Toc News @ Bhopal
भोपाल की लोकायुक्त पुलिस ने उद्यमिता विकास केन्द्र (सेडमैप) के कार्यकारी संचालक जितेंद्र तिवारी के बंगले पर छापे की कार्रवाई की है. इस कार्रवाई में आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ है. जितेंद्र तिवारी ने जमीनों में भारी निवेश कर रखा था. इसके अलावा करीब दो किलो सोने के जेवरात भी मिले है.
लोकायुक्त डीएसपी ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर छापे की कार्रवाई की गईं. लोकायुक्त पुलिस की टीम ने सबसे पहले जितेंद्र तिवारी के E-7 स्थित बंगले पर पहुंची. यहां जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. अब तक की कार्रवाई में आईएसबीटी में तीन दुकानें, अंसल प्लाजा में फ्लैट के अलावा E-7 के बंगले की जानकारी मिली है. साथ ही इंदौर में भी जमीन में निवेश की जानकारी मिली है.
लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक जितेंद्र तिवारी ने कई विदेश यात्राएं भी की है. उनके घर से विदेशी मुद्रा के अलावा दो किलो सोने के जेवरात मिलने की बात भी सामने आ रही है. तीन गाड़ियों के अलावा बैक लॉकर की जानकारी भी मिली है.
कौन है जितेंद्र तिवारी
गुना के रहने वाले जितेंद्र तिवारी पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. 2002 तक वह प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाते थे. वर्ष 2002 में सेडमैप में तिवारी की एंट्री फायनेंशियल एडवायजर के तौर पर हुई. इसमें उन्हें 5000 रुपए महीने का मानदेय मिलता था. जितेंद्र तिवारी फिर यहीं सीईओ बन गए और फिर उन्हें कार्यकारी संचालक का ओहदा दे दिया गया. आरोप हैं कि नियमों को दरकिनार कर उन्हें यह नियुक्ति मिली.
जितेंद्र तिवारी के बंगले पर छापे की कार्रवाई |
लोकायुक्त डीएसपी ने बताया कि आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर छापे की कार्रवाई की गईं. लोकायुक्त पुलिस की टीम ने सबसे पहले जितेंद्र तिवारी के E-7 स्थित बंगले पर पहुंची. यहां जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. अब तक की कार्रवाई में आईएसबीटी में तीन दुकानें, अंसल प्लाजा में फ्लैट के अलावा E-7 के बंगले की जानकारी मिली है. साथ ही इंदौर में भी जमीन में निवेश की जानकारी मिली है.
लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक जितेंद्र तिवारी ने कई विदेश यात्राएं भी की है. उनके घर से विदेशी मुद्रा के अलावा दो किलो सोने के जेवरात मिलने की बात भी सामने आ रही है. तीन गाड़ियों के अलावा बैक लॉकर की जानकारी भी मिली है.
कौन है जितेंद्र तिवारी
गुना के रहने वाले जितेंद्र तिवारी पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट थे. 2002 तक वह प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाते थे. वर्ष 2002 में सेडमैप में तिवारी की एंट्री फायनेंशियल एडवायजर के तौर पर हुई. इसमें उन्हें 5000 रुपए महीने का मानदेय मिलता था. जितेंद्र तिवारी फिर यहीं सीईओ बन गए और फिर उन्हें कार्यकारी संचालक का ओहदा दे दिया गया. आरोप हैं कि नियमों को दरकिनार कर उन्हें यह नियुक्ति मिली.
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