Toc News @ Bhopal
भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा में आज 2 विधेयक और 4 संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया। उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन)संशोधन विधेयक अधिनियम-2007 की अनुसूची क्रमांक-15 तथा उससे संबंधित प्रविष्टियों के बाद अन्य प्रविष्टियाँ स्थापित करने के लिये लाया गया था। जिन प्रविष्टियों को अधिनियम में जोड़ा जायेगा, उनमें पी.के. विश्वविद्यालय शिवपुरी, मंदसौर विश्वविद्यालय और मेडीकेप्स विश्वविद्यालय इंदौर शामिल है।
श्रम विधियाँ और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक
संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश श्रम विधियाँ (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक को भी सदन ने पारित कर दिया। यह विधेयक प्रक्रिया को सरल बनाने और अधिनियमों में उपबंधों के दोहराव को रोकने तथा कर्मकारों के हित में समुचित संरक्षण के उद्देश्य से श्रम विधियों में संशोधन के लिये लाया गया था।
अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड
वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया द्वारा प्रस्तुत अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड (संशोधन) विधेयक प्रदेश के अधोसंरचना विकास और वित्तीय संसाधनों को एकत्रित करने के उद्देश्य से लाया गया। इसमें पूर्व की परियोजनाओं के साथ ऊर्जा, भांडागारण, खाद्यान्न भण्डारण, खाद्य प्र-संस्करण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, बागवानी और कृषि क्षेत्र की अन्य अधोसंरचना संबंधी परियोजनाओं आदि को जोड़ा गया है। अधोसंरचना विकास के साथ-साथ वित्तीय संसाधनों को एकत्रित करने एवं सरकारी परिजनाओं को वित्तीय सहायता देने का उद्देश्य भी विधेयक में शामिल है।
तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री सुश्री कुसुम महदेले द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश तंग करने वाले मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक को सदन ने पारित कर दिया। विधेयक में प्रावधान है कि महाधिवक्ता के किसी आवेदन पर उच्च न्यायालय को समाधान हो जाता है कि किसी व्यक्ति ने आदतन तथा बिना किसी युक्ति-युक्त आधार पर न्यायालय या अन्य न्यायालयों में एक ही व्यक्ति या विभिन्न व्यक्तियों के विरुद्ध तंग करने वाली सिविल या आपराधिक कार्यवाही की है, तो उच्च न्यायालय उस व्यक्ति को सुनने के बाद आदेश दे सकेगा कि उसके द्वारा किसी भी न्यायालय में कोई कार्यवाही संस्थित नहीं की जायेगी। आदेश के पहले उसके द्वारा किसी भी न्यायालय में संस्थित की गयी कोई विधिक कार्यवाही जारी नहीं रखी जायेगी।
किसी व्यक्ति को कार्यवाहियाँ संस्थित करने या उन्हें जारी रखने के पहले अनुमति प्राप्त करने के निर्देश देने वाले प्रत्येक आदेश को राजपत्र में प्रकाशित किया जायेगा। विधेयक में प्रावधान है कि जिस व्यक्ति को तंग करने वाला मुकदमा लगाने वाला घोषित किया गया है, उसके द्वारा न्यायालय की अनुमति प्राप्त किये बिना किसी न्यायालय ने संस्थित या जारी रखी गयी कार्यवाही न्यायालय द्वारा खारिज कर दी जायेगी। न्यायालय द्वारा अनुमति न देने के आदेश के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकेगी। परंतु किसी ऐसी अपील को जो उच्चतम न्यायालय के समक्ष की जाना है, लागू नहीं होगी। विधेयक में उच्च न्यायालय को अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिये नियम बनाने की शक्ति भी दी गयी है।
