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वाणिज्य मंत्रालय के पूर्व महानिदेशक बीके बंसल के पूरे परिवार के खुदकुशी मामले में सीबीआइ के अधिकारी भी जांच के दायरे में आएंगे। बंसल के घर से मिले पत्र में पांच सीबीआइ अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है।
मरने से पहले लिखे पत्र में बीके बंसल और उनके बेटे योगेश ने सीबीआइ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस बीच दिल्ली पुलिस और सीबीआइ के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। पुलिस अभी इतना ही कह रही है कि जांच के दायरे में जो भी आएगा, उससे पूछताछ होगी। पुलिस उनके फोन कॉल के ब्योरे को भी खंगाल रही है। अपने अधिकारियों के खिलाफ आरोपों को देखते हुए सीबीआइ ने इसकी जांच के लिए बुधवार को एक आंतरिक जांच समिति बना दी।
सूत्रों के मुताबिक बंसल की पत्नी और बेटी की खुदकुशी की सूचना जब सीबीआइ को मिली थी तो एजंसी ने दुख जताते हुए कहा था कि भ्रष्टाचार के मामले में बंसल के अलावा कोई आरोपी नहीं हैं, तो फिर खुदकुशी जैसी बातें सामने आना दुखद है। मंगलवार को जैसे ही एंजसी को बंसल और उनके बेटे की खुदकुशी के बारे में सूचना मिली, तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया। जब सीबीआइ निदेशक अनिल सिन्हा को बीके बंसल और उनके बेटे की खुदकुशी की सूचना दी गई तो वे विदेश में थे। लेकिन मामला संजीदा होने और अधिकारियों पर लगे आरोपों की जानकारी होने के बाद उन्होंने वहीं से उन अफसरों से बात की जो बीके बंसल के मामले की जांच कर रहे थे।
पूरे मामले को लेकर सीबीआइ पर उंगलियां उठने से अनिल सिन्हा ने आतंरिक जांच कराने का मन बना लिया है। उनके लौटते ही इस मामले में आधिकारिक कार्रवाई शुरू हो जाएगी। इस बीच सीबीआई मुख्यालय में बंसल और उनके बेटे योगेश के पत्र का इंतजार हो रहा है। उसके बाद ही सीबीआइ आगे की रणनीति बनाएगी। पूर्वी दिल्ली के आइपी एक्सटेंशन के नीलकंठ अपार्टमेंट में कारपोरेट मामलों के महानिदेशक रहे आइएएस अफसर बीके बंसल ने अपने बेटे के साथ घर में फांसी लगा ली थी। इस मामले में पुलिस अपार्टमेंट के गार्ड, मंदिर के पुजारी और आसपास के लोगों से पूछताछ की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक बंसल की टेलीफोन बातचीत को सर्विलांस पर लगा कर उसके ब्योरे को खंगालना शुरू कर दिया है। इस बातचीत में कई बड़े कारोबारी व नेता शामिल होने की बात सही जा रही है, जिनके नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। सीबीआइ ने एक दवा कंपनी के खिलाफ जांच का आदेश न देने के लिए नौ लाख रुपए की घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दवा कंपनी के मालिक अनुज सक्सेना की अग्रिम जमानत याचिका दो बार कोर्ट से खारिज होने के बाद भी सीबीआइ उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
सूत्रों की मानें तो बंसल का फोन सर्विलांस पर लगा हुआ था। उनकी कंपनियों के मामलों के सिलसिले में देश के बड़े कारोबारियों से बात होती थी। इनमें कई नेता व कारोबारी शामिल थे। सीबीआइ ने बातचीत के केवल उस हिस्से को गिरफ्तारी का आधार बनाया, जिसमें बंसल व दवा कंपनी के मालिक अनुज सक्सेना की बातचीत थी। अब पुलिस ने उस बातचीत को खंगालने का मन बना लिया है। मंगलवार को मौके पर पहुंची पुलिस को जैसे ही एक के बाद एक पत्र मिले, उसकी जांच की दिशा सीबीआइ की ओर घूमने लगी। बंसल ने अपने पत्र में सीबीआइ अधिकारियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। इसमें सीबीआइ कुछ अधिकारियों के नाम भी दिए हैं। ऐसे में देश की शीर्ष जांच एजंसी के खिलाफ जांच कर कौन सच्चाई सामने लाएगा, यह बड़ा सवाल है। बताया जा रहा है कि बंसल ने अपने पत्र में सीबीआइ पर उनकी पत्नी और बेटी को भी प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
सबसे पहले इन दोनों का शव देखने वाली 17 साल की घरेलू सहायिका ने बताया कि बंसल और उनके बेटे ने कहा था कि वे लंबे समय के लिए कहीं दूर जा रहे हैं। बंसल परिवार के घर पिछले सात महीनों से काम कर रही रचना कहती है-उन्होंने मुझे बताया कि वे घर देर से आएंगे, इसलिए वे मेरे लिए दरवाजे खुले छोड़ देंगे। वह बताती है कि दोनों के शव देखने के बाद वह गार्ड को खबर देने भागी और फिर बेहोश होकर गिर पड़ी। इससे पहले 19 जुलाई को जब बंसल की पत्नी सत्यबाला और बेटी नेहा ने खुदकुशी की थी, तब रचना ने ही सबसे पहले उनकी लाश लटकी देखी थी। रचना का कहना है कि बंसल खुद में ही सीमित रहते थे और उनके घर कभी-कभार ही कोई मेहमान आता था। योगेश उनसे कहते थे जहां भी वे जाएंगे, लोग उन पर उंगलियां उठाएंगे और कहेंगे कि वह बीके बंसल का बेटा है और इससे बुरा लगेगा। मैं उनसे बाहर जाने को कहती, लेकिन वे कहते कि सीबीआइ ने उससे कहा है कि जहां कहीं भी तुम छुपोगे, हम तुम्हें ढूंढ निकालेंगे।
रचना बताती है कि अगस्त में जमानत मिलने के बाद से बंसल और उनका बेटा लगभग रोज सीबीआइ दफ्तर जाते थे। सोमवार शाम योगेश ने कहा कि वे छह महीने के लिए शहर से बाहर जा सकते हैं। बंसल ने कहा कि वे उस दिन सीबीआइ
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