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ARMY ने PM MODI से एक स्पेशल हथियार की मांग की है। और सरकार ने भी उस हथियार की तलाश शुरू कर दी है।
भारत ने मंगलवार को एक बार फिर से न्यू-जेनरेशन असॉल्ट राइफल की वैश्विक स्तर पर तलाश शुरू की है। पिछले दशक में भारत ऐसी कई कोशिशें कर चुका है पर कुछ अव्यवहारिक टेक्निकल जरूरतों और भ्रष्टाचार की वजह से वे कोशिशें सफल नहीं हो पाई थीं। इस बीच यह बहस भी होती रही कि यह राइफल दुश्मन को ‘मारने’ में सक्षम होनी चाहिए या सिर्फ ‘घायल’ करने में।
क्या चाहती है सेना
बताया जा रहा है कि इस बार यह प्रोजेक्ट बहुत बड़ा होने जा रहा है। सेना चाहती है कि एक बार में ही 65,000 राइफल्स ली जाएं, साथ ही 1,20,000 राइफल्स का निर्माण भारत में भी होना है। 12 लाख जवानों वाली सेना के लिए यह एक शुरुआत भर होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत एक बिलियन डॉलर से ऊपर जा सकती है।
कौन साथ हथियार है वो
मंगलवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी आरएफआई (रिक्वेस्ट फॉर इन्फ़र्मेशन) में यह जिक्र किया गया है कि सेना को 7.62mm x 51mm की राइफल चाहिए जिससे किसी को मार गिराया जा सके। यह राइफल 5.56 mm वाली राइफल की जगह लेगी। इसमें बताया गया है कि कम वजन वाली राइफल्स में कम से कम 500 मीटर की रेंज होनी चाहिए और प्रतिघात करने के लिए 500 मीटर तक 3 मिनट से ज्यादा वक्त न ले।
क्या है खासियत
राइफल में यह खासियत भी होनी चाहिए कि वह 40mm अंडर-बैरल ग्रेनेड लॉन्चर में फिट हो जाए। डिजाइन के मामले में यह उच्च कोटि की होनी चाहिए और परफॉर्मेंस पैरामीटर के मामले में यह अगले 25-30 सालों तक प्रासंगिक रहे। इसके अलावा और भी कई बातों का जिक्र आरएफआई में किया गया है। आपको बता दें कि पिछले साल अप्रेल में सेना के कमांडरों की कॉन्फ्रेंस में इस बात पर चर्चा हुई थी कि सेना को 7.62mm राइफल की जरूरत है जो किसी को मारने में समक्ष हो या 5.56 x 45mm राइफल की जो दुश्मन सेना के जवानों को हथियार डालने पर विवश कर दे।
ARMY ने PM MODI से एक स्पेशल हथियार की मांग की है। और सरकार ने भी उस हथियार की तलाश शुरू कर दी है।
भारत ने मंगलवार को एक बार फिर से न्यू-जेनरेशन असॉल्ट राइफल की वैश्विक स्तर पर तलाश शुरू की है। पिछले दशक में भारत ऐसी कई कोशिशें कर चुका है पर कुछ अव्यवहारिक टेक्निकल जरूरतों और भ्रष्टाचार की वजह से वे कोशिशें सफल नहीं हो पाई थीं। इस बीच यह बहस भी होती रही कि यह राइफल दुश्मन को ‘मारने’ में सक्षम होनी चाहिए या सिर्फ ‘घायल’ करने में।
क्या चाहती है सेना
बताया जा रहा है कि इस बार यह प्रोजेक्ट बहुत बड़ा होने जा रहा है। सेना चाहती है कि एक बार में ही 65,000 राइफल्स ली जाएं, साथ ही 1,20,000 राइफल्स का निर्माण भारत में भी होना है। 12 लाख जवानों वाली सेना के लिए यह एक शुरुआत भर होगी। इस पूरे प्रोजेक्ट की कीमत एक बिलियन डॉलर से ऊपर जा सकती है।
कौन साथ हथियार है वो
मंगलवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी आरएफआई (रिक्वेस्ट फॉर इन्फ़र्मेशन) में यह जिक्र किया गया है कि सेना को 7.62mm x 51mm की राइफल चाहिए जिससे किसी को मार गिराया जा सके। यह राइफल 5.56 mm वाली राइफल की जगह लेगी। इसमें बताया गया है कि कम वजन वाली राइफल्स में कम से कम 500 मीटर की रेंज होनी चाहिए और प्रतिघात करने के लिए 500 मीटर तक 3 मिनट से ज्यादा वक्त न ले।
क्या है खासियत
राइफल में यह खासियत भी होनी चाहिए कि वह 40mm अंडर-बैरल ग्रेनेड लॉन्चर में फिट हो जाए। डिजाइन के मामले में यह उच्च कोटि की होनी चाहिए और परफॉर्मेंस पैरामीटर के मामले में यह अगले 25-30 सालों तक प्रासंगिक रहे। इसके अलावा और भी कई बातों का जिक्र आरएफआई में किया गया है। आपको बता दें कि पिछले साल अप्रेल में सेना के कमांडरों की कॉन्फ्रेंस में इस बात पर चर्चा हुई थी कि सेना को 7.62mm राइफल की जरूरत है जो किसी को मारने में समक्ष हो या 5.56 x 45mm राइफल की जो दुश्मन सेना के जवानों को हथियार डालने पर विवश कर दे।
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