औद्योगिक सुरक्षा बल विधेयक
गृह मंत्री श्री बाबूलाल गौर द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश औद्योगिक सुरक्षा बल विधेयक भी पारित कर दिया गया। यह विधेयक पहली बार सदन में लाया गया। इसका उद्देश्य केन्द्रीय तथा राज्य की संस्थाओं को संरक्षण और सुरक्षा देने के लिये सशस्त्र बल का गठन करना है। साथ ही पर्यवेक्षण अधिकारियों की नियुक्ति और शक्तियों, बल के नामांकित सदस्यों की नियुक्ति, प्रमाण-पत्र, अधीक्षण, प्रशासन, कर्त्तव्य तथा परिनियोजन, वारंट के बिना गिरफ्तार करने, तलाशी लेने की शक्ति, औद्योगिक संस्थानों को तकनीकी परामर्श देना, पुलिस अधिकारियों के समान विशेषाधिकार तथा दण्ड और अपील इत्यादि प्रावधान विधेयक में शामिल किये गये हैं। बल के सदस्यों के कर्त्तव्य में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विधिपूर्ण आदेशों का पालन, नियोजन के स्थान की सुरक्षा, कर्मचारी और अधिकारियों का संरक्षण तथा उनकी सुरक्षा, नियोजन के स्थान तथा उसके आसपास स्थानीय पुलिस को सहायता देने का प्रावधान भी इसमें शामिल है।
वेट (संशोधन) विधेयक
वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया द्वारा मध्यप्रदेश वेट (संशोधन)विधेयक पूर्व में स्थापित किये गये वेट (संशोधन) अध्यादेश के प्रयोजन की पूर्ति के लिये लाया गया। वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में शामिल प्रस्तावों को कार्यान्वित करवाने तथा कई अन्य मामलों जैसे- रुग्ण और बंद औद्योगिक इकाइयों के शोध्यों को समाप्त करने के लिये अधिनियम में संशोधन तथा अन्य उपबंधों का युक्ति-युक्तकरण किया जाना था। बजट सत्र समाप्ति के बाद चूँकि सत्र चालू नहीं था, इसलिये इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये अध्यादेश लाया गया था।
भोपाल. मध्यप्रदेश विधानसभा में आज 2 विधेयक और 4 संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया। उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन)संशोधन विधेयक अधिनियम-2007 की अनुसूची क्रमांक-15 तथा उससे संबंधित प्रविष्टियों के बाद अन्य प्रविष्टियाँ स्थापित करने के लिये लाया गया था। जिन प्रविष्टियों को अधिनियम में जोड़ा जायेगा, उनमें पी.के. विश्वविद्यालय शिवपुरी, मंदसौर विश्वविद्यालय और मेडीकेप्स विश्वविद्यालय इंदौर शामिल है।
श्रम विधियाँ और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक
संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश श्रम विधियाँ (संशोधन) और प्रकीर्ण उपबंध विधेयक को भी सदन ने पारित कर दिया। यह विधेयक प्रक्रिया को सरल बनाने और अधिनियमों में उपबंधों के दोहराव को रोकने तथा कर्मकारों के हित में समुचित संरक्षण के उद्देश्य से श्रम विधियों में संशोधन के लिये लाया गया था।
अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड
वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया द्वारा प्रस्तुत अधोसंरचना विनिधान निधि बोर्ड (संशोधन) विधेयक प्रदेश के अधोसंरचना विकास और वित्तीय संसाधनों को एकत्रित करने के उद्देश्य से लाया गया। इसमें पूर्व की परियोजनाओं के साथ ऊर्जा, भांडागारण, खाद्यान्न भण्डारण, खाद्य प्र-संस्करण, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, बागवानी और कृषि क्षेत्र की अन्य अधोसंरचना संबंधी परियोजनाओं आदि को जोड़ा गया है। अधोसंरचना विकास के साथ-साथ वित्तीय संसाधनों को एकत्रित करने एवं सरकारी परिजनाओं को वित्तीय सहायता देने का उद्देश्य भी विधेयक में शामिल है।
