Toc News @ Bhopal
भोपाल। प्रदेश भर में विवादित सरकारी भूमि पर 10 साल से काबिज दुकानदार, गोदाम, उद्योग सहित जमीन का व्यावसायिक उपयोग करने वाले लोगों को राज्य सरकार मालिकाना हक देगी। इस संबंध में भू-राजस्व संहिता में एक बार फिर से बदलाव किया जा रहा है।
इसके पहले राज्य सरकार जुलाई 2013 में अधिनियम में बदलाव कर कृषि और आवासीय क्षेत्र पर बसे लोगों को वैधानिक हक देने का विधानसभा में विधेयक पारित कर चुकी है। हालांकि इसके नियम न बनने के कारण इसे अब तक लागू नहीं किया जा सकता है।
नया विधेयक पारित होने के बाद इसका लाभ विशेष तौर पर भोपाल के बैरागढ़ और ईदगाह हिल्स निवासियों के साथ व्यवसायियों को भी मिलेगा जो सालों से मर्जर एग्रीमेंट के कारण अपनी संपत्ति के मालिक होने के बावजूद वैध मालिकाना हक जताने से वंचित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अधिनियम में बदलाव के बाद धारा 162 के नियम का मसौदा तैयार होने पर मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा की अध्यक्षता वाली सिनियर सेक्रेटरी वाली समिति ने इसमें कृषि और आवासीय के साथ व्यावसायिक एवं अन्य उपयोगों को शामिल करने का निर्णय लिया है।
इसके चलते अब इस अधिनियम में फिर से बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट को भेजा गया है। नए प्रस्ताव के अनुसार धारा 62 में दो श्रेणी बनाई गई हैं। एक में कृषि उपयोग और दूसरे में गैर कृषि उपयोग (मकान, दूकान, गोदाम, उद्योग और अन्य) शामिल हैं। विधेयक में संशोधन होने के बाद इसके नियम बनने के बाद कब्जेधारियों को मालिकाना हक दिया जाएगा।
यह होगी प्रक्रिया
अधिनियम में बदलाव होने के बाद इसके नियम बनाए जाएंगे। इसके अनुसार संबंधित कलेक्टर अपने जिले में ऐसी विवादित जमीन का सर्वे कर इसे नोटिफाई कर सरकार को जानकारी भेजेंगे। इसमें 100 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि और 10 हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीन पर गैर कृषि उपयोग के क्षेत्रों को नोटिफाई किया जाएगा। इससे कम क्षेत्रफल वाली जमीन पर कब्जेधारियों को लाभ नहीं मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा इसमें पहली श्रेणी में खेती-किसानी की जमीन को और दूसरी श्रेणी में गैर आवासीय क्षेत्र को रखा गया है
भोपाल। प्रदेश भर में विवादित सरकारी भूमि पर 10 साल से काबिज दुकानदार, गोदाम, उद्योग सहित जमीन का व्यावसायिक उपयोग करने वाले लोगों को राज्य सरकार मालिकाना हक देगी। इस संबंध में भू-राजस्व संहिता में एक बार फिर से बदलाव किया जा रहा है।
इसके पहले राज्य सरकार जुलाई 2013 में अधिनियम में बदलाव कर कृषि और आवासीय क्षेत्र पर बसे लोगों को वैधानिक हक देने का विधानसभा में विधेयक पारित कर चुकी है। हालांकि इसके नियम न बनने के कारण इसे अब तक लागू नहीं किया जा सकता है।
नया विधेयक पारित होने के बाद इसका लाभ विशेष तौर पर भोपाल के बैरागढ़ और ईदगाह हिल्स निवासियों के साथ व्यवसायियों को भी मिलेगा जो सालों से मर्जर एग्रीमेंट के कारण अपनी संपत्ति के मालिक होने के बावजूद वैध मालिकाना हक जताने से वंचित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अधिनियम में बदलाव के बाद धारा 162 के नियम का मसौदा तैयार होने पर मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा की अध्यक्षता वाली सिनियर सेक्रेटरी वाली समिति ने इसमें कृषि और आवासीय के साथ व्यावसायिक एवं अन्य उपयोगों को शामिल करने का निर्णय लिया है।
इसके चलते अब इस अधिनियम में फिर से बदलाव करने का प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट को भेजा गया है। नए प्रस्ताव के अनुसार धारा 62 में दो श्रेणी बनाई गई हैं। एक में कृषि उपयोग और दूसरे में गैर कृषि उपयोग (मकान, दूकान, गोदाम, उद्योग और अन्य) शामिल हैं। विधेयक में संशोधन होने के बाद इसके नियम बनने के बाद कब्जेधारियों को मालिकाना हक दिया जाएगा।
यह होगी प्रक्रिया
अधिनियम में बदलाव होने के बाद इसके नियम बनाए जाएंगे। इसके अनुसार संबंधित कलेक्टर अपने जिले में ऐसी विवादित जमीन का सर्वे कर इसे नोटिफाई कर सरकार को जानकारी भेजेंगे। इसमें 100 हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि और 10 हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीन पर गैर कृषि उपयोग के क्षेत्रों को नोटिफाई किया जाएगा। इससे कम क्षेत्रफल वाली जमीन पर कब्जेधारियों को लाभ नहीं मिलेगा। राज्य सरकार द्वारा इसमें पहली श्रेणी में खेती-किसानी की जमीन को और दूसरी श्रेणी में गैर आवासीय क्षेत्र को रखा गया है
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