Toc News @ Bhopal
भोपाल। मप्र के संविदा कर्मचारियों के हित में एक बड़ा फैसला आया है। समान काम समान वेतन की मांग कर रहे कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने समान भत्ते दिए जाने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इस बारे में सरकार से तीन माह में रिपोर्ट मांगी है।
हाईकोर्ट के जस्टिस एसके गंगेले की सिंगल बेंच ने मप्र राज्य शिक्षा केंद्र कर्मचारी संगठन की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाल ही में यह आदेश दिया। संगठन के स्टेट प्रेसिडेंट रमेश राठौर ने तीन साल पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में राज्य शिक्षा केंद्र के गठन के वक्त शासन द्वारा दिए गए आदेश के आधार पर भत्ते व सुविधाओं की मांग की गई थी।
मांग में कहा गया था कि नियमित कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता, गृह भाड़ा, मेडिकल अलाउंस, समयमान वेतनमान, क्रमोन्नति, प्रमोशन, वेतनवृद्धि व छठवें वेतनमान का लाभ दिया जाए। शासन के इस आदेश में उल्लेख था कि राज्य शिक्षा केंद्र में काम करने वाले सभी कर्मचारियों पर भी प्रचलित शासकीय सेवा नियम लागू होंगे।
संगठन ने याचिका में शासन पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाते हुए कहा था कि सेवा में कोई कमी होने पर संविदा कर्मचारियों को शासकीय सेवा नियम के तहत दंडित किया जाता है,
भोपाल। मप्र के संविदा कर्मचारियों के हित में एक बड़ा फैसला आया है। समान काम समान वेतन की मांग कर रहे कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने समान भत्ते दिए जाने के आदेश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने इस बारे में सरकार से तीन माह में रिपोर्ट मांगी है।
हाईकोर्ट के जस्टिस एसके गंगेले की सिंगल बेंच ने मप्र राज्य शिक्षा केंद्र कर्मचारी संगठन की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाल ही में यह आदेश दिया। संगठन के स्टेट प्रेसिडेंट रमेश राठौर ने तीन साल पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में राज्य शिक्षा केंद्र के गठन के वक्त शासन द्वारा दिए गए आदेश के आधार पर भत्ते व सुविधाओं की मांग की गई थी।
मांग में कहा गया था कि नियमित कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता, गृह भाड़ा, मेडिकल अलाउंस, समयमान वेतनमान, क्रमोन्नति, प्रमोशन, वेतनवृद्धि व छठवें वेतनमान का लाभ दिया जाए। शासन के इस आदेश में उल्लेख था कि राज्य शिक्षा केंद्र में काम करने वाले सभी कर्मचारियों पर भी प्रचलित शासकीय सेवा नियम लागू होंगे।
संगठन ने याचिका में शासन पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाते हुए कहा था कि सेवा में कोई कमी होने पर संविदा कर्मचारियों को शासकीय सेवा नियम के तहत दंडित किया जाता है,
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