Toc News @ Indore
इंदौर। फर्जी रसीदों के जरिये लाखों रुपए दान में लेने के मामले में सुधांशु महाराज को शाजापुर कोर्ट में पेश होना होगा। हाई कोर्ट ने उनकी ओर से लगी याचिका खारिज करते हुए आदेश दिया। आरोप है कि सुधांशु महाराज ने फर्जी रसीदों के जरिये टैक्स में छूट का लालच देकर लोगों से लाखों का दान लिया।
मक्सी निवासी एमपी मानसिंघा ने 2010 में शाजापुर कोर्ट में सुधांशु महाराज और उनके ट्रस्ट विश्व जागृति मिशन के खिलाफ परिवाद लगाया था। इसमें कहा था कि ट्रस्ट की रसीदों पर फर्जी सर्टिफिकेट नंबर देकर धारा 80 जी के तहत छूट का लालच दिया जा रहा है।
मानसिंघा ने भी ट्रस्ट को करीब 55 लाख रुपए का दान किए। छूट के लिए आयकर विभाग में आवेदन करने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। शाजापुर कोर्ट में लगे परिवाद पर कोर्ट ने सुधांशु महाराज और अन्य ट्रस्टियों का वारंट जारी किया था। खबर लगते ही सुधांशु महाराज ने परिवाद निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसके बाद शाजापुर कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे मिला था।
हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में मानसिंघा के वकील डॉ. मनोहर दलाल ने तर्क रखे कि ट्रस्ट की ओर से कोर्ट में पेश ट्रस्टियों ने स्वीकारा है कि रसीदों पर दिया गया नंबर बाद में मिला था। जिस वक्त रसीदें छपीं, उस वक्त कोई नंबर नहीं था। बावजूद इसके नंबर छापकर दानदाताओं के साथ धोखाधड़ी की गई।
न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने तर्कों से सहमत होते हुए सुधांशु महाराज के पक्ष में दिया स्टे निरस्त करते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया कि सुधांशु महाराज 30 जुलाई को शाजापुर कोर्ट में उपस्थित होकर जमानत आवेदन पेश करें।
इंदौर। फर्जी रसीदों के जरिये लाखों रुपए दान में लेने के मामले में सुधांशु महाराज को शाजापुर कोर्ट में पेश होना होगा। हाई कोर्ट ने उनकी ओर से लगी याचिका खारिज करते हुए आदेश दिया। आरोप है कि सुधांशु महाराज ने फर्जी रसीदों के जरिये टैक्स में छूट का लालच देकर लोगों से लाखों का दान लिया।
सुधांशु महाराज |
मानसिंघा ने भी ट्रस्ट को करीब 55 लाख रुपए का दान किए। छूट के लिए आयकर विभाग में आवेदन करने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। शाजापुर कोर्ट में लगे परिवाद पर कोर्ट ने सुधांशु महाराज और अन्य ट्रस्टियों का वारंट जारी किया था। खबर लगते ही सुधांशु महाराज ने परिवाद निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसके बाद शाजापुर कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे मिला था।
हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में मानसिंघा के वकील डॉ. मनोहर दलाल ने तर्क रखे कि ट्रस्ट की ओर से कोर्ट में पेश ट्रस्टियों ने स्वीकारा है कि रसीदों पर दिया गया नंबर बाद में मिला था। जिस वक्त रसीदें छपीं, उस वक्त कोई नंबर नहीं था। बावजूद इसके नंबर छापकर दानदाताओं के साथ धोखाधड़ी की गई।
न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने तर्कों से सहमत होते हुए सुधांशु महाराज के पक्ष में दिया स्टे निरस्त करते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया कि सुधांशु महाराज 30 जुलाई को शाजापुर कोर्ट में उपस्थित होकर जमानत आवेदन पेश करें।
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