रायसेन- श्रीलंका और मप्र सरकार के सहयोग से सांची में बनने वाला अंतरराष्ट्रीय बौद्ध विश्वविद्यालय खटाई में पड़ गया है। श्रीलंका सरकार ने इस प्रोजेक्ट से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय विवि में श्रीलंका सरकार कुलपति की नियुक्ति व संचालन बोर्ड में बराबर का अधिकार चाहती थी।
लेकिन मप्र सरकार इस पर सहमत नही थी। श्रीलंका की महाबोधि सोसायटी का कहना है कि जब विवि के लिए श्रीलंका की सरकार तीन सौ करोड़ की बड़ी राशि देरी तो हमारी भागीदार बराबर की क्यों नहीं होनी चाहिए। श्रीलंका के पीछे हटने पर प्रदेश सरकार की किरकिरी न हो, इसलिए रायसेन जिले के बारला में आनन-फानन में किराए की बिल्डिंग में नाम के लिए सांची विवि व अध्ययन केंद्र शुरू करवा दिया गया।
तीन साल पहले दो राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में बड़े जोर शोर से इसकी आधारशिला रायसेन जिले के सांची के पास रखी गई थी। जिसमें तय हुआ था कि श्रीलंका सरकार अंतरराष्ट्रीय विवि निर्माण के लिए 300 करोड़ देगी और महाबोधि सोसायटी के माध्यम से अन्य बौद्ध अनुयायी देश 200 करोड़ की मदद करेंगे।
इस विवि का निर्माण न होने से इस क्षेत्र के लिए पर्यटन और रोजगार की संभावनाएं धूमिल होती दिख रही हैं। अब बारला में चल रहे अध्ययन केन्द्र का बजट 2 करोड़ है। यहां इसके संचालन में हर माह 20 लाख खर्च हो रहे हैं। यहां छात्राओं से ज्यादा स्टाफ है।
बोधि वृक्ष की सुरक्षा पर हर महीने खर्च हो रहे 50 हजार
भवन निर्माण की आधारशिला रखे जाने के पूर्व श्रीलंका के राष्ट्रपति और भूटान के प्रधानमंत्री ने सांची के पास सलामतपुर की पहाड़ी पर बोधि वृक्ष रोपा था। इस पहाड़ी पर यूनिवर्सिटी बनेगी या नहीं, यह तो तय नहीं है, लेकिन इस पेड़ की सुरक्षा को लेकर जरूर प्रदेश सरकार बहुत गंभीर है। इस पेड़ की सुरक्षा के लिए 1-4 का गार्ड तैनात किया गया है। इस पर हर माह 50 हजार से अधिक खर्च हो रहा है।
इसलिए बिगड़ी बात
- श्रीलंका के इंजीनियरों की देखेरख में विवि के भवन का निर्माण हो। लेकिन "प्रदेश सरकार सहमत नहीं थी।
- श्रीलंका ने विवि के भवन निर्माण के लिए जो डिजाइन दिया, वो प्रदेश सरकार को पसंद नहीं आया।
- श्रीलंका ने मांग रखी कि विवि के संचालन बोर्ड में जितने प्रदेश सरकार के सदस्य होंगे, उतने ही उसके सदस्य होने चाहिए। प्रदेश सरकार संचालन बोर्ड में श्रीलंका का एकाध सदस्य ही रखना चाहती थी।
- कुलपति की नियुक्ति पर भी श्रीलंका सरकार ने अपना हक जताया। जिसे मप्र ने नहीं माना।
अंतरराष्ट्रीय विवि में यह होना था
बौद्ध एवं भारतीय दर्शन पर दुनिया भर के फिलोसपर्स, रिसर्चर्स, प्रैक्टिसनर्स, एकेडमिसियन्स को आकर्षित करना। इसके अलावा एशिया के सारे देशों में बुद्ध के कल्चर को बढ़ावा देना। दुनिया
भर से बौद्ध अनुयायी सहित पढ़ाई में रूचि रखने वाले लोगों के लिए कई कोर्स शुरू करना थे।
सांची में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय विवि से महाबोधि सोसाइटी एवं श्रीलंका सरकार का अब कोई वास्ता नहीं रह गया है। हम पूरी तरह उस प्रोजेक्ट से अलग हो गए हैं। हम उसके लिए न बजट देंगे न कोई अन्य सहयोग।
-स्वामी विमलतिस थेरो, प्रमुख, महाबोधि सोसाइटी, श्रीलंका
प्रदेश सरकार सांची बौद्ध विवि को आगे बढ़ाएगी। अभी बारला में अकादमिक परिसर से शुरुआत हुई
