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उरी में सैन्य कैंप पर हुए हमले के बाद से ही लगातार इस बात पर चर्चा की जा रही है पाकिस्तान को युद्ध के मैदान में ही सबक सिखाना बेहतर विकल्प हो सकता है. केरल के कोज़ीकोड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के युद्ध के बजाय गरीबी, बेरोजगारी से लड़ने के आह्वान के बावजूद अभी भी बहुत सारे लोगों को युद्ध का विकल्प ही ज्यादा कारगर नज़र आ रहा है.
अगर आप भी उन लोगों में से है जिन्हें लगता है की युद्ध ही अब इस समस्या का हल है तो आपको खुद को इन बातों के लिए भी तैयार रखना होगा, क्योकि युद्ध की स्थिति में इस तरह की परिस्थितियों से आपको दो चार होना पड़ सकता है:
जीडीपी में जबरदस्त गिरावट:
अभी भारत की जीडीपी विकास की दर 8 फीसदी के करीब है और स्थिति सामान्य रही तो यह दर 2019 तक दोहरे अंको तक यानि 10 फीसदी के आस पास पहुँच सकती है. वहीँ युद्ध की स्थिति में जीडीपी में गिरावट दर्ज की जाएगी और यह हमें कम से कम 10 साल पीछे ढकेल देगी.
बढ़ेगी बेरोजगारी:
जीडीपी में गिरावट का सीधा असर कंपनियों के लाभ की कमी के रूप में दिखेगा. जिसके बाद कंपनियों को अपने नुकसान को कम करने के उद्देस्य से कॉस्ट कटिंग कर के पूरी करनी होगी, जिसका सीधा मतलब नई नौकरियों का ना आना, कई लोगों के नौकरियों का जाना और कइयों की सैलरी में कटौती होना शामिल है. कुछ वैसा ही जैसा 2008 की मंदी के वक़्त देखने को मिला था.
विकास के पहिये पड़ेंगे सुस्त:
1999 में कारगिल युद्ध के समय एक हफ्ते तक युद्ध करने का खर्च तकरीबन 5000 करोड़ रुपये था. अब युद्ध होने की स्थिति में यह अनुमान लगाया जा रहा है यह खर्च प्रतिदिन 5000 करोड़ रुपये के करीब होगा. ऐसे में अगर यह युद्ध हफ्ते दस दिन भी चला तो भारत सरकार पर भारी आर्थिक दबाव पड़ेगा, और ऐसे में सरकार अपने खर्चे में कटौती करेगी जिसका सीधा असर जनकल्याण योजनाओं में कटौती के रूप में दिखाई दे सकता है.
बढ़ेगी महंगाई:
अगर आपको लगता है कि दो सौ रुपये दाल और टमाटर के भाव बहुत ज्यादा थे तो हो सकता है युद्ध की स्थिति में जरुरी चीजों के दाम इससे भी अधिक इजाफा देखने को मिले. युद्ध का सीधा असर बढ़ती महंगाई के रूप में दिखाई देगा.
जवानों की शहादत के लिए रहना होगा तैयार:
अगर उरी में 18 जवानों के शहीद होने पर आपका खून खौल रहा है तो यकीन मानिए की युद्ध की स्थिति में आपको अपने सैकड़ों-हजारों सैनिक खोने के लिए तैयार रहना पड़ेगा. आकड़ें बताते हैं कि अभी तक भारत पाकिस्तान में हुए तीन युद्धों में दोनों तरफ से 22,000 से भी ज्यादा सैनिक मारे गए हैं. और अभी युद्ध होने कि स्थिति में भयंकर जान माल के नुकसान का अनुमान है.
100 रुपये तक पहुँच सकता है एक डॉलर का भाव: अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर रुपये में गिरावट के रूप में भी दिखेगा. अनुमान है कि युद्ध कि स्थिति में रुपया लुढ़क कर 100 रुपए प्रति डॉलर के स्तर को छू लेगा. इसका मतलब होगा बाहर देशों से आयात करने वाली हर वस्तु महंगी हो जाएगी. ऐसी स्थिति में पेट्रोल डीजल के भाव भी आसमान पर पहुँच जाएंगे.
परमाणु हमले कि भी बनी रहेगी आशंका:
भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु हथियार संपन्न देश हैं. ऐसे में अगर भारत को युद्ध के मैदान में भारी पड़ता देख पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार के इस्तेमाल की पहल करता है पूरे दक्षिण एशिया में भारी जानमाल का नुकसान देखने को मिलेगा.
उरी में सैन्य कैंप पर हुए हमले के बाद से ही लगातार इस बात पर चर्चा की जा रही है पाकिस्तान को युद्ध के मैदान में ही सबक सिखाना बेहतर विकल्प हो सकता है. केरल के कोज़ीकोड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के युद्ध के बजाय गरीबी, बेरोजगारी से लड़ने के आह्वान के बावजूद अभी भी बहुत सारे लोगों को युद्ध का विकल्प ही ज्यादा कारगर नज़र आ रहा है.
अगर आप भी उन लोगों में से है जिन्हें लगता है की युद्ध ही अब इस समस्या का हल है तो आपको खुद को इन बातों के लिए भी तैयार रखना होगा, क्योकि युद्ध की स्थिति में इस तरह की परिस्थितियों से आपको दो चार होना पड़ सकता है:
जीडीपी में जबरदस्त गिरावट:
अभी भारत की जीडीपी विकास की दर 8 फीसदी के करीब है और स्थिति सामान्य रही तो यह दर 2019 तक दोहरे अंको तक यानि 10 फीसदी के आस पास पहुँच सकती है. वहीँ युद्ध की स्थिति में जीडीपी में गिरावट दर्ज की जाएगी और यह हमें कम से कम 10 साल पीछे ढकेल देगी.
बढ़ेगी बेरोजगारी:
जीडीपी में गिरावट का सीधा असर कंपनियों के लाभ की कमी के रूप में दिखेगा. जिसके बाद कंपनियों को अपने नुकसान को कम करने के उद्देस्य से कॉस्ट कटिंग कर के पूरी करनी होगी, जिसका सीधा मतलब नई नौकरियों का ना आना, कई लोगों के नौकरियों का जाना और कइयों की सैलरी में कटौती होना शामिल है. कुछ वैसा ही जैसा 2008 की मंदी के वक़्त देखने को मिला था.
विकास के पहिये पड़ेंगे सुस्त:
1999 में कारगिल युद्ध के समय एक हफ्ते तक युद्ध करने का खर्च तकरीबन 5000 करोड़ रुपये था. अब युद्ध होने की स्थिति में यह अनुमान लगाया जा रहा है यह खर्च प्रतिदिन 5000 करोड़ रुपये के करीब होगा. ऐसे में अगर यह युद्ध हफ्ते दस दिन भी चला तो भारत सरकार पर भारी आर्थिक दबाव पड़ेगा, और ऐसे में सरकार अपने खर्चे में कटौती करेगी जिसका सीधा असर जनकल्याण योजनाओं में कटौती के रूप में दिखाई दे सकता है.
बढ़ेगी महंगाई:
अगर आपको लगता है कि दो सौ रुपये दाल और टमाटर के भाव बहुत ज्यादा थे तो हो सकता है युद्ध की स्थिति में जरुरी चीजों के दाम इससे भी अधिक इजाफा देखने को मिले. युद्ध का सीधा असर बढ़ती महंगाई के रूप में दिखाई देगा.
जवानों की शहादत के लिए रहना होगा तैयार:
अगर उरