Toc News @ Bhopal
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मैं उस पीढ़ी के साथियों की बात करूंगा जिन्होंने जीवन के 40 से अधिक वर्ष पत्रकारिता में गुजार दिये है और आज 70 से अधिक उम्र की आयु में कैंशर, किडनी अथवा हार्ड की बीमारी से लड़ रहे हैं, सरकार उन्हें प्रति माह रुपये 15000 श्रद्धा निधि के रूप में दे। जिससे उन्हें किसी पर आश्रित न होना पड़े। इसी तरह वर्तमान श्रद्धा निधि की राशि रुपये दस हजार की जाये।
इसके बाद हम शिवराज सरकार से मांग रखते है कि पत्रकारों पर आये दिन फर्जी शिकायतों पर पुलिस द्वारा तत्काल प्रकरण दर्ज कर लिये जाते है। जिससे राज्य शासन के गृह विभाग के 6 जनवरी 2010 के आदेशों की अवहेलना हो रही है। अत: उसे सख्ती से लागू किया जाये साथ ही पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाये। हम सरकार से यह मांग भी करते है कि जब पत्रकार पर कोई प्रकरण दर्ज होता है तो सबसे पहले शिकायत की जाँच सीआईडी से कराई जाये। तत्पश्चात यदि पत्रकार दोषी है तो हम कतई यह नहीं चाहेंगे कि उसे छोड़ा जाये और शिकायतकर्ता के कार्यों की जाँच की जाये। यदि शिकायतकर्ता दोषी है तो उसे बक्शा नहीं जाये, चाहे वह कितना ही बड़ा अधिकारी हो अथवा राजनेता।
मित्रों मुझे अच्छे से ज्ञात है कि ग्रामीण अंचल के पत्रकार बड़े ही जोखिम में काम करते है, भारी दबाव के बाद भी समाचार के लिये कोई समझौता नहीं करते और इस तरह के समाचार साप्ताहिक अथवा मासिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते है। ऐसे पत्र-पत्रिकाएं जो नियमित प्रकाशित होती है के मालिक, संपादक, संवाददाता को कलेक्टर के द्वारा पत्रकार का कार्ड दिया जाये, क्योंकि अधिमान्यता नियमों से समाचार पत्रों में कार्यरत सभी पत्रकारों को अधिमान्यता नहीं मिल सकती।
शारदा ने कहा कि हम सरकार से यह मांग भी करते है कि नियमित प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक, मासिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं को नियमित प्रतिमाह विज्ञापन रुपये 25 हजार दिये जाये। सरकार से यह मांग भी करते है कि सरकारी स्तर पर हर जिले में तहसील स्तर तक मीडिया सेंटर बनाये जो कि जनसम्पर्क विभाग के अधीन रहे, संस्था या व्यक्ति विशेष के अधिकार में नहीं। प्रदेश के कई पत्रकार भवनों पर संस्था विशेष के व्यक्ति विशेष ने कब्जा कर रखा है।
मैं आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय निकाल कर मुझे सुना।
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि मैं उस पीढ़ी के साथियों की बात करूंगा जिन्होंने जीवन के 40 से अधिक वर्ष पत्रकारिता में गुजार दिये है और आज 70 से अधिक उम्र की आयु में कैंशर, किडनी अथवा हार्ड की बीमारी से लड़ रहे हैं, सरकार उन्हें प्रति माह रुपये 15000 श्रद्धा निधि के रूप में दे। जिससे उन्हें किसी पर आश्रित न होना पड़े। इसी तरह वर्तमान श्रद्धा निधि की राशि रुपये दस हजार की जाये।
इसके बाद हम शिवराज सरकार से मांग रखते है कि पत्रकारों पर आये दिन फर्जी शिकायतों पर पुलिस द्वारा तत्काल प्रकरण दर्ज कर लिये जाते है। जिससे राज्य शासन के गृह विभाग के 6 जनवरी 2010 के आदेशों की अवहेलना हो रही है। अत: उसे सख्ती से लागू किया जाये साथ ही पत्रकार सुरक्षा कानून बनाया जाये। हम सरकार से यह मांग भी करते है कि जब पत्रकार पर कोई प्रकरण दर्ज होता है तो सबसे पहले शिकायत की जाँच सीआईडी से कराई जाये। तत्पश्चात यदि पत्रकार दोषी है तो हम कतई यह नहीं चाहेंगे कि उसे छोड़ा जाये और शिकायतकर्ता के कार्यों की जाँच की जाये। यदि शिकायतकर्ता दोषी है तो उसे बक्शा नहीं जाये, चाहे वह कितना ही बड़ा अधिकारी हो अथवा राजनेता।
मित्रों मुझे अच्छे से ज्ञात है कि ग्रामीण अंचल के पत्रकार बड़े ही जोखिम में काम करते है, भारी दबाव के बाद भी समाचार के लिये कोई समझौता नहीं करते और इस तरह के समाचार साप्ताहिक अथवा मासिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते है। ऐसे पत्र-पत्रिकाएं जो नियमित प्रकाशित होती है के मालिक, संपादक, संवाददाता को कलेक्टर के द्वारा पत्रकार का कार्ड दिया जाये, क्योंकि अधिमान्यता नियमों से समाचार पत्रों में कार्यरत सभी पत्रकारों को अधिमान्यता नहीं मिल सकती।
शारदा ने कहा कि हम सरकार से यह मांग भी करते है कि नियमित प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक, मासिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं को नियमित प्रतिमाह विज्ञापन रुपये 25 हजार दिये जाये। सरकार से यह मांग भी करते है कि सरकारी स्तर पर हर जिले में तहसील स्तर तक मीडिया सेंटर बनाये जो कि जनसम्पर्क विभाग के अधीन रहे, संस्था या व्यक्ति विशेष के अधिकार में नहीं। प्रदेश के कई पत्रकार भवनों पर संस्था विशेष के व्यक्ति विशेष ने कब्जा कर रखा है।
मैं आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय निकाल कर मुझे सुना।
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