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इलाहाबाद। पत्रकार जगेन्द्र सिंह हत्याकांड सहित यूपी में आये दिन हो रहे पत्रकारों पर हिंसक हमलों के विरोध में शनिवार को इलाहाबाद पत्रकार संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश को जिलाधिकारी इलाहाबाद के माध्यम से पांच सूत्रीय ज्ञापन सौपा गया।
डीएम और एडीएम सिटी के अनुपस्थिती मे एसीएम प्रथम धीरेन्द्र प्रताप सिंह को दिये गये ज्ञापन में पत्रकारों ने कहा कि मृत्यु से पूर्व जगेन्द्र ने स्वयं मजिस्ट्रेट को दिये गये अपने बयान में मंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर कोतवाल द्वारा जलाये जाने की बात कही थी। इससे पूर्व 22 मई को फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने मंत्री द्वारा हत्या कराये जाने की आशंका भी व्यक्त की थी। पत्रकारों ने पूछा कि क्या मंत्री को गिरफ्तार करने के लिए इतने सबूत पर्याप्त नहीं हैं?
पत्रकारों के प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि जगेन्द्र के साथ हुई हैवानियत को आज 19 दिन से अधिक समय गुजर चुका है। इस अवधि में केवल दोषी पुलिस कर्मियों के निलंबन की कार्रवाई हुई है बस। न तो किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी की गई और न ही मुख्य अभियुक्त पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा को पद से ही हटाया गया।
सरकार की ओर से उक्त प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई के बजाय मंत्री को कैसे निर्दोष साबित किया जाए, पूरा सिस्टम इस पर जोर दे रहा है? महज़ कुछ दिनों बाद जगेन्द्र की महिला मित्र द्वारा अपने बयान से पलटना, सरकार की सह पर मंत्री की निरंकुशता को ही प्रमाणित करता है। पत्रकारों ने कहा कि जांच के नाम पर यूपी सरकार जगेन्द्र के हत्यारों के खिलाफ मौजूद सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर रही है।
यही नहीं, यूपी में आये दिन पत्रकारों पर हो रहे हिंसक हमलों पर भी प्रतिनिधि मंडल ने चिंता व्यक्त की। और केंद्र को अवगत कराते हुए कहा कि हाल के दिनों में कौशाम्बी, शाहजहापुर, कानपुर, बस्ती व पीलीभीत में एक के बाद एक पत्रकारों पर जानलेवा हमले किये गये, जो पत्रकारों के खिलाफ प्रदेश सरकार की दमनकारी नीति का उदाहरण सहित प्रमाण है। पत्रकारों ने कहा कि यदि ऐसा होता रहा तो लोकतंत्र का यह स्तंभ जल्द ही अपना वजूद खो देगा।
ज्ञापन के माध्यम से इलाहाबाद पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने मांग की कि आरोपी मंत्री को तत्काल बर्खास्त करके जेल भेजा जाये। मृतक पत्रकार के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा और कम से कम एक सरकारी नौकरी दी जाये। पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच करायी जाय। सभी श्रेणी के पत्रकारों की सुरक्षा के लिये राष्ट्रव्यापी कानून बनाया जाय। और मजीठिया वेवबोर्ड को संग्यान में लेते हुए पत्रकारों के लिये फंडिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
प्रतिनिधि मंडल में मुख्य रूप से कुंदन श्रीवास्तव, अनिल त्रिपाठी, परवेज आलम, अनुराग तिवारी, अभिषेक पान्डेय, अजय मिश्रा, सुशील चौधरी, अमरदीप चौधरी, राजीव सिंह, रामबाबू, मनीष सिंह, शशिकांत सिंह, चन्द्रशेखर, उमाशंकर गुप्ता, अखिलेश शुक्ला, दूधनाथ पान्डेय आदि शामिल रहे। इससे पूर्व सभी पत्रकारों ने सुभाष चौराहे से मोटरसाइकिल जुलूस भी निकाला।
इलाहाबाद। पत्रकार जगेन्द्र सिंह हत्याकांड सहित यूपी में आये दिन हो रहे पत्रकारों पर हिंसक हमलों के विरोध में शनिवार को इलाहाबाद पत्रकार संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एवं राज्यपाल उत्तर प्रदेश को जिलाधिकारी इलाहाबाद के माध्यम से पांच सूत्रीय ज्ञापन सौपा गया।
डीएम और एडीएम सिटी के अनुपस्थिती मे एसीएम प्रथम धीरेन्द्र प्रताप सिंह को दिये गये ज्ञापन में पत्रकारों ने कहा कि मृत्यु से पूर्व जगेन्द्र ने स्वयं मजिस्ट्रेट को दिये गये अपने बयान में मंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर कोतवाल द्वारा जलाये जाने की बात कही थी। इससे पूर्व 22 मई को फेसबुक पोस्ट के जरिए उन्होंने मंत्री द्वारा हत्या कराये जाने की आशंका भी व्यक्त की थी। पत्रकारों ने पूछा कि क्या मंत्री को गिरफ्तार करने के लिए इतने सबूत पर्याप्त नहीं हैं?
