Toc news @ Bhopal
प्रस्तुत विनय जी. डेविड
""पुलिसकर्मी इन्सान नही रोबोट?""
पुलिस विभाग के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य शायद जिनसे जनता/मीडिया/राजनेता अनजान हैं या बने रहना चाहते हैं ।
1. "पुलिस विभाग के भोजनालय में हिन्दुस्तान की सबसे सस्ती खुराक"
आइये जानते हैं कैसे:-
नियमानुसार पुलिस हिरासत में रखे हुए अपराधी को भरपेट वही खाना खिलाया जाये, जो पुलिसकर्मी थाने के मेस में पुलिसकर्मियों के लिये बनता है। पुलिस मेस में सामान्यतः प्रति खुराक ₹45/-से ₹50/- के मध्य आती है परन्तु अपराधी को खिलाये जाने वाली प्रति खुराक के बदले सरकार से मात्र ₹12/-की दर से भुगतान मिलता है
2. "पुलिस के पास हवा से चलने वाला वाहन" ।आइये जानते हैं कैसे:-
पुलिसकर्मियों को अपने दोपहिये वाहन में पेट्रोल डालने के लिये प्रतिमाह एक रुपया भी नहीं मिलता है, इसके बदले यह अपेक्षा की जाती है कि प्रत्येक पुलिसकर्मी पूरे महीने 24 घण्टे अपने क्षेत्र में घूम-घूमकर चौकसी करेंगे, शान्ति व्यवस्था बनाये रखेंगे,अपराधों की रोकथाम करेंगे, अगर अपराधियों का पीछा करते समय एक दो शहर पार भी करना पड़े तो भी करेंगे, मतलब दूरी की कोई बाध्यता नही॥
3. "पुलिस विभाग में हिन्दुस्तान की सबसे सस्ती कपड़ा सिलाई (₹30/- प्रति पैन्ट कमीज) । आइये जानते हैं कैसे:-
पुलिस विभाग के कर्मचारियों को वर्दी के लिये रु० 1800/- वार्षिक मिलते हैं जिसमें उसे सर्दी और गर्मी के लिए कम से कम दो-दो जोड़ी वर्दी अवश्य चाहिये होती हैं ! जबकि केबल सर्दी के लिये ही कम से कम रु० 3000/- में तैयार होगी ।
4."पुलिसकर्मी वाटरप्रूफ, कोल्डप्रूफ, हीटप्रूफ, संवेदनाहीन, खाने और उन्हें आराम की कोई जरूरत नही" ।आइये जानते हैं कैसे:-
पुलिस विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों का वेतन निर्धारण अन्य सिविल सरकारी महकमों के पदों के अनुरूप किया जाता है (₹ 1000 - 1500 का भत्ता व एक माह का अतिरिक्त वेतन देकर), सरकारी बाबू 10:00 बजे से सायं 5:00 बजे तक की ड्यूटी में एक घंटा लंच ब्रेक, साप्ताहिक के साथ साथ त्योहारों की छुट्टी, आफिसों में पंखे कूलर ए.सी. में बैठकर कार्य करते हैं इसके ठीक विपरीत पुलिस रेगुलेशन के अनुसार सर्दी, गर्मी व बरसात एवं प्रत्येक परिस्थिति में पुलिसकर्मी को 24 घण्टे सेवा एवं सुरक्षा हेतु तत्पर ही रहना होता है,सरकारी क्वार्टर ऐसे कि बिना घर के बाहर देखे या निकले ही मौसम का सटीक पता लग जाये। साप्ताहिक या त्यौहारिक छुट्टी, खाना खाने, सोने या आराम करने का पुलिस रेगुलेशन में कोई प्रावधान नहीं॥
5. "पुलिसकर्मी का कोई परिवार नहीं, सांसारिक मायामोह से परे" ।जानते हैं कैसे:-
होली, दीपावली, दशहरा, ईद, वैशाखी आदि त्योहारों में पुलिस विभाग के अलावा सभी विभागों की छुट्टी होती है। हाल ही में उत्तराखंड में आई भयानक आपदा के समय सभी कार्यालयों यहाँ तक भारतीय सेना तक ने अपने जितने कर्मचारियों के परिजन आपदाग्रस्त क्षेत्रों में निवास कर रहे थे उनकी सहायता एवं देखभाल हेतु ऐसे समस्त कर्मचारियों को तत्काल छुट्टी देकर उन्हें घर के लिये रवाना कर दिया, इसके ठीक उलट पुलिस विभाग को आपदा के समय कोई छुट्टी ना देकर सरकार द्वारा आपदा राहत कार्यों में लग जाने का आदेश दिया गया॥
"क्या पुलिस इंसान के रूप में रोबोट?"
