भोपाल(पं.एस.के.भारद्वाज)
म.प्र.के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा चले दांव अब भाजपा पर भारी पडऩे लगे है। प्रदेश में बच्चों के मामा नाम से जाने जाने वाले शिवराज सिंह चौहान ने गत शैक्षणिक सत्र वर्ष 14-15 में घोषणा की थी कि 12 वीं पास करके कालेज में एडमिशन लेते ही छात्र-छात्रओं को स्मार्ट फोन दिया जाएगा। अब जबकि दूसरा शैक्षणिक सत्र शुरु हो चुका है। छात्र-छात्राएं शिवराज मामा के वायदे को याद करते हुए कहते घूम रहे हैं कि 'मामाÓ झूठा निकला। शिवराज सरकार की हजारों घोषणाएं मात्र घोषणा बनकर रह गई है। क्रियान्वित करना तो दूर विभाग तो यह भी भूल गए है कि ऐसी कोई घोषणा हुई भी थी या नही। लालीपाप देकर जनता को गुमराह करने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को महारत हासिल है। पर जब घोषणाओं पर अमल की बारी आती है। सरकार बगले झांकने को मजबूर दिखती है। लालीपाप और लुभावने वायदे के सहारे सत्ता की तीसरी पारी खेल रहे शिवराज सिंह के प्रति आम नागरिक को गुस्सा बढ़ता जा रहा है। रही सही कसर ब्यापम घोटाले ने पूरी कर दी है। दूसरी और समाज में यह भी चर्चा आम है कि जब कॉलेजों में बच्चों को मोबाइल बांटे ही नहीं तो सरकार का बजट कौन खा गया।
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