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भोपाल। व्यापमं घोटाले के मामले में भाजपा के नेता कितने भी एकजुट क्यों ना हो जाएं, शिवराज के सीने से व्यापमं का डंक निकलने वाला नहीं है। अब एक नया खुलासा हुआ है। उस समय जबकि व्यापमं घोटाले की जांच चल रही थी। व्यापमं के पूर्व अध्यक्ष मलय राय जांच की जद में थे और शिवराज सिंह चौहान विदेश में थे। तब शिवराज ने विदेश से फोन करके मलय राय की नियुक्ति वित्त आयोग में सदस्य के तौर पर कराई। सवाल सिर्फ इतना सा कि ऐसी क्या जल्दी थी ?
सन 2009-10 में मलय राय व्यापमं के अध्यक्ष रहे।
6 जून 2014 को उनकी नियुक्ति के आदेश जारी हुए।
उन्हें मप्र राज्य वित्तय आयोग का सदस्य बनाया गया।
6 जून 2014 को शिवराज सिंह विदेश में थे।
सरकारी रिकार्ड के अनुसार उन्होंने फोन पर आदेश जारी किए।
यह एक इमजेंसी टेलीफोन था, जिसका तत्काल पालन हुआ।
यह खुलासा व्हिस्लब्लोअर अजय दुबे को राज्य वित्त विभाग से आरटीआई के तहत मिले जवाब से हुआ है। आरटीआई जवाब के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने नियुक्ति के प्रस्ताव को टेलीफोन पर मंजूरी दी, जो विदेश दौरे से उनके लौटने के बाद औपचारिक पुष्टि का विषय था। राज्य वित्त विभाग के आदेश की एक प्रति को आरटीआई जवाब के साथ प्रदान किया गया है। जवाब में यह भी कहा गया है कि वित्त आयोग का कार्यकाल 30 जून, 2015 तक होगा।
उन्होंने कहा, "टेलीफोन पर आदेश जारी करने की क्या जल्दबाजी थी? हमारा तर्क यह है कि जब परीक्षा समिति खुद जांच के अधीन थी, फिर व्यापमं के पूर्व अध्यक्ष की नियुक्ति सरकार वित्त आयोग में कैसे कर सकती है।" उन्होंने कहा कि समिति के किसी भी अधिकारी को क्लिन चिट नहीं मिली है।
भोपाल। व्यापमं घोटाले के मामले में भाजपा के नेता कितने भी एकजुट क्यों ना हो जाएं, शिवराज के सीने से व्यापमं का डंक निकलने वाला नहीं है। अब एक नया खुलासा हुआ है। उस समय जबकि व्यापमं घोटाले की जांच चल रही थी। व्यापमं के पूर्व अध्यक्ष मलय राय जांच की जद में थे और शिवराज सिंह चौहान विदेश में थे। तब शिवराज ने विदेश से फोन करके मलय राय की नियुक्ति वित्त आयोग में सदस्य के तौर पर कराई। सवाल सिर्फ इतना सा कि ऐसी क्या जल्दी थी ?
सन 2009-10 में मलय राय व्यापमं के अध्यक्ष रहे।
6 जून 2014 को उनकी नियुक्ति के आदेश जारी हुए।
उन्हें मप्र राज्य वित्तय आयोग का सदस्य बनाया गया।
6 जून 2014 को शिवराज सिंह विदेश में थे।
सरकारी रिकार्ड के अनुसार उन्होंने फोन पर आदेश जारी किए।
यह एक इमजेंसी टेलीफोन था, जिसका तत्काल पालन हुआ।
यह खुलासा व्हिस्लब्लोअर अजय दुबे को राज्य वित्त विभाग से आरटीआई के तहत मिले जवाब से हुआ है। आरटीआई जवाब के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने नियुक्ति के प्रस्ताव को टेलीफोन पर मंजूरी दी, जो विदेश दौरे से उनके लौटने के बाद औपचारिक पुष्टि का विषय था। राज्य वित्त विभाग के आदेश की एक प्रति को आरटीआई जवाब के साथ प्रदान किया गया है। जवाब में यह भी कहा गया है कि वित्त आयोग का कार्यकाल 30 जून, 2015 तक होगा।
उन्होंने कहा, "टेलीफोन पर आदेश जारी करने की क्या जल्दबाजी थी? हमारा तर्क यह है कि जब परीक्षा समिति खुद जांच के अधीन थी, फिर व्यापमं के पूर्व अध्यक्ष की नियुक्ति सरकार वित्त आयोग में कैसे कर सकती है।" उन्होंने कहा कि समिति के किसी भी अधिकारी को क्लिन चिट नहीं मिली है।
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