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भोपाल। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में शायद साहस की कमी नहीं परन्तु सामंजस्य से बनाना चाहते है पत्रकार भवन। इसका जीता-जागता उदाहरण भोपाल के पत्रकार भवन है। पत्रकार भवन इन दिनों प्रदेश के जनसम्पर्क विभाग के अधीन है। इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहल करते हुए अपनी इच्छा को सार्वजनिक करते हुये कहा कि वह चाहते है कि पत्रकार भवन विश्व के श्रेष्ठतम् भवन में से एक होना चाहिए। यही नहीं उनकी इस इच्छा को साकार करने की दिशा में पत्रकारों ने पहल कर इसकी कार्य योजना तैयार करवाई।
परन्तु मुख्यमंत्री की इस भवन को लेकर भावना एवं योजना को एक व्यक्ति की हठधर्मी के कारण देरी होती दिख रही है। पत्रकार भवन की जमीन को कलेक्टर ने जनसम्पर्क विभाग को आवंटित कर दी है। भवन को पत्रकार संगठन ने भी जनसम्पर्क विभाग को दे दिया। जनसम्पर्क विभाग ने एक कमरे को छोडक़र शेष पर अपने ताले डाल दिये तथा उसकी सुरक्षा के लिए तीन गार्डों की भी नियुक्ति कर दी है। जो कि पत्रकार भवन के सामने से रखवाली कर रहे हैं। व्यक्ति विशेष उन्हें पत्रकार भवन के अंदर नहीं घुसने दे रहे हैं।
सरकार चाहती तो एक कमरे को छोडक़र शेष भवन को जमीदोष कर सकती थी, परन्तु ऐसा इसलिये नहीं किया गया क्योंकि जनसम्पर्क विभाग सामंजस्य के साथ भवन का निर्माण कराना चाहता है। हाईकोर्ट के निर्देश पर आयुक्त (राजस्व) भोपाल संभाग को 6 माह में निर्णय देने के आदेश हुये। परन्तु पुन: कुछ पत्रकार संगठन के पदाधिकारियों ने अडग़ां डाल दिया। इस तरह पत्रकार भवन के नवनिर्माण में विलंब हो रहा है।
सरकार को चाहिए कि इस मामले को शीघ्रता से हल करें। अभी यह मामला आयुक्त (राजस्व) भोपाल संभाग के न्यायालय में विचाराधीन है। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट के निर्देश पर आयुक्त (राजस्व) भोपाल संभाग को मामले का निर्णय 6 सप्ताह में देना था। परन्तु गतिरोध के कारण निर्णय नहीं हो पा रहा है। इस तरह से देखा जाए तो हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना हो रही है। एक अच्छे कार्य में पत्रकार संगठनों द्वारा अवरोध पैदा करना शर्मनाक ही नहीं अशोभनीय भी है।
एक फेक्स से डर गई थी सरकार
इसी तरह की एक घटना मुझे याद आ गई कि पत्रकारों के पुरोधा स्व.गणेश शंकर विद्यार्थी के जन्म दिवस पर मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के मुंगावली में एक भव्य आयोजन होने की रूप-रेखा तैयार की गई थी। इस आयोजन में देश के लगभग 2000 से अधिक पत्रकारों को आमंत्रित किया जाना था। तत्कालीन संस्कृति एवं जनसम्पर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी जिसके सचिव तत्कालीन आयुक्त जनसम्पर्क श्री पंकज राग थे। कार्यक्रम की रूप-रेखा पूर्ण हो चुकी थी। परन्तु दुर्भाग्य मुंगावली का नहीं, दुर्भाग्य प्रदेश के पत्रकारों का भी कि इतने भव्य आयोजन को मात्र एक फेक्स मिलने के कारण निरस्त करना पड़ा। फेक्स था एक पत्रकार संगठन का, जिसमें यह धमकी दी गई थी कि यह आयोजन होता है तो वे काले झण्डे दिखाकर विरोध करेंगे।
मुझे जहां तक ज्ञात है उक्त कार्यक्रम में माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भी आमंत्रित किया जाना था तथा मध्यप्रदेश की माटी मूर्धन्य पत्रकारों को भी आमंत्रण जाना था। इसी अवसर पर मुंगावली में पत्रकारों के पुरोधा स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी जी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए कुछ कार्य होने थे। इतने बड़े आयोजन को एक धमकी के कारण रोक देना का सीधा अर्थ यह लगाया जाता है कि सरकार उस काले झण्डे की धमकी से डर गई और उसने कार्यक्रम निरस्त कर दिया।
मेरा मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया माननीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान से निवेदन है कि इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर स्वयं पहल कर निराकरण करायें। देश एवं प्रदेश के पत्रकारों से अनुरोध है कि पत्रकार भवन के निर्माण में राज्य सरकार को अपना पूर्ण सहयोग देकर पत्रकारों के लिए बनने वाले पत्रकार भवन के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें।
