उप पंजीयक ने पंजीयक को पत्र लिखकर मांगी पुलिस
Toc News @ Chhatarpur
छतरपुर। हमेषा विवादों में घिरे रहने वाले छतरपुर के उप-पंजीयक गिरीष तिवारी ने शनिवार को जिला पंजीयक के नाम लिखे एक पत्र में दस्तावेज लेखकों और मीडिया कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाते हुये रजिस्ट्री कार्यालय में सुरक्षा हेतु पुलिस गार्ड लगाने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लेख किया है कि ई-पंजीयन प्रणाली में रूचि न लेने वाले सेवा प्रदाताओं द्वारा अवैध कालौनाईजरों के साथ मिलकर पंजीयन कार्यालय में भाडे के लडकों को भेजकर अव्यवस्थायें फैलाई जा रही हैं जिस कारण यहां पुलिस फोर्स लगाना अत्यंत आवष्यक हो गया है।
उप-पंजीयक गिरीष तिवारी ने पत्रकारों के लिए भी अपने पत्र में अषोभनीय शब्दों का इस्तेमाल किया और लिखा कि कुछ पुराने दस्तावेज लेखक जो रजिस्ट्री के बारे में कुछ नहीं जानते भाडे के पत्रकार भेजकर अव्यवस्था फैला रहे हैं। सबाल यह उठता है कि यदि पुराने दस्तावेज लेखक कुछ नहीं जानते हैं तब फिर उनके लाईसेंस रिन्यूवल क्यों किये गये। श्री तिवारी के इस पत्र के बायरल होने के बाद दस्तावेज लेखकों में भारी आक्रोष देखा गया है। गौरतलब हो कि शासन ने ई-पंजीयन व्यवस्था के लिए कुछ लोगों को लाईसेंस तो दिये हैं लेकिन अभी तक ई-पंजीयन प्रणाली पूरी तरह से पटरी पर नहीं आई है और अभी भी पुरानी प्रणाली से ही सम्पत्तियों के बेंचनामे लेख किये जा रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उप-पंजीयक महोदय खुद अपने कार्यालय में भाडे पर प्राईवेट कर्मचारियों को लगाये हुये है और उनसे शासकीय कार्य सम्पादित कराते हैं।
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छतरपुर। हमेषा विवादों में घिरे रहने वाले छतरपुर के उप-पंजीयक गिरीष तिवारी ने शनिवार को जिला पंजीयक के नाम लिखे एक पत्र में दस्तावेज लेखकों और मीडिया कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाते हुये रजिस्ट्री कार्यालय में सुरक्षा हेतु पुलिस गार्ड लगाने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लेख किया है कि ई-पंजीयन प्रणाली में रूचि न लेने वाले सेवा प्रदाताओं द्वारा अवैध कालौनाईजरों के साथ मिलकर पंजीयन कार्यालय में भाडे के लडकों को भेजकर अव्यवस्थायें फैलाई जा रही हैं जिस कारण यहां पुलिस फोर्स लगाना अत्यंत आवष्यक हो गया है।
उप-पंजीयक गिरीष तिवारी ने पत्रकारों के लिए भी अपने पत्र में अषोभनीय शब्दों का इस्तेमाल किया और लिखा कि कुछ पुराने दस्तावेज लेखक जो रजिस्ट्री के बारे में कुछ नहीं जानते भाडे के पत्रकार भेजकर अव्यवस्था फैला रहे हैं। सबाल यह उठता है कि यदि पुराने दस्तावेज लेखक कुछ नहीं जानते हैं तब फिर उनके लाईसेंस रिन्यूवल क्यों किये गये। श्री तिवारी के इस पत्र के बायरल होने के बाद दस्तावेज लेखकों में भारी आक्रोष देखा गया है। गौरतलब हो कि शासन ने ई-पंजीयन व्यवस्था के लिए कुछ लोगों को लाईसेंस तो दिये हैं लेकिन अभी तक ई-पंजीयन प्रणाली पूरी तरह से पटरी पर नहीं आई है और अभी भी पुरानी प्रणाली से ही सम्पत्तियों के बेंचनामे लेख किये जा रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उप-पंजीयक महोदय खुद अपने कार्यालय में भाडे पर प्राईवेट कर्मचारियों को लगाये हुये है और उनसे शासकीय कार्य सम्पादित कराते हैं।
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