Toc news @ jagendra
एक था जगेंद्र
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गहरी नींद में सोई भ्रष्ट सरकार को जगाना चाहता था वो , सार्थक करने का प्रयास कर रहा था अपने नाम को । वो उस दीपक की तरह था जो आकार में छोटा होते हुए भी अपनी मद्धिम रौशनी के सहारे घने अन्धकार से टकराने का हौसला रखता था । किन्तु शायद वो भूल गया था कि ये रात बहुत लंबी थी , इतनी कि उस दिए की बाती छोटी पड गयी और उसे दम तोड़ना पड़ा। उसके दम तोड़ते ही अन्धकार का वो राक्षस अट्टाहस कर उठा । अपनी विजय के गुमान में भरकर उसे इतना भी याद ना रहा कि वो दीपक बुझ जरूर गया था किन्तु अपनी टूटती सांसो के बीच वो एक ऐसा प्रकाश चारो तरफ फैला गया कि उसने हम सबकी आँखे खोल दी।
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हाँ मै शाहजहाँपुर जिले के खुटार कसबे के जगेंद्र सिंह पत्रकार की ही बात कर रहा हूँ , जिसने अपनी बलि देकर लेखनी में एक नई जान फूँक दी । और बता दिया कि 👇👇👇👇
सम्भल जाओ कलम वालों गर जिन्दा तुमको रहना है ,
वरना आज बारात मेरी थी कल तुम सब की बारी है ।
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
दिल रो रहा है लिखते हुए कि कैसे तड़पे होंगे तुम गजेन्द्र उस भीषण अग्नि मे ! क्यूँ दया नही आई उन शैतानों को जिन्होंने वर्दी की आड़ में अपने आका को खुश करने के लिए तुम्हारी भेंट चढ़ा दी!
जगेंद्र तुम्हे न्याय जरूर मिलेगा । तुम्हारे बलिदान ने सोये हुए सिंहो को जगा दिया । इतिहास गवाह है कि कलम जब जब चली है तो सिंहासन डोल गए। नेस्तनाबूद हो गयी तमाम गन्दी हसरतें । अखिलेश यादव अगर तुम तक आवाज पंहुच रही है तो सुनो जगेंद्र की भयानक चीखें जो न्याय मांग रही हैं , जो इन्साफ के लिए और भयानक होती जा रही हैं। तुम्हारे विनाश की घोषथणा कर रही हैं ये चीखें मुख्य्मंत्री जी ।
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एक था जगेंद्र
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गहरी नींद में सोई भ्रष्ट सरकार को जगाना चाहता था वो , सार्थक करने का प्रयास कर रहा था अपने नाम को । वो उस दीपक की तरह था जो आकार में छोटा होते हुए भी अपनी मद्धिम रौशनी के सहारे घने अन्धकार से टकराने का हौसला रखता था । किन्तु शायद वो भूल गया था कि ये रात बहुत लंबी थी , इतनी कि उस दिए की बाती छोटी पड गयी और उसे दम तोड़ना पड़ा। उसके दम तोड़ते ही अन्धकार का वो राक्षस अट्टाहस कर उठा । अपनी विजय के गुमान में भरकर उसे इतना भी याद ना रहा कि वो दीपक बुझ जरूर गया था किन्तु अपनी टूटती सांसो के बीच वो एक ऐसा प्रकाश चारो तरफ फैला गया कि उसने हम सबकी आँखे खोल दी।
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हाँ मै शाहजहाँपुर जिले के खुटार कसबे के जगेंद्र सिंह पत्रकार की ही बात कर रहा हूँ , जिसने अपनी बलि देकर लेखनी में एक नई जान फूँक दी । और बता दिया कि 👇👇👇👇
सम्भल जाओ कलम वालों गर जिन्दा तुमको रहना है ,
वरना आज बारात मेरी थी कल तुम सब की बारी है ।
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दिल रो रहा है लिखते हुए कि कैसे तड़पे होंगे तुम गजेन्द्र उस भीषण अग्नि मे ! क्यूँ दया नही आई उन शैतानों को जिन्होंने वर्दी की आड़ में अपने आका को खुश करने के लिए तुम्हारी भेंट चढ़ा दी!
जगेंद्र तुम्हे न्याय जरूर मिलेगा । तुम्हारे बलिदान ने सोये हुए सिंहो को जगा दिया । इतिहास गवाह है कि कलम जब जब चली है तो सिंहासन डोल गए। नेस्तनाबूद हो गयी तमाम गन्दी हसरतें । अखिलेश यादव अगर तुम तक आवाज पंहुच रही है तो सुनो जगेंद्र की भयानक चीखें जो न्याय मांग रही हैं , जो इन्साफ के लिए और भयानक होती जा रही हैं। तुम्हारे विनाश की घोषथणा कर रही हैं ये चीखें मुख्य्मंत्री जी ।
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