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अंबिकापुर. हत्या और डकैती का सजायाफ्ता कैदी बुधवार सुबह जिला अस्पताल में जेल प्रहरी को चकमा देकर भाग निकला। एक दूसरे बीमार बंदी का उपचार कराने के लिए जैसे ही जेल प्रहरी, ओपीडी में पर्ची लेने गया वैसे ही मौका देखकर शातिर कैदी फरार हो गया। जिला अस्पताल से कैदी के फरार होने की खबर लगी वैसे ही हड़कंप मच गया। आसपास खोजबीन करने के बावजूद फरार कैदी का कुछ पता नहीं चल सका। घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी गई है। प्रथम दृष्टया जेल प्रहरी की लापरवाही सामने आने पर जेल अधीक्षक ने उसे निलंबित कर जांच के आदेश दे दिए हैं।मिली जानकारी के मुताबिक हत्या और डकैती का सजायाफ्ता कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम पिता नन्दू पनिका 28 वर्ष को बीते 22 जुलाई को स्वास्थ्य खराब होने पर जेल प्रबंधन ने जिला अस्पताल में भर्ती किया था। जेल वार्ड में दाखिल कर उसका उपचार किया जा रहा था। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिला अस्पताल के जेल वार्ड में असरफ नामक दूसरा बंदी भी भर्ती था। बुधवार सुबह लगभग साढ़े 10 बजे असरफ की हालत गंभीर हो गई थी। ऐसी परिस्थिति में जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी तत्काल उसे ओपीडी में चिकित्सक के पास ले जाना चाह रहा था,ताकि तत्काल उसकी जांच कराई जा सके। बीमार बंदी असरफ सही तरीके से नहीं चल पा रहा था। तब जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी ने सहयोग के लिएजेल वार्ड में ही दाखिल कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम की मदद ली। जेल प्रहरी और कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम ने दो ओर से बीमार बंदी असरफ को सहारा देते हुए ओपीडी तक पहुंचाया। ओपीडी हाल में लगी कुर्सियों में दोनों को बैठाकर जेल प्रहरी,ओपीडी पर्ची लेने चला गया। उस दौरान दोनोंबंदियों की सुरक्षा में कोई भी तैनात नहीं था। इसे भागने के लिए शातिर बदमाश अन्नू कुमार ने अच्छा मौका माना। कोई शोर शराबा न करे,इसलिए वह कुर्सी से उठा और दिखावे के लिए उसी ओर जाने लगा जिधर जेल प्रहरी गया हुआ था,लेकिन वह मौका देखकर भाग निकला। जब जेल प्रहरी लौटकर आया तो देखा कि कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम मौके पर नहीं था। जब उसने बीमार बंदी असरफ से पूछताछ की तो पताचला कि अन्नू कुमार भी उसी के पीछे-पीछे गया था। जेल प्रहरी को माजरा समझने में देर नहीं लगी। तत्काल उसने पुलिस और जेल प्रबंधन को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। जिला अस्पताल से कैदी के फरार होने की खबर लगते ही हड़कंप मच गया। पुलिस और जेल विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अस्पताल परिसर तथा आसपास के इलाके में उसकी खोजबीन में लग गए,लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका। तब जाकर मामले की लिखित शिकायत पुलिस से की गई। पुलिस फरार कैदी की पतासाजी कर रही है।हत्या और डकैती में शामिल-जिला अस्पताल से फरार कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम मूलतः रामानुजनगर थाना क्षेत्र के ग्राम छिंदिया का रहने वाला है। वह धारा 449, 302, 397, 201, 34 का सजायाफ्ता कैदीहै। वारदात में शामिल रहने के दौरान वह हल्दीबाड़ी चिरमिरी में निवास करता था। विचाराधीन बंदी के रूप में उसे मनेंद्रगढ़ जेल से 27 फरवरी 2011 को केंद्रीय कारागार अंबिकापुर में शिफ्ट किया गया था। तभी से वह यहीं निरूद्घ है। बीते 28 फरवरी 2014 को मनेंद्रगढ़ की अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।