व्यापम भ्रम और वास्तविकता--
व्यापम का मामला दिनांक 7 जुलाई 2013 को प्रकाश में आया | इसके बाद दिनांक 25.11.2013 को मध्य प्रदेश में विधान सभा के चुनाव सम्पन्न हुए | कांग्रेस द्वारा व्यापम मुद्दे को उठाया गया किन्तु जनता द्वारा उसे नकार दिया गया | भारतीय जनता पार्टी 230 विधानसभा सीटो में से 165 सीटे प्राप्त करने में सफल रही एवं कांग्रेस 58 सीटो पर सिमट गई इसके उपरांत पुनः हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में मामला चलता रहा कांग्रेस ने पुनः व्यापम मुद्दे को उठाया किन्तु फिर 16-5-2014 को सम्पन्न हुए लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस मात्र 2 सीटो पर सिमट गई और बीजेपी को 29 में से 27 सीटे प्राप्त हुई|
अपने अस्तित्व को बचाने और भ्रम फैलाकर भाग्य खुलनेके इंतजार में कांग्रेसियो ने बिना सबूत के आरोप लगाने की श्रंखला शुरू की|
इंदौर पुलिस ने दिनांक 7-7-2013 को व्यापम में की जा रही अनिमत्ताओ के सम्बन्ध में राजेंद्र नगर पुलिस प्रकरण दर्ज किया| जिसकी जाँच मुख्य मंत्री द्वारा एसटीएफ को सौपी गई इस कार्यवाही से माननीय मुख्यमंत्री जी की नियत और जाँच के प्रति गंभीरता स्वतः स्पष्ट हो जाती हे| शिवराज सिंह जी ने अगस्त 2013 में व्यापम की गड़बड़ियों के सम्बन्ध में प्रकरण एसटीएफ को सौपा था जिसमे 2630 लोगो को आरोपी बनाया गया | जिसमे से 2235 लोगो की गिरफ्तारी हुई उसमे से 1860 लोगो की जमानत हो गई| यह केसी विडम्बना हे की जिस मुख्यमंत्री ने व्यापम की गड़बड़ियों की जाँच एसटीएफ को सौपी उन्ही को दोषी साबित करने का प्रयास कांग्रेस द्वारा किया जा रहा हे|
व्यापम से जुड़े कथित व्यक्तियो की मृत्यु से भ्रम का जो वातावरण निर्मित किया गया उसे मिटाना तथा जनता को राज्य सरकार की नेक नीयती से अवगत करना आवश्यक था इस दृष्टी सेे व्यापम की जाँच को सीबीआई को सोंपे जाने के लिए न्यायालय में याचिका दायर करने का निर्णय स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिया |
यह स्पष्ट करना आवश्यक हे की व्यापम से सम्बंधित सभी मामलो की जाँच मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अधीन थी तथा उसे सीधे सीबीआई को सोंपने का राज्य सरकार को कोई अधिकार नही था इस स्थिति में दिनांक 7 जुलाई 2015 को मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं आगे बढ़कर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से अनुरोध किया की भ्रम के वातावरण को देखते हुए माननीय न्यायालय जाँच सीबीआई को सौंप दे | बाद में दिनांक 9 जुलाई 2015 को माननीय सर्वोच्च न्यायलय के सामने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान की तरफ से यही आवेदान प्रस्तुत किया गया की व्यापम की जाँच सीबीआई को सौंप दी जाये|
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस पहल और अनुरोध की प्रशंषा करते हुए प्रकरण सीबीआई को सोंपने का आदेश दिया | मुझे पूर्ण विश्वाश हे की सीबीआई दूध का दूध और पानी का पानी करेगी और विपक्ष द्वारा जो कहानी गढ़ी जा रही हे वो पूरी तरह झूठी साबित होगी
आशीष शर्मा
विधायक खातेगाँव
व्यापम का मामला दिनांक 7 जुलाई 2013 को प्रकाश में आया | इसके बाद दिनांक 25.11.2013 को मध्य प्रदेश में विधान सभा के चुनाव सम्पन्न हुए | कांग्रेस द्वारा व्यापम मुद्दे को उठाया गया किन्तु जनता द्वारा उसे नकार दिया गया | भारतीय जनता पार्टी 230 विधानसभा सीटो में से 165 सीटे प्राप्त करने में सफल रही एवं कांग्रेस 58 सीटो पर सिमट गई इसके उपरांत पुनः हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में मामला चलता रहा कांग्रेस ने पुनः व्यापम मुद्दे को उठाया किन्तु फिर 16-5-2014 को सम्पन्न हुए लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस मात्र 2 सीटो पर सिमट गई और बीजेपी को 29 में से 27 सीटे प्राप्त हुई|
अपने अस्तित्व को बचाने और भ्रम फैलाकर भाग्य खुलनेके इंतजार में कांग्रेसियो ने बिना सबूत के आरोप लगाने की श्रंखला शुरू की|
इंदौर पुलिस ने दिनांक 7-7-2013 को व्यापम में की जा रही अनिमत्ताओ के सम्बन्ध में राजेंद्र नगर पुलिस प्रकरण दर्ज किया| जिसकी जाँच मुख्य मंत्री द्वारा एसटीएफ को सौपी गई इस कार्यवाही से माननीय मुख्यमंत्री जी की नियत और जाँच के प्रति गंभीरता स्वतः स्पष्ट हो जाती हे| शिवराज सिंह जी ने अगस्त 2013 में व्यापम की गड़बड़ियों के सम्बन्ध में प्रकरण एसटीएफ को सौपा था जिसमे 2630 लोगो को आरोपी बनाया गया | जिसमे से 2235 लोगो की गिरफ्तारी हुई उसमे से 1860 लोगो की जमानत हो गई| यह केसी विडम्बना हे की जिस मुख्यमंत्री ने व्यापम की गड़बड़ियों की जाँच एसटीएफ को सौपी उन्ही को दोषी साबित करने का प्रयास कांग्रेस द्वारा किया जा रहा हे|
व्यापम से जुड़े कथित व्यक्तियो की मृत्यु से भ्रम का जो वातावरण निर्मित किया गया उसे मिटाना तथा जनता को राज्य सरकार की नेक नीयती से अवगत करना आवश्यक था इस दृष्टी सेे व्यापम की जाँच को सीबीआई को सोंपे जाने के लिए न्यायालय में याचिका दायर करने का निर्णय स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिया |
यह स्पष्ट करना आवश्यक हे की व्यापम से सम्बंधित सभी मामलो की जाँच मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के अधीन थी तथा उसे सीधे सीबीआई को सोंपने का राज्य सरकार को कोई अधिकार नही था इस स्थिति में दिनांक 7 जुलाई 2015 को मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं आगे बढ़कर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय से अनुरोध किया की भ्रम के वातावरण को देखते हुए माननीय न्यायालय जाँच सीबीआई को सौंप दे | बाद में दिनांक 9 जुलाई 2015 को माननीय सर्वोच्च न्यायलय के सामने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान की तरफ से यही आवेदान प्रस्तुत किया गया की व्यापम की जाँच सीबीआई को सौंप दी जाये|
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस पहल और अनुरोध की प्रशंषा करते हुए प्रकरण सीबीआई को सोंपने का आदेश दिया | मुझे पूर्ण विश्वाश हे की सीबीआई दूध का दूध और पानी का पानी करेगी और विपक्ष द्वारा जो कहानी गढ़ी जा रही हे वो पूरी तरह झूठी साबित होगी
आशीष शर्मा
विधायक खातेगाँव
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