व्यापमं : दर्ज हो सकता है मर्डर का एक और केस
Toc News @ Bhopal
भोपाल. मध्य प्रदेश के व्यापमं (व्यावासायिक परीक्षा मंडल) घोटाले की जांच जिस तरह एसटीएफ और क्राइम ब्रांच ने की, उससे सीबीआई संतुष्ट नहीं है। सीबीआई अब सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर इस घोटाले की जांच कर रही है। वह इस मामले में अब मर्डर का एक और केस दर्ज करने की तैयारी में है। शुक्रवार को नम्रता डामोर मामले में CBI ने मर्डर का पहला केस दर्ज किया था।
सीबीआई का मानना है कि एसटीएफ ने घोटाले से जुड़ी बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला और केवल उन स्टूडेंट्स को ही पकड़ा जिन्होंने पैसे देकर दाखिला लिए थे। यही नहीं, सीबीआई की नजर में न्रमता डामोर के अलावा विजय पटेल के केस में भी एसटीएफ ने मामला ढंकने की कोशिश की। अब सीबीआई पटेल की मौत के सिलसिले में भी मर्डर का केस दर्ज कराने वाली है।
विजय पटेल को पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा और नापतौल नियंत्रक भर्ती परीक्षा में घोटाले करने का आरोपी बनाया गया था। उसे एसटीएफ ने अरेस्ट तो किया था, लेकिन उसके खिलाफ अदालत में मजबूती से पक्ष नहीं रखा गया और उसे जमानत मिल गई।
मध्य प्रदेश निवासी विजय की भोपाल में इसी मामले में 17 अप्रैल, 2015 को पेशी थी। उसने अपने वकील से कहा था कि वह दो घंटे में कोर्ट पहुंच रहा है, लेकिन वह कोर्ट नहीं आया और 10 दिन बाद (27 अप्रैल) विजय की लाश छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक भाजपा नेता के होटल में मिली थी। विजय की मौत की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस कर रही है।
सीबीआई से जुड़े सूत्र बताते हैं कि उसे इस बात पर हैरानी है कि उससे पहले जांच कर रहे एसटीएफ ने विजय की मौत का कोई सिरा व्यापमं घोटाले से नहीं जोड़ा। सीबीआई को लगता है कि विजय का मर्डर किया गया।
व्यापमं मामले की शुरुआती जांच एमपी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने की थी। सूत्र बताते हैं कि इसकी जांच पर कोर्ट के निर्देश पर बनी एसआईटी ने भी सवाल उठाए थे और क्राइम ब्रांच इंदौर को नोटिस तक भेजा था। एसआईटी ने घोटाले का मास्टरमाइंड माने जाने वाले डॉक्टर जगदीश सागर की गिरफ़्तारी में देरी और कुछ और मसलों पर क्राइम ब्रांच से जवाब तलब किया था। हालांकि एसआईटी के प्रमुख चंद्रेश भूषण अब इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
क्राइम ब्रांच ने 5 जुलाई, 2013 को तीन स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया था, लेकिन डॉ. सागर की गिरफ्तारी एक हफ्ते बाद (12 जुलाई) को हुई थी। जबकि, व्यापमं घोटाले में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने मास्टरमाइंड के तौर पर डॉ. सागर का नाम ले लिया था।
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भोपाल. मध्य प्रदेश के व्यापमं (व्यावासायिक परीक्षा मंडल) घोटाले की जांच जिस तरह एसटीएफ और क्राइम ब्रांच ने की, उससे सीबीआई संतुष्ट नहीं है। सीबीआई अब सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर इस घोटाले की जांच कर रही है। वह इस मामले में अब मर्डर का एक और केस दर्ज करने की तैयारी में है। शुक्रवार को नम्रता डामोर मामले में CBI ने मर्डर का पहला केस दर्ज किया था।
सीबीआई का मानना है कि एसटीएफ ने घोटाले से जुड़ी बड़ी मछलियों पर हाथ नहीं डाला और केवल उन स्टूडेंट्स को ही पकड़ा जिन्होंने पैसे देकर दाखिला लिए थे। यही नहीं, सीबीआई की नजर में न्रमता डामोर के अलावा विजय पटेल के केस में भी एसटीएफ ने मामला ढंकने की कोशिश की। अब सीबीआई पटेल की मौत के सिलसिले में भी मर्डर का केस दर्ज कराने वाली है।
विजय पटेल को पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा और नापतौल नियंत्रक भर्ती परीक्षा में घोटाले करने का आरोपी बनाया गया था। उसे एसटीएफ ने अरेस्ट तो किया था, लेकिन उसके खिलाफ अदालत में मजबूती से पक्ष नहीं रखा गया और उसे जमानत मिल गई।
मध्य प्रदेश निवासी विजय की भोपाल में इसी मामले में 17 अप्रैल, 2015 को पेशी थी। उसने अपने वकील से कहा था कि वह दो घंटे में कोर्ट पहुंच रहा है, लेकिन वह कोर्ट नहीं आया और 10 दिन बाद (27 अप्रैल) विजय की लाश छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक भाजपा नेता के होटल में मिली थी। विजय की मौत की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस कर रही है।
सीबीआई से जुड़े सूत्र बताते हैं कि उसे इस बात पर हैरानी है कि उससे पहले जांच कर रहे एसटीएफ ने विजय की मौत का कोई सिरा व्यापमं घोटाले से नहीं जोड़ा। सीबीआई को लगता है कि विजय का मर्डर किया गया।
व्यापमं मामले की शुरुआती जांच एमपी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने की थी। सूत्र बताते हैं कि इसकी जांच पर कोर्ट के निर्देश पर बनी एसआईटी ने भी सवाल उठाए थे और क्राइम ब्रांच इंदौर को नोटिस तक भेजा था। एसआईटी ने घोटाले का मास्टरमाइंड माने जाने वाले डॉक्टर जगदीश सागर की गिरफ़्तारी में देरी और कुछ और मसलों पर क्राइम ब्रांच से जवाब तलब किया था। हालांकि एसआईटी के प्रमुख चंद्रेश भूषण अब इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
क्राइम ब्रांच ने 5 जुलाई, 2013 को तीन स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया था, लेकिन डॉ. सागर की गिरफ्तारी एक हफ्ते बाद (12 जुलाई) को हुई थी। जबकि, व्यापमं घोटाले में सबसे पहले गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने मास्टरमाइंड के तौर पर डॉ. सागर का नाम ले लिया था।
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