Present by - toc news
अभय की कलम से
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{राजनैतिक सम्मान नही सुरक्षा के हकदार है- पत्रकार}
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कलम के सिपाही, कलमवीर, सरस्वतीपुत्र, जब सुबह अपने घर से निकलते है तो न तो कोई तयशुदा कार्यक्रम होता है न ही रुपरेखा।उलझनों,उथलपुथल और परेशानियां साथ लेकर किसी खबर किसी समस्या किसी हादसे या किसी घपले से रोज सामना होता है और वही से शुरू होती है इनके साहस और रचनात्मकता की जंग।भयावह प्रतिस्पर्धा और दो जून की रोटी कमाने की जद्दोजह
द में इनका जोश जूनून हौसला आत्मविश्वास और आक्रोश ही इनका साथी इनका मददगार है।उस पर भी तुर्रा यह की अच्छा उधेड़े या न उधेड़े उलाहना साथ हइये ही।फिर भी इन सबसे बेख़बर समाज की अग्रणी किन्तु आर्थिक असुरक्षित ये कौम लगी रहती है-अथक,निरंतर गतिशील।इन्हें किन्ही सत्ता या विपक्ष की स्वार्थपरक राजनीति का सम्मान न तो चाहिए न ये ऐसे राजनीतिक बढ़ावे के ख्वाहिशमन्द है,क्योकि कलम के इन सिपाहियों का सम्मान तो तभी हो जाता है जब इनकी किसी खबर,किसी फीचर या किसी रिपोर्ट पर सरकारें सक्रिय.प्रशासन जाग्रत और समाज सुरक्षित हो उठता है, इनका सम्मान तो तभी है जब खबर से चोट होती है,भ्रस्ट निष्क्रिय और अकर्मण्य व्यवस्था पर।
राजनीतिक दलों के पास न तो वो जज़्बा है और न ही वो सत्य की इन पत्रकार साथियों का सम्मान कर सकें।फिर भी यदि अन्तरात्मा कचोटती हो,पत्रकारों की जिंदादिली सराहनि हो तो इतना कर दो की फिर कभी कोई चन्द्रिका राय या कोई जगेंद्र सिंह कलम उठाने की सजा जिंदगी और उनका परिवार अपना अंतिम सहारा खोकर न पाये।।तुम राजनीति के शतरंज के वजीर हो लेकिन इन पत्रकार साथियों को मोहरा न समझों...ये जिन्दा है तभी देश जिन्दा है...
©अभय सिंह राठौर🙏🙏
अभय की कलम से
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{राजनैतिक सम्मान नही सुरक्षा के हकदार है- पत्रकार}
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कलम के सिपाही, कलमवीर, सरस्वतीपुत्र, जब सुबह अपने घर से निकलते है तो न तो कोई तयशुदा कार्यक्रम होता है न ही रुपरेखा।उलझनों,उथलपुथल और परेशानियां साथ लेकर किसी खबर किसी समस्या किसी हादसे या किसी घपले से रोज सामना होता है और वही से शुरू होती है इनके साहस और रचनात्मकता की जंग।भयावह प्रतिस्पर्धा और दो जून की रोटी कमाने की जद्दोजह
द में इनका जोश जूनून हौसला आत्मविश्वास और आक्रोश ही इनका साथी इनका मददगार है।उस पर भी तुर्रा यह की अच्छा उधेड़े या न उधेड़े उलाहना साथ हइये ही।फिर भी इन सबसे बेख़बर समाज की अग्रणी किन्तु आर्थिक असुरक्षित ये कौम लगी रहती है-अथक,निरंतर गतिशील।इन्हें किन्ही सत्ता या विपक्ष की स्वार्थपरक राजनीति का सम्मान न तो चाहिए न ये ऐसे राजनीतिक बढ़ावे के ख्वाहिशमन्द है,क्योकि कलम के इन सिपाहियों का सम्मान तो तभी हो जाता है जब इनकी किसी खबर,किसी फीचर या किसी रिपोर्ट पर सरकारें सक्रिय.प्रशासन जाग्रत और समाज सुरक्षित हो उठता है, इनका सम्मान तो तभी है जब खबर से चोट होती है,भ्रस्ट निष्क्रिय और अकर्मण्य व्यवस्था पर।
राजनीतिक दलों के पास न तो वो जज़्बा है और न ही वो सत्य की इन पत्रकार साथियों का सम्मान कर सकें।फिर भी यदि अन्तरात्मा कचोटती हो,पत्रकारों की जिंदादिली सराहनि हो तो इतना कर दो की फिर कभी कोई चन्द्रिका राय या कोई जगेंद्र सिंह कलम उठाने की सजा जिंदगी और उनका परिवार अपना अंतिम सहारा खोकर न पाये।।तुम राजनीति के शतरंज के वजीर हो लेकिन इन पत्रकार साथियों को मोहरा न समझों...ये जिन्दा है तभी देश जिन्दा है...
©अभय सिंह राठौर🙏🙏
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