार कोषाध्यक्ष योगेश उपरीत ने ग्वालियर एसआईटी की पूछताछ में एक चौंकाने वाली जानकारी यह भी दी है कि मध्यप्रदेश की सरकार में चिकित्सा, शिक्षा विभाग मिलते ही संबंधित मंत्री को हम 10 करोड़ रुपए पहुंचा देते थे।
ये रुपए डीमेट से जुड़े फैसलों को बगैर किसी आपत्ति के मंजूर करने के एवज में दिए जाते थे। यह भी उल्लेखनीय है कि डीमेट वर्ष 2006 से शुरू हुई और तब से लेकर अब तक भाजपा की प्रदेश सरकार में 5 मंत्री बदल गए हैं। इनमें पूर्व मंत्री कमल पटेल, अजय विश्नोई, महेन्द्र हार्डिया और अनूप मिश्रा के अलावा वर्तमान के चिकित्सा-शिक्षा मंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हैं, क्या अब इनसे भी एसआईटी 10-10 करोड़ रुपए के लगाए गए आरोप के संबंध में पूछताछ करेगी?
Written by राजेश ज्वेल
व्यापमं महाघोटाले की जांच तो चल ही रही है, वहीं अब निजी डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में बीते 10-11 सालों में हुए डीमेट घोटाले की परतें भी खुलने लगी हैं। 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक के इस डीमेट घोटाले में भाजपा के साथ-साथ कांग्रेसी भी फंस रहे हैं।
निजी कॉलेजों ने 20 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ और उससे भी अधिक राशि लेकर हजारों एडमिशन दे डाले। इस मामले में गिरफ्तार किए गए डीमेट के कोषाध्यक्ष रहे योगेश उपरित ने कई चौंकाने वाली जानकारियां भी दी हैं।
अभी तक व्यापमं घोटाले को लेकर कांग्रेस हल्ला मचाती रही है, मगर डीमेट के मामले में यह पता चल रहा है कि भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के लोगों ने भी इसी तरह अपने बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों के एडमिशन करवाए हैं। व्यापमं से लेकर डीमेट घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और इंदौर हाईकोर्ट में अभी पिछले दिनों लगाई याचिका में जांच के आदेश भी हुए। इस मुद्दे को नागदा के अभय चौपड़ा लगातार उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि अब डीमेट का जो फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है उस संबंध में कांग्रेस व्यापमं की तरह आक्रामक क्यों नहीं है?
शासन के कोटे से निजी डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में भरी जाने वाली सिटों में पिछले 10-11 सालों के दौरान जबरदस्त तरीके से गड़बड़ी की गई और अब निजी कॉलेज इस जांच को दबाना चाहते हैं ताकि पूरा मामला व्यापमं घोटाले तक ही सिमटकर रह जाए। श्री चौपड़ा के मुताबिक निजी मेडिकल कॉलेजों को पहले राउंड की काउंसलिंग की रिपोर्ट 18 सितंबर 2013 और दूसरे राउंड की काउंसलिंग की रिपोर्ट 24 सितंबर 2013 को डीएमई को करना थी,
लेकिन उसने निजी मैनेजमेट कोटे के छात्रों को प्रवेश देने के लिए तथ्य छुपाए और कट ऑफ डेट 30 सितंबर 2013 को खाली सीटें गैर कानूनी तरीके से फीस के नुकसान नहीं होने देने के आधार पर भर दी गई। निजी कॉलेजों द्वारा शासन के कोटे की 197 सीटें भरने के लिए 29 और 30 सितंबर 2013 को पहले राउंड की काउंसलिंग की गई और फिर धोखे से ये सारी सीटें भरी बता दी गईं।
हाईकोर्ट ने भी इस पूरी प्रक्रिया को प्रथम दृष्ट्या गलत माना है। उनका यह भी आरोप है कि डीमेट के नाम पर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला किया गया और एक-एक सीट 20 लाख से लेकर 1 करोड़ और उससे अधिक कीमत में बेची गई। उल्लेखनीय है कि डीमेट के कोषाध्यक्ष योगेश उपरित को पिछले दिनों गिरफ्तार किया गया था और एसडीएफ द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही है और उपरित ने कई चौंकाने वाली जानकारी एसटीएफ को दी है, जिसमें यह भी बताया गया कि व्यापमं की तरह ही डीमेट में भी नामी-गिरामी लोगों ने अपने बच्चों के एडमिशन करवाए।
कल भी उपरित को भोपाल स्थित एसटीएफ मुख्यालय लाया गया और आज ग्वालियर हाईकोर्ट में उनकी पेशी हो रही है। आने वाले दिनों में व्यापमं की तरह ही डीमेट में भी कई गिरफ्तारियां होंगी और अब भाजपा भी इस घोटाले को इसलिए उजागर करना चाहती है क्योंकि इसमें कई कांग्रेसी भी फंसे हैं ताकि उन्हें व्यापमं घोटाले में लगाए जा रहे आरोपों का जवाब दिया जा सके।
10 करोड़ मंत्री बनते ही मिलते रहे : व्यापमं और डीमेट घोटाले के मामले में गिरफ्तार कोषाध्यक्ष योगेश उपरीत ने ग्वालियर एसआईटी की पूछताछ में एक चौंकाने वाली जानकारी यह भी दी है कि मध्यप्रदेश की सरकार में चिकित्सा, शिक्षा विभाग मिलते ही संबंधित मंत्री को हम 10 करोड़ रुपए पहुंचा देते थे।
ये रुपए डीमेट से जुड़े फैसलों को बगैर किसी आपत्ति के मंजूर करने के एवज में दिए जाते थे। यह भी उल्लेखनीय है कि डीमेट वर्ष 2006 से शुरू हुई और तब से लेकर अब तक भाजपा की प्रदेश सरकार में 5 मंत्री बदल गए हैं। इनमें पूर्व मंत्री कमल पटेल, अजय विश्नोई, महेन्द्र हार्डिया और अनूप मिश्रा के अलावा वर्तमान के चिकित्सा-शिक्षा मंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हैं, क्या अब इनसे भी एसआईटी 10-10 करोड़ रुपए के लगाए गए आरोप के संबंध में पूछताछ करेगी?
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