बालाघाट। यूं तो लोकतंत्र में
सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। जिलास्तर पर कलेक्टर एक ऐसा पद होता है
जहां सभी तरह की समस्याओं को प्रकट किया जाता है परंतु बालाघाट कलेक्टर ने
शिकायत सुनने की प्रक्रिया आरक्षित कर रखी है। वो चुन चुनकर ज्ञापन लेना
पसंद करते हैं। पत्रकार संदीप कोठारी हत्याकांड के बाद फरार आरोपी की
गिरफ्तारी और प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट की मांग को लेकर पहुंचे पत्रकार दल को
उन्होंने यह कहते हुए वापस लौटा दिया कि जो मर गया है वो क्रिमिनल था, आप
उसके लिए आए हो। शर्म की बात है।
संदीप कोठारी के हत्या में शामिल अपराधी की शीघ्र गिरफ्तारी औॅर पत्रकारों
को सुरक्षा व्यवस्था तथा प्रदेश में प्रेस प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की
मांग को लेकर वर्किंग जर्नीलिस्ट युनियन की इकाई के अध्यक्ष हरीश राहंगडाले
ने बालाघाट कलेक्टर व्ही किरण गोपाल से मिलने का समय मांगा। इस पर कलेक्टर
ने कहा कि आप लोग क्रिमिनल पत्रकार संदीप कोठारी के बारे मे ज्ञापन सौंप
रहे हो ये शर्म की बात है।
यहां सवाल यह है कि जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था में सजा ए मौत पाने वाले को
भी अपनी बात रखने का हर आखरी मौका दिया जाता है वहां एक कलेक्टर हत्याकांड
के फरार आरोपी को पकड़ने के लिए सौंपे जाने वाले ज्ञापन को स्वीकार करने तक
को तैयार नहीं। इससे पूर्व पुलिस ने मृत पत्रकार का क्राइम रिकार्ड
सार्वजनिक करके यह जताने की कोशिश की थी कि जो कुछ हुआ यही उस पत्रकार की
नियति थी। तो क्या यह मान लिया जाना चाहिए कि बालाघाट में सक्रिय माइनिंग
माफिया के यहां पूरा का पूरा सिस्टम गिरवी हो गया है और प्रशासन के प्रमुख
पदों पर बैठे अधिकारी दिखावे के लिए भी न्यायप्रिय बात करना नहीं चाहते।
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