पुलिस के इन सब त्याग के बावजूद हमारी जनता/राजनेता/मीडिया क्यों नहीं पुलिस रेगुलेशन में बदलाव करने की पैरवी करते ?
जो भी पुलिस को गलत बोलता है इसको जरूर पढे ।
पुलिस जो 24 घंटे ड्यूटी करते हैं ,हफ्ते में सातों दिन कायॆ करते हैं
क्या आपने कभी सोचा है वो भी हमारी तरह इंसान होते हैं, रोबोट नहीं !
कहीं घटना हो जाये और पुलिस मौके पे ना पहुचॅं पाये तो जनता पुलिस को गाली देती है
क्या आपने कभी सोचा है कि पुलिस का क्षेत्र कितना बडा़ होता है क्या पुलिस को जादू आता है ? अन्तरयामी है ? जो उड़ के पहुँच जायेगी! छुट्टी न मिलने से घर मे समस्या अलग !
अगर हम लोग इक बाऱ उनकी जगह
खुद को रख के देखें की अगर हमें एक दिन भी छुट्टी ना मिले
तो हम दिमागी रूप से कितने
परेशान रहेंगे, दिन में अगर एक गलत इन्सान मिल जाए तो हमारा दिन खराब और पुलिस को दिन भर कितने
लोगों को झेलना पडता है ! रात में जाग के पेट्रोलिंग भी करना, क्या पुलिस वाले के बच्चे नहीं होते ?
क्या पुलिस वालों का दिल नहीं करता की वो भी परिवार के साथ समय बितायें ? अगर ऐसा रहा तो पुलिस
की नौकरी मजबूरी बन जाएगी आज भी 40% लोग बेरोजगारी की वजह से करते हैं! 60% पिता अपनी बेटी की सादी पुलिस वालो से नहीं करना चाहता ! अब आप ही बताऐं क्या सारे पुलिस वाले गलत होते हैं ? उन्हें ऎसी ही सैकडों परेशानिओं से उनको गुजरना पडता है ! आशा करते है आप सब सहमत होंगे!
पुलिस वालो को भी हफ्ते में एक दिन
छुट्टी मिलनी चाहिए ।
एन०के०शर्मा
प्रस्तुत विनय जी. डेविड
""पुलिसकर्मी इन्सान नही रोबोट?""
पुलिस विभाग के बारे में कुछ ऐसे रोचक तथ्य शायद जिनसे जनता/मीडिया/राजनेता अनजान हैं या बने रहना चाहते हैं ।
1. "पुलिस विभाग के भोजनालय में हिन्दुस्तान की सबसे सस्ती खुराक"
आइये जानते हैं कैसे:-
नियमानुसार पुलिस हिरासत में रखे हुए अपराधी को भरपेट वही खाना खिलाया जाये, जो पुलिसकर्मी थाने के मेस में पुलिसकर्मियों के लिये बनता है। पुलिस मेस में सामान्यतः प्रति खुराक ₹45/-से ₹50/- के मध्य आती है परन्तु अपराधी को खिलाये जाने वाली प्रति खुराक के बदले सरकार से मात्र ₹12/-की दर से भुगतान मिलता है
2. "पुलिस के पास हवा से चलने वाला वाहन" ।आइये जानते हैं कैसे:-
पुलिसकर्मियों को अपने दोपहिये वाहन में पेट्रोल डालने के लिये प्रतिमाह एक रुपया भी नहीं मिलता है, इसके बदले यह अपेक्षा की जाती है कि प्रत्येक पुलिसकर्मी पूरे महीने 24 घण्टे अपने क्षेत्र में घूम-घूमकर चौकसी करेंगे, शान्ति व्यवस्था बनाये रखेंगे,अपराधों की रोकथाम करेंगे, अगर अपराधियों का पीछा करते समय एक दो शहर पार भी करना पड़े तो भी करेंगे, मतलब दूरी की कोई बाध्यता नही॥
3. "पुलिस विभाग में हिन्दुस्तान की सबसे सस्ती कपड़ा सिलाई (₹30/- प्रति पैन्ट कमीज) । आइये जानते हैं कैसे:-
पुलिस विभाग के कर्मचारियों को वर्दी के लिये रु० 1800/- वार्षिक मिलते हैं जिसमें उसे सर्दी और गर्मी के लिए कम से कम दो-दो जोड़ी वर्दी अवश्य चाहिये होती हैं ! जबकि केबल सर्दी के लिये ही कम से कम रु० 3000/- में तैयार होगी ।
4."पुलिसकर्मी वाटरप्रूफ, कोल्डप्रूफ, हीटप्रूफ, संवेदनाहीन, खाने और उन्हें आराम की कोई जरूरत नही" ।आइये जानते हैं कैसे:-
