Toc News @ Jabalpur
जबलपुर। हाईकोर्ट ने आज स्कॉलरशिप घोटाले से संबंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कमिश्नर, कलेक्टर एवं सीबीआई सहित 14 प्रमुख अधिकारियों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
मामला प्राइवेट कॉलेजों में SC/ST/OBC छात्रों की स्कॉलरशिप हड़प जाने का है। यह प्रक्रिया लगभग पूरे प्रदेश में दोहराई गई है। सागर में ऐसा एक मामला पकड़े जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। कमिश्नर सागर ने फाइल को नस्तीबद्ध कर दिया।
याचिकाकर्ता
जगदेव सिंह ठाकुर आरटीआई कार्यकर्ता एवं एडवोकेट
प्रकरण जिसे उदाहरण के रूप में पेश किया गया
सागर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज के संचालक पवन कुमार ताम्रकार द्वारा अध्यनरत छात्रों के नाम से पंजाब नेशनल बैंक सागर मं फर्जी खाता खोले गये एवं उन खातो से फर्जी हस्ताक्षर कर छात्रवृत्ति हड़प की गयी है। संबधित छात्रों द्वारा म0.प्र0 जनशिकायत विभाग सहित समस्त उच्च अधिकारियों से शिकायत की गयी थी। उक्त शिकायत की जांच हाईपावर कमेटी द्वारा की गयी तथा संबंधित कालेज द्वारा की गयी व्यापक पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का दस्तावेजों सहित प्रतिवेदित किया गया है। उक्त जांच रिपोर्ट को कमिश्नर सागर द्वारा बिना किसी पर्याप्त आधार के कालेज संचालक से मेलजोल कर नस्तीबद्ध कर दिया गया है। जिससे कमिश्नर सागर श्री आर0के0 माथुर को भूमिका संदिग्धता को जन्म देती है।
नोटिस जारी करने के आदेश
उपरोक्त प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई करते हुये माननीय न्यायमूर्ति श्री राजेन्द्र मेनन एवं न्यायमूर्ति श्री सुशील कुमार गुप्ता की युगलपीट द्वारा की गई प्रकरण में उल्लेखित तथ्योें की गंभीरता को दृष्टिगत द्वारा माननीय डिवीजन बैंच द्वारा सी.बी.आई. द्वारा समस्त 13 अनावेदको को नोटिस जारी करने के आदेश दिये गये है।
जिन्हे नोटिस जारी किए गए
सामाजिक न्याय मंत्रालय भारत सरकार,
प्रमुख सचिव ट्रायवल अफेयरर्स मंत्रालय, भारत सरकार,
मुख्य सचिव भारत सरकार,
आयुक्त अनूसुचित जाति विभाग भोपाल,
आयुक्त अनूसूचित जनजाति विभाग भोपाल,
आयुक्त अन्य पिछड़ा वर्ग विकास भोपाल,
संचालक उच्च शिक्षा विभाग भोपाल,
डायरेक्टर आर्थिक अपराध अन्वेषण जांच ब्यूरो भोपाल,
डायरेक्टर जनरल सी.बी.आई. भोपाल
कमिश्नर सागर
कलेक्टर सागर,
पुलिस अधीक्षक सागर,
हौम्योपैथिक काउंसिल आॅफ इंडिया नई दिल्ली,
सागर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज है
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी
अधिवक्ता विवेक पाण्डेय तथा
रामेश्वर पी. सिंह द्वारा की गई।
जबलपुर। हाईकोर्ट ने आज स्कॉलरशिप घोटाले से संबंधित एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कमिश्नर, कलेक्टर एवं सीबीआई सहित 14 प्रमुख अधिकारियों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
मामला प्राइवेट कॉलेजों में SC/ST/OBC छात्रों की स्कॉलरशिप हड़प जाने का है। यह प्रक्रिया लगभग पूरे प्रदेश में दोहराई गई है। सागर में ऐसा एक मामला पकड़े जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। कमिश्नर सागर ने फाइल को नस्तीबद्ध कर दिया।
याचिकाकर्ता
जगदेव सिंह ठाकुर आरटीआई कार्यकर्ता एवं एडवोकेट
प्रकरण जिसे उदाहरण के रूप में पेश किया गया
सागर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज के संचालक पवन कुमार ताम्रकार द्वारा अध्यनरत छात्रों के नाम से पंजाब नेशनल बैंक सागर मं फर्जी खाता खोले गये एवं उन खातो से फर्जी हस्ताक्षर कर छात्रवृत्ति हड़प की गयी है। संबधित छात्रों द्वारा म0.प्र0 जनशिकायत विभाग सहित समस्त उच्च अधिकारियों से शिकायत की गयी थी। उक्त शिकायत की जांच हाईपावर कमेटी द्वारा की गयी तथा संबंधित कालेज द्वारा की गयी व्यापक पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का दस्तावेजों सहित प्रतिवेदित किया गया है। उक्त जांच रिपोर्ट को कमिश्नर सागर द्वारा बिना किसी पर्याप्त आधार के कालेज संचालक से मेलजोल कर नस्तीबद्ध कर दिया गया है। जिससे कमिश्नर सागर श्री आर0के0 माथुर को भूमिका संदिग्धता को जन्म देती है।
नोटिस जारी करने के आदेश
उपरोक्त प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई करते हुये माननीय न्यायमूर्ति श्री राजेन्द्र मेनन एवं न्यायमूर्ति श्री सुशील कुमार गुप्ता की युगलपीट द्वारा की गई प्रकरण में उल्लेखित तथ्योें की गंभीरता को दृष्टिगत द्वारा माननीय डिवीजन बैंच द्वारा सी.बी.आई. द्वारा समस्त 13 अनावेदको को नोटिस जारी करने के आदेश दिये गये है।
जिन्हे नोटिस जारी किए गए
सामाजिक न्याय मंत्रालय भारत सरकार,
प्रमुख सचिव ट्रायवल अफेयरर्स मंत्रालय, भारत सरकार,
मुख्य सचिव भारत सरकार,
आयुक्त अनूसुचित जाति विभाग भोपाल,
आयुक्त अनूसूचित जनजाति विभाग भोपाल,
आयुक्त अन्य पिछड़ा वर्ग विकास भोपाल,
संचालक उच्च शिक्षा विभाग भोपाल,
डायरेक्टर आर्थिक अपराध अन्वेषण जांच ब्यूरो भोपाल,
डायरेक्टर जनरल सी.बी.आई. भोपाल
कमिश्नर सागर
कलेक्टर सागर,
पुलिस अधीक्षक सागर,
हौम्योपैथिक काउंसिल आॅफ इंडिया नई दिल्ली,
सागर होम्योपैथिक मेडिकल कालेज है
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी
अधिवक्ता विवेक पाण्डेय तथा
रामेश्वर पी. सिंह द्वारा की गई।
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