तंग करने वाली मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री सुश्री कुसुम महदेले द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश तंग करने वाले मुकदमेबाजी (निवारण) विधेयक को सदन ने पारित कर दिया। विधेयक में प्रावधान है कि महाधिवक्ता के किसी आवेदन पर उच्च न्यायालय को समाधान हो जाता है कि किसी व्यक्ति ने आदतन तथा बिना किसी युक्ति-युक्त आधार पर न्यायालय या अन्य न्यायालयों में एक ही व्यक्ति या विभिन्न व्यक्तियों के विरुद्ध तंग करने वाली सिविल या आपराधिक कार्यवाही की है, तो उच्च न्यायालय उस व्यक्ति को सुनने के बाद आदेश दे सकेगा कि उसके द्वारा किसी भी न्यायालय में कोई कार्यवाही संस्थित नहीं की जायेगी। आदेश के पहले उसके द्वारा किसी भी न्यायालय में संस्थित की गयी कोई विधिक कार्यवाही जारी नहीं रखी जायेगी।
किसी व्यक्ति को कार्यवाहियाँ संस्थित करने या उन्हें जारी रखने के पहले अनुमति प्राप्त करने के निर्देश देने वाले प्रत्येक आदेश को राजपत्र में प्रकाशित किया जायेगा। विधेयक में प्रावधान है कि जिस व्यक्ति को तंग करने वाला मुकदमा लगाने वाला घोषित किया गया है, उसके द्वारा न्यायालय की अनुमति प्राप्त किये बिना किसी न्यायालय ने संस्थित या जारी रखी गयी कार्यवाही न्यायालय द्वारा खारिज कर दी जायेगी। न्यायालय द्वारा अनुमति न देने के आदेश के विरुद्ध अपील नहीं की जा सकेगी। परंतु किसी ऐसी अपील को जो उच्चतम न्यायालय के समक्ष की जाना है, लागू नहीं होगी। विधेयक में उच्च न्यायालय को अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिये नियम बनाने की शक्ति भी दी गयी है।
औद्योगिक सुरक्षा बल विधेयक
गृह मंत्री श्री बाबूलाल गौर द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश औद्योगिक सुरक्षा बल विधेयक भी पारित कर दिया गया। यह विधेयक पहली बार सदन में लाया गया। इसका उद्देश्य केन्द्रीय तथा राज्य की संस्थाओं को संरक्षण और सुरक्षा देने के लिये सशस्त्र बल का गठन करना है। साथ ही पर्यवेक्षण अधिकारियों की नियुक्ति और शक्तियों, बल के नामांकित सदस्यों की नियुक्ति, प्रमाण-पत्र, अधीक्षण, प्रशासन, कर्त्तव्य तथा परिनियोजन, वारंट के बिना गिरफ्तार करने, तलाशी लेने की शक्ति, औद्योगिक संस्थानों को तकनीकी परामर्श देना, पुलिस अधिकारियों के समान विशेषाधिकार तथा दण्ड और अपील इत्यादि प्रावधान विधेयक में शामिल किये गये हैं। बल के सदस्यों के कर्त्तव्य में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विधिपूर्ण आदेशों का पालन, नियोजन के स्थान की सुरक्षा, कर्मचारी और अधिकारियों का संरक्षण तथा उनकी सुरक्षा, नियोजन के स्थान तथा उसके आसपास स्थानीय पुलिस को सहायता देने का प्रावधान भी इसमें शामिल है।
वेट (संशोधन) विधेयक
वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया द्वारा मध्यप्रदेश वेट (संशोधन)विधेयक पूर्व में स्थापित किये गये वेट (संशोधन) अध्यादेश के प्रयोजन की पूर्ति के लिये लाया गया। वर्ष 2015-16 के बजट भाषण में शामिल प्रस्तावों को कार्यान्वित करवाने तथा कई अन्य मामलों जैसे- रुग्ण और बंद औद्योगिक इकाइयों के शोध्यों को समाप्त करने के लिये अधिनियम में संशोधन तथा अन्य उपबंधों का युक्ति-युक्तकरण किया जाना था। बजट सत्र समाप्ति के बाद चूँकि सत्र चालू नहीं था, इसलिये इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये अध्यादेश लाया गया था।
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