जेल प्रहरी निलंबित-जिला अस्पताल से कैदी के फरार हो जाने के मामले में जेल अधीक्षक एनके टोप्पो ने प्रथम दृष्टया लापरवाही सामने आने पर जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी को निलंबित कर दिया है। उन्होंने पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। जेल अधीक्षक श्री टोप्पो का कहना है कि बीमार बंदी को इलाज के लिए ले जाने के दौरान दूसरे कैदी को साथ ले जाना उचित नहीं था। उन्होंने बताया कि फरार कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम को बीते 22 जुलाई को तबियत खराब होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे पथरी की बीमारी थी। उन्होंने बताया कि कैदी के फरार हो जाने की सूचना कलेक्टर, पुलिसअधीक्षक, कोतवाली अंबिकापुर और हल्दीबाड़ी चिरमिरी थाने को भी भेज दी गई है।आत्मविश्वास बनी चूक की वजह-जिला अस्पताल से कैदी के फरार हो जाने के मामले में कई सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि जेल वार्ड में सुरक्षा ड्यूटी के लिए पुलिस आरक्षक सजीत मिर्रे भी मौजूद था। हालांकि जेल वार्ड में ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों पर वार्ड में दाखिल कैदियों-बंदियों का उपचार कराने की जिम्मेदारी नहीं होती। यह काम जेल कर्मचारियों को करना पड़ता है। बुधवार सुबह जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी को जब बीमार बंदी को डाक्टर के पास ले जाने की जरूरत महसूस हुई,तब वह जेल के दूसरे कर्मचारियों की भी मदद ले सकता था। यदि जल्दबाजी थी तो अस्पताल के ही चतुर्थ वर्ग कर्मचारी को भीपकड़ने के लिए साथ में रखा जा सकता था,लेकिन उसके द्वारा अति आत्मविश्वास में जेल वार्ड में ही दाखिल शातिर अपराधी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम को साथ में रखना बड़ी चूक बनी। यह चूक कैसे हुई यह जांच का विषय है। बीमार बंदी को डाक्टर के पास ले जाने के लिए उसे पकड़ने और सहारा देने खुंखारकैदी का साथ लेना ही भारी पड़ गया। विभागीय जांच में ही स्पष्ट होगा कि यह मानवीय चूक थी या सुनियोजित साजिश।
अंबिकापुर. हत्या और डकैती का सजायाफ्ता कैदी बुधवार सुबह जिला अस्पताल में जेल प्रहरी को चकमा देकर भाग निकला। एक दूसरे बीमार बंदी का उपचार कराने के लिए जैसे ही जेल प्रहरी, ओपीडी में पर्ची लेने गया वैसे ही मौका देखकर शातिर कैदी फरार हो गया। जिला अस्पताल से कैदी के फरार होने की खबर लगी वैसे ही हड़कंप मच गया। आसपास खोजबीन करने के बावजूद फरार कैदी का कुछ पता नहीं चल सका। घटना की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी गई है। प्रथम दृष्टया जेल प्रहरी की लापरवाही सामने आने पर जेल अधीक्षक ने उसे निलंबित कर जांच के आदेश दे दिए हैं।मिली जानकारी के मुताबिक हत्या और डकैती का सजायाफ्ता कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम पिता नन्दू पनिका 28 वर्ष को बीते 22 जुलाई को स्वास्थ्य खराब होने पर जेल प्रबंधन ने जिला अस्पताल में भर्ती किया था। जेल वार्ड में दाखिल कर उसका उपचार किया जा रहा था। विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिला अस्पताल के जेल वार्ड में असरफ नामक दूसरा बंदी भी भर्ती था। बुधवार सुबह लगभग साढ़े 10 बजे असरफ की हालत गंभीर हो गई थी। ऐसी परिस्थिति में जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी तत्काल उसे ओपीडी में चिकित्सक के पास ले जाना चाह रहा था,ताकि तत्काल उसकी जांच कराई जा सके। बीमार बंदी असरफ सही तरीके से नहीं चल पा रहा था। तब जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी ने सहयोग के लिएजेल वार्ड में ही दाखिल कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम की मदद ली। जेल प्रहरी और कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम ने दो ओर से बीमार बंदी असरफ को सहारा देते हुए ओपीडी तक पहुंचाया। ओपीडी हाल में लगी कुर्सियों में दोनों