भोपाल। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में शायद साहस की कमी नहीं परन्तु सामंजस्य से बनाना चाहते है पत्रकार भवन। इसका जीता-जागता उदाहरण भोपाल के पत्रकार भवन है। पत्रकार भवन इन दिनों प्रदेश के जनसम्पर्क विभाग के अधीन है। इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहल करते हुए अपनी इच्छा को सार्वजनिक करते हुये कहा कि वह चाहते है कि पत्रकार भवन विश्व के श्रेष्ठतम् भवन में से एक होना चाहिए। यही नहीं उनकी इस इच्छा को साकार करने की दिशा में पत्रकारों ने पहल कर इसकी कार्य योजना तैयार करवाई।
परन्तु मुख्यमंत्री की इस भवन को लेकर भावना एवं योजना को एक व्यक्ति की हठधर्मी के कारण देरी होती दिख रही है। पत्रकार भवन की जमीन को कलेक्टर ने जनसम्पर्क विभाग को आवंटित कर दी है। भवन को पत्रकार संगठन ने भी जनसम्पर्क विभाग को दे दिया। जनसम्पर्क विभाग ने एक कमरे को छोडक़र शेष पर अपने ताले डाल दिये तथा उसकी सुरक्षा के लिए तीन गार्डों की भी नियुक्ति कर दी है। जो कि पत्रकार भवन के सामने से रखवाली कर रहे हैं। व्यक्ति विशेष उन्हें पत्रकार भवन के अंदर नहीं घुसने दे रहे हैं।
सरकार चाहती तो एक कमरे को छोडक़र शेष भवन को जमीदोष कर सकती थी, परन्तु ऐसा इसलिये नहीं किया गया क्योंकि जनसम्पर्क विभाग सामंजस्य के साथ भवन का निर्माण कराना चाहता है। हाईकोर्ट के निर्देश पर आयुक्त (राजस्व) भोपाल संभाग को 6 माह में निर्णय देने के आदेश हुये। परन्तु पुन: कुछ पत्रकार संगठन के पदाधिकारियों ने अडग़ां डाल दिया। इस तरह पत्रकार भवन के नवनिर्माण में विलंब हो रहा है।
सरकार को चाहिए कि इस मामले को शीघ्रता से हल करें। अभी यह मामला आयुक्त (राजस्व) भोपाल संभाग के न्यायालय में विचाराधीन है। ज्ञात हो कि हाईकोर्ट के निर्देश पर आयुक्त (राजस्व) भोपाल संभाग को मामले का निर्णय 6 सप्ताह में देना था। परन्तु गतिरोध के कारण निर्णय नहीं हो पा रहा है। इस तरह से देखा जाए तो हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना हो रही है। एक अच्छे कार्य में पत्रकार संगठनों द्वारा अवरोध पैदा करना शर्मनाक ही नहीं अशोभनीय भी है।
एक फेक्स से डर गई थी सरकार
इसी तरह की एक घटना मुझे याद आ गई कि पत्रकारों के पुरोधा स्व.गणेश शंकर विद्यार्थी के जन्म दिवस पर मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के मुंगावली में एक भव्य आयोजन होने की रूप-रेखा तैयार की गई थी। इस आयोजन में देश के लगभग 2000 से अधिक पत्रकारों को आमंत्रित किया जाना था। तत्कालीन संस्कृति एवं जनसम्पर्क मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी जिसके सचिव तत्कालीन आयुक्त जनसम्पर्क श्री पंकज राग थे। कार्यक्रम की रूप-रेखा पूर्ण हो चुकी थी। परन्तु दुर्भाग्य मुंगावली का नहीं, दुर्भाग्य प्रदेश के पत्रकारों का भी कि इतने भव्य आयोजन को मात्र एक फेक्स मिलने के कारण निरस्त करना पड़ा। फेक्स था एक पत्रकार संगठन का, जिसमें यह धमकी दी गई थी कि यह आयोजन होता है तो वे काले झण्डे दिखाकर विरोध करेंगे।
मुझे जहां तक ज्ञात है उक्त कार्यक्रम में माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को भी आमंत्रित किया जाना था तथा मध्यप्रदेश की माटी मूर्धन्य पत्रकारों को भी आमंत्रण जाना था। इसी अवसर पर मुंगावली में पत्रकारों के पुरोधा स्व. गणेश शंकर विद्यार्थी जी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए कुछ कार्य होने थे। इतने बड़े आयोजन को एक धमकी के कारण रोक देना का सीधा अर्थ यह लगाया जाता है कि सरकार उस काले झण्डे की धमकी से डर गई और उसने कार्यक्रम निरस्त कर दिया।
मेरा मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया माननीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान से निवेदन है कि इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर स्वयं पहल कर निराकरण करायें। देश एवं प्रदेश के पत्रकारों से अनुरोध है कि पत्रकार भवन के निर्माण में राज्य सरकार को अपना पूर्ण सहयोग देकर पत्रकारों के लिए बनने वाले पत्रकार भवन के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करें।
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