मिश्रा को अब कभी नहीं मिलेगी कलेक्टरी
यौन शोषण के मामले में आरोप सावित रात में घंटों बात किया करते थे महिला प्राचार्या से- अरुणा शर्मा
Toc News @ Bhopal
भोपाल। महिला प्राचार्या के यौन शोषण के मामले में पूर्व पन्ना कलेक्टर आरके मिश्रा को राज्य सरकार ने नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब देने को कहा था । अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सीएम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जीएडी कार्मिक को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए, जबकि मार्च में इसी रिपोर्ट पर सीएस ने कोई कार्रवाई न करते हुए इसे सीएम को भेज दिया था।
श्रीमती शर्मा ने आठ पेज की रिपोर्ट स्पष्ट किया था कि मिश्रा के प्राचार्या से गहरे संबंध थे। वे देर रात तक घंटों मोबाइल फोन पर बातें करते थे और एक-दूसरे को कई एसएमएस भेजते थे। उन्होंने रिपोर्ट के साथ दोनों के मोबाइल फोन कॉल्स, एसएमएस डिटेल्स के करीब 32 पेज भी संलग्न किए।
मुख्यसचिव बचाना चाहते थे मिश्रा को
मिश्रा को मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा चाहकर भी नहीं बचा पाए। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से मिश्रा के दोषी होने के बावजूद मुख्य सचिव ने उनके बयान लेकर मामले को खत्म करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा था। इसमें कहा गया था कि आरोप लगाने वाली प्राचार्या अपने बयानों से पलट गई है, इस आधार पर मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई नहीं बनती है। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस तर्क को खारिज कर रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए मिश्रा को अशोभनीय आचरण का दोषी माना।
मिश्रा को अब कभी नहीं मिलेगी कलेक्टरी
मिश्रा को भविष्य में कलेक्टरी नहीं मिल पाएगी। अपर मुख्य सचिव श्रीमती शर्मा ने रिपोर्ट में खास तौर से कहा है कि मिश्रा को भविष्य में कलेक्टर न बनाया जाए। इन्होंने पन्ना में कलेक्टर पदस्थापना के दौरान अपने पद का दुरूपयोग किया है। रिपोर्ट को सीएम द्वारा गंभीरता से लिए जाने के बाद तय माना जा रहा है कि अब मिश्रा को मैदानी पदस्थापना नहीं मिलेगी।
यह है मामला
1 मार्च, 2015- पन्ना केन्द्रीय विद्यालय की प्राचार्या ने कलेक्टर पर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए फिनाइल पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। पुलिस ने कलेक्टर मिश्रा पर बलात्कार की धारा 376 और जान से मारने की धमकी की धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया। वहीं राज्य सरकार ने मिश्रा को तत्काल प्रभाव से कलेक्टर के पद से हटा दिया।
2 मार्च- प्राचार्या बयान से ये कहते हुए पलट गईं कि फिनाइल पीने के बाद उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया था। इसलिए कलेक्टर के खिलाफ शिकायत वापस लेना चाहती हैं। पुलिस ने एफआईआर होने की बात कहकर मामला कोर्ट में जाकर निपटाने की सलाह दी।
4 मार्च- राज्य सरकार ने पंचायत विभाग की अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की। इसमें महिला एवं बाल विकास आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव को सदस्य बनाया गया। दोनों महिला अधिकारियों पन्ना जाकर पूरे मामले की जांच की।
7 मार्च- अपर मुख्य सचिव श्रीमती शर्मा ने 32 पेज की रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपी। इसमें उन्होंने कलेक्टर को दोषी ठहराया।
11 मार्च- मुख्य सचिव ने इस मामले में मिश्रा के बयान लिए।
16 मार्च - मुख्य सचिव ने पूरे मामले की फाइल तैयार कर मुख्यमंत्री को भेजी।
यौन शोषण के मामले में आरोप सावित रात में घंटों बात किया करते थे महिला प्राचार्या से- अरुणा शर्मा
Toc News @ Bhopal
भोपाल। महिला प्राचार्या के यौन शोषण के मामले में पूर्व पन्ना कलेक्टर आरके मिश्रा को राज्य सरकार ने नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब देने को कहा था । अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सीएम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जीएडी कार्मिक को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए, जबकि मार्च में इसी रिपोर्ट पर सीएस ने कोई कार्रवाई न करते हुए इसे सीएम को भेज दिया था।
श्रीमती शर्मा ने आठ पेज की रिपोर्ट स्पष्ट किया था कि मिश्रा के प्राचार्या से गहरे संबंध थे। वे देर रात तक घंटों मोबाइल फोन पर बातें करते थे और एक-दूसरे को कई एसएमएस भेजते थे। उन्होंने रिपोर्ट के साथ दोनों के मोबाइल फोन कॉल्स, एसएमएस डिटेल्स के करीब 32 पेज भी संलग्न किए।
मुख्यसचिव बचाना चाहते थे मिश्रा को
मिश्रा को मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा चाहकर भी नहीं बचा पाए। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से मिश्रा के दोषी होने के बावजूद मुख्य सचिव ने उनके बयान लेकर मामले को खत्म करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा था। इसमें कहा गया था कि आरोप लगाने वाली प्राचार्या अपने बयानों से पलट गई है, इस आधार पर मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई नहीं बनती है। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस तर्क को खारिज कर रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए मिश्रा को अशोभनीय आचरण का दोषी माना।
मिश्रा को अब कभी नहीं मिलेगी कलेक्टरी
मिश्रा को भविष्य में कलेक्टरी नहीं मिल पाएगी। अपर मुख्य सचिव श्रीमती शर्मा ने रिपोर्ट में खास तौर से कहा है कि मिश्रा को भविष्य में कलेक्टर न बनाया जाए। इन्होंने पन्ना में कलेक्टर पदस्थापना के दौरान अपने पद का दुरूपयोग किया है। रिपोर्ट को सीएम द्वारा गंभीरता से लिए जाने के बाद तय माना जा रहा है कि अब मिश्रा को मैदानी पदस्थापना नहीं मिलेगी।
यह है मामला
1 मार्च, 2015- पन्ना केन्द्रीय विद्यालय की प्राचार्या ने कलेक्टर पर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए फिनाइल पीकर आत्महत्या का प्रयास किया। पुलिस ने कलेक्टर मिश्रा पर बलात्कार की धारा 376 और जान से मारने की धमकी की धारा 506 के तहत मामला दर्ज किया। वहीं राज्य सरकार ने मिश्रा को तत्काल प्रभाव से कलेक्टर के पद से हटा दिया।
2 मार्च- प्राचार्या बयान से ये कहते हुए पलट गईं कि फिनाइल पीने के बाद उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया था। इसलिए कलेक्टर के खिलाफ शिकायत वापस लेना चाहती हैं। पुलिस ने एफआईआर होने की बात कहकर मामला कोर्ट में जाकर निपटाने की सलाह दी।
4 मार्च- राज्य सरकार ने पंचायत विभाग की अपर मुख्य सचिव अरूणा शर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की। इसमें महिला एवं बाल विकास आयुक्त कल्पना श्रीवास्तव को सदस्य बनाया गया। दोनों महिला अधिकारियों पन्ना जाकर पूरे मामले की जांच की।
7 मार्च- अपर मुख्य सचिव श्रीमती शर्मा ने 32 पेज की रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपी। इसमें उन्होंने कलेक्टर को दोषी ठहराया।
11 मार्च- मुख्य सचिव ने इस मामले में मिश्रा के बयान लिए।
16 मार्च - मुख्य सचिव ने पूरे मामले की फाइल तैयार कर मुख्यमंत्री को भेजी।
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