को बैठाकर जेल प्रहरी,ओपीडी पर्ची लेने चला गया। उस दौरान दोनोंबंदियों की सुरक्षा में कोई भी तैनात नहीं था। इसे भागने के लिए शातिर बदमाश अन्नू कुमार ने अच्छा मौका माना। कोई शोर शराबा न करे,इसलिए वह कुर्सी से उठा और दिखावे के लिए उसी ओर जाने लगा जिधर जेल प्रहरी गया हुआ था,लेकिन वह मौका देखकर भाग निकला। जब जेल प्रहरी लौटकर आया तो देखा कि कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम मौके पर नहीं था। जब उसने बीमार बंदी असरफ से पूछताछ की तो पताचला कि अन्नू कुमार भी उसी के पीछे-पीछे गया था। जेल प्रहरी को माजरा समझने में देर नहीं लगी। तत्काल उसने पुलिस और जेल प्रबंधन को वस्तुस्थिति से अवगत कराया। जिला अस्पताल से कैदी के फरार होने की खबर लगते ही हड़कंप मच गया। पुलिस और जेल विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अस्पताल परिसर तथा आसपास के इलाके में उसकी खोजबीन में लग गए,लेकिन उसका कोई पता नहीं चल सका। तब जाकर मामले की लिखित शिकायत पुलिस से की गई। पुलिस फरार कैदी की पतासाजी कर रही है।हत्या और डकैती में शामिल-जिला अस्पताल से फरार कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम मूलतः रामानुजनगर थाना क्षेत्र के ग्राम छिंदिया का रहने वाला है। वह धारा 449, 302, 397, 201, 34 का सजायाफ्ता कैदीहै। वारदात में शामिल रहने के दौरान वह हल्दीबाड़ी चिरमिरी में निवास करता था। विचाराधीन बंदी के रूप में उसे मनेंद्रगढ़ जेल से 27 फरवरी 2011 को केंद्रीय कारागार अंबिकापुर में शिफ्ट किया गया था। तभी से वह यहीं निरूद्घ है। बीते 28 फरवरी 2014 को मनेंद्रगढ़ की अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।जेल प्रहरी निलंबित-जिला अस्पताल से कैदी के फरार हो जाने के मामले में जेल अधीक्षक एनके टोप्पो ने प्रथम दृष्टया लापरवाही सामने आने पर जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी को निलंबित कर दिया है। उन्होंने पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। जेल अधीक्षक श्री टोप्पो का कहना है कि बीमार बंदी को इलाज के लिए ले जाने के दौरान दूसरे कैदी को साथ ले जाना उचित नहीं था। उन्होंने बताया कि फरार कैदी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम को बीते 22 जुलाई को तबियत खराब होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे पथरी की बीमारी थी। उन्होंने बताया कि कैदी के फरार हो जाने की सूचना कलेक्टर, पुलिसअधीक्षक, कोतवाली अंबिकापुर और हल्दीबाड़ी चिरमिरी थाने को भी भेज दी गई है।आत्मविश्वास बनी चूक की वजह-जिला अस्पताल से कैदी के फरार हो जाने के मामले में कई सवाल खड़े हो गए हैं। बताया जा रहा है कि जेल वार्ड में सुरक्षा ड्यूटी के लिए पुलिस आरक्षक सजीत मिर्रे भी मौजूद था। हालांकि जेल वार्ड में ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों पर वार्ड में दाखिल कैदियों-बंदियों का उपचार कराने की जिम्मेदारी नहीं होती। यह काम जेल कर्मचारियों को करना पड़ता है। बुधवार सुबह जेल प्रहरी कपूर सिंह मरावी को जब बीमार बंदी को डाक्टर के पास ले जाने की जरूरत महसूस हुई,तब वह जेल के दूसरे कर्मचारियों की भी मदद ले सकता था। यदि जल्दबाजी थी तो अस्पताल के ही चतुर्थ वर्ग कर्मचारी को भीपकड़ने के लिए साथ में रखा जा सकता था,लेकिन उसके द्वारा अति आत्मविश्वास में जेल वार्ड में ही दाखिल शातिर अपराधी अन्नू कुमार उर्फ पुरूषोत्तम को साथ में रखना बड़ी चूक बनी। यह चूक कैसे हुई यह जांच का विषय है। बीमार बंदी को डाक्टर के पास ले जाने के लिए उसे पकड़ने और सहारा देने खुंखारकैदी का साथ लेना ही भारी पड़ गया। विभागीय जांच में ही स्पष्ट होगा कि यह मानवीय चूक थी या सुनियोजित साजिश।
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