पत्रकारों के प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि जगेन्द्र के साथ हुई हैवानियत को आज 19 दिन से अधिक समय गुजर चुका है। इस अवधि में केवल दोषी पुलिस कर्मियों के निलंबन की कार्रवाई हुई है बस। न तो किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी की गई और न ही मुख्य अभियुक्त पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा को पद से ही हटाया गया।
सरकार की ओर से उक्त प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई के बजाय मंत्री को कैसे निर्दोष साबित किया जाए, पूरा सिस्टम इस पर जोर दे रहा है? महज़ कुछ दिनों बाद जगेन्द्र की महिला मित्र द्वारा अपने बयान से पलटना, सरकार की सह पर मंत्री की निरंकुशता को ही प्रमाणित करता है। पत्रकारों ने कहा कि जांच के नाम पर यूपी सरकार जगेन्द्र के हत्यारों के खिलाफ मौजूद सबूतों और गवाहों को प्रभावित कर रही है।
यही नहीं, यूपी में आये दिन पत्रकारों पर हो रहे हिंसक हमलों पर भी प्रतिनिधि मंडल ने चिंता व्यक्त की। और केंद्र को अवगत कराते हुए कहा कि हाल के दिनों में कौशाम्बी, शाहजहापुर, कानपुर, बस्ती व पीलीभीत में एक के बाद एक पत्रकारों पर जानलेवा हमले किये गये, जो पत्रकारों के खिलाफ प्रदेश सरकार की दमनकारी नीति का उदाहरण सहित प्रमाण है। पत्रकारों ने कहा कि यदि ऐसा होता रहा तो लोकतंत्र का यह स्तंभ जल्द ही अपना वजूद खो देगा।
ज्ञापन के माध्यम से इलाहाबाद पत्रकार संघर्ष मोर्चा ने मांग की कि आरोपी मंत्री को तत्काल बर्खास्त करके जेल भेजा जाये। मृतक पत्रकार के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा और कम से कम एक सरकारी नौकरी दी जाये। पूरे प्रकरण की सीबीआई से जांच करायी जाय। सभी श्रेणी के पत्रकारों की सुरक्षा के लिये राष्ट्रव्यापी कानून बनाया जाय। और मजीठिया वेवबोर्ड को संग्यान में लेते हुए पत्रकारों के लिये फंडिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
प्रतिनिधि मंडल में मुख्य रूप से कुंदन श्रीवास्तव, अनिल त्रिपाठी, परवेज आलम, अनुराग तिवारी, अभिषेक पान्डेय, अजय मिश्रा, सुशील चौधरी, अमरदीप चौधरी, राजीव सिंह, रामबाबू, मनीष सिंह, शशिकांत सिंह, चन्द्रशेखर, उमाशंकर गुप्ता, अखिलेश शुक्ला, दूधनाथ पान्डेय आदि शामिल रहे। इससे पूर्व सभी पत्रकारों ने सुभाष चौराहे से मोटरसाइकिल जुलूस भी निकाला।
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