है। भवन के लिए मास्टर प्लान तैयार हो रहा है। बजट की व्यवस्था भी की जाएगी।
-सुरेन्द्र पटवा, संस्कृति मंत्री मप्र
लेकिन मप्र सरकार इस पर सहमत नही थी। श्रीलंका की महाबोधि सोसायटी का कहना है कि जब विवि के लिए श्रीलंका की सरकार तीन सौ करोड़ की बड़ी राशि देरी तो हमारी भागीदार बराबर की क्यों नहीं होनी चाहिए। श्रीलंका के पीछे हटने पर प्रदेश सरकार की किरकिरी न हो, इसलिए रायसेन जिले के बारला में आनन-फानन में किराए की बिल्डिंग में नाम के लिए सांची विवि व अध्ययन केंद्र शुरू करवा दिया गया।
तीन साल पहले दो राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में बड़े जोर शोर से इसकी आधारशिला रायसेन जिले के सांची के पास रखी गई थी। जिसमें तय हुआ था कि श्रीलंका सरकार अंतरराष्ट्रीय विवि निर्माण के लिए 300 करोड़ देगी और महाबोधि सोसायटी के माध्यम से अन्य बौद्ध अनुयायी देश 200 करोड़ की मदद करेंगे।
इस विवि का निर्माण न होने से इस क्षेत्र के लिए पर्यटन और रोजगार की संभावनाएं धूमिल होती दिख रही हैं। अब बारला में चल रहे अध्ययन केन्द्र का बजट 2 करोड़ है। यहां इसके संचालन में हर माह 20 लाख खर्च हो रहे हैं। यहां छात्राओं से ज्यादा स्टाफ है।
बोधि वृक्ष की सुरक्षा पर हर महीने खर्च हो रहे 50 हजार
भवन निर्माण की आधारशिला रखे जाने के पूर्व श्रीलंका के राष्ट्रपति और भूटान के प्रधानमंत्री ने सांची के पास सलामतपुर की पहाड़ी पर बोधि वृक्ष रोपा था। इस पहाड़ी पर यूनिवर्सिटी बनेगी या नहीं, यह तो तय नहीं है, लेकिन इस पेड़ की सुरक्षा को लेकर जरूर प्रदेश सरकार बहुत गंभीर है। इस पेड़ की सुरक्षा के लिए 1-4 का गार्ड तैनात किया गया है। इस पर हर माह 50 हजार से अधिक खर्च हो रहा है।
इसलिए बिगड़ी बात
- श्रीलंका के इंजीनियरों की देखेरख में विवि के भवन का निर्माण हो। लेकिन "प्रदेश सरकार सहमत नहीं थी।
- श्रीलंका ने विवि के भवन निर्माण के लिए जो डिजाइन दिया, वो प्रदेश सरकार को पसंद नहीं आया।
- श्रीलंका ने मांग रखी कि विवि के संचालन बोर्ड में जितने प्रदेश सरकार के सदस्य होंगे, उतने ही उसके सदस्य होने चाहिए। प्रदेश सरकार संचालन बोर्ड में श्रीलंका का एकाध सदस्य ही रखना चाहती थी।
- कुलपति की नियुक्ति पर भी श्रीलंका सरकार ने अपना हक जताया। जिसे मप्र ने नहीं माना।
अंतरराष्ट्रीय विवि में यह होना था
बौद्ध एवं भारतीय दर्शन पर दुनिया भर के फिलोसपर्स, रिसर्चर्स, प्रैक्टिसनर्स, एकेडमिसियन्स को आकर्षित करना। इसके अलावा एशिया के सारे देशों में बुद्ध के कल्चर को बढ़ावा देना। दुनिया
भर से बौद्ध अनुयायी सहित पढ़ाई में रूचि रखने वाले लोगों के लिए कई कोर्स शुरू करना थे।
सांची में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय विवि से महाबोधि सोसाइटी एवं श्रीलंका सरकार का अब कोई वास्ता नहीं रह गया है। हम पूरी तरह उस प्रोजेक्ट से अलग हो गए हैं। हम उसके लिए न बजट देंगे न कोई अन्य सहयोग।
-स्वामी विमलतिस थेरो, प्रमुख, महाबोधि सोसाइटी, श्रीलंका
प्रदेश सरकार सांची बौद्ध विवि को आगे बढ़ाएगी। अभी बारला में अकादमिक परिसर से शुरुआत हुई
है। भवन के लिए मास्टर प्लान तैयार हो रहा है। बजट की व्यवस्था भी की जाएगी।
-सुरेन्द्र पटवा, संस्कृति मंत्री मप्र
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