पुलिस विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों का वेतन निर्धारण अन्य सिविल सरकारी महकमों के पदों के अनुरूप किया जाता है (₹ 1000 - 1500 का भत्ता व एक माह का अतिरिक्त वेतन देकर), सरकारी बाबू 10:00 बजे से सायं 5:00 बजे तक की ड्यूटी में एक घंटा लंच ब्रेक, साप्ताहिक के साथ साथ त्योहारों की छुट्टी, आफिसों में पंखे कूलर ए.सी. में बैठकर कार्य करते हैं इसके ठीक विपरीत पुलिस रेगुलेशन के अनुसार सर्दी, गर्मी व बरसात एवं प्रत्येक परिस्थिति में पुलिसकर्मी को 24 घण्टे सेवा एवं सुरक्षा हेतु तत्पर ही रहना होता है,सरकारी क्वार्टर ऐसे कि बिना घर के बाहर देखे या निकले ही मौसम का सटीक पता लग जाये। साप्ताहिक या त्यौहारिक छुट्टी, खाना खाने, सोने या आराम करने का पुलिस रेगुलेशन में कोई प्रावधान नहीं॥
5. "पुलिसकर्मी का कोई परिवार नहीं, सांसारिक मायामोह से परे" ।जानते हैं कैसे:-
होली, दीपावली, दशहरा, ईद, वैशाखी आदि त्योहारों में पुलिस विभाग के अलावा सभी विभागों की छुट्टी होती है। हाल ही में उत्तराखंड में आई भयानक आपदा के समय सभी कार्यालयों यहाँ तक भारतीय सेना तक ने अपने जितने कर्मचारियों के परिजन आपदाग्रस्त क्षेत्रों में निवास कर रहे थे उनकी सहायता एवं देखभाल हेतु ऐसे समस्त कर्मचारियों को तत्काल छुट्टी देकर उन्हें घर के लिये रवाना कर दिया, इसके ठीक उलट पुलिस विभाग को आपदा के समय कोई छुट्टी ना देकर सरकार द्वारा आपदा राहत कार्यों में लग जाने का आदेश दिया गया॥
"क्या पुलिस इंसान के रूप में रोबोट?"
पुलिस के इन सब त्याग के बावजूद हमारी जनता/राजनेता/मीडिया क्यों नहीं पुलिस रेगुलेशन में बदलाव करने की पैरवी करते ?
जो भी पुलिस को गलत बोलता है इसको जरूर पढे ।
पुलिस जो 24 घंटे ड्यूटी करते हैं ,हफ्ते में सातों दिन कायॆ करते हैं
क्या आपने कभी सोचा है वो भी हमारी तरह इंसान होते हैं, रोबोट नहीं !
कहीं घटना हो जाये और पुलिस मौके पे ना पहुचॅं पाये तो जनता पुलिस को गाली देती है
क्या आपने कभी सोचा है कि पुलिस का क्षेत्र कितना बडा़ होता है क्या पुलिस को जादू आता है ? अन्तरयामी है ? जो उड़ के पहुँच जायेगी! छुट्टी न मिलने से घर मे समस्या अलग !
अगर हम लोग इक बाऱ उनकी जगह
खुद को रख के देखें की अगर हमें एक दिन भी छुट्टी ना मिले
तो हम दिमागी रूप से कितने
परेशान रहेंगे, दिन में अगर एक गलत इन्सान मिल जाए तो हमारा दिन खराब और पुलिस को दिन भर कितने
लोगों को झेलना पडता है ! रात में जाग के पेट्रोलिंग भी करना, क्या पुलिस वाले के बच्चे नहीं होते ?
क्या पुलिस वालों का दिल नहीं करता की वो भी परिवार के साथ समय बितायें ? अगर ऐसा रहा तो पुलिस
की नौकरी मजबूरी बन जाएगी आज भी 40% लोग बेरोजगारी की वजह से करते हैं! 60% पिता अपनी बेटी की सादी पुलिस वालो से नहीं करना चाहता ! अब आप ही बताऐं क्या सारे पुलिस वाले गलत होते हैं ? उन्हें ऎसी ही सैकडों परेशानिओं से उनको गुजरना पडता है ! आशा करते है आप सब सहमत होंगे!
पुलिस वालो को भी हफ्ते में एक दिन
छुट्टी मिलनी चाहिए ।
एन०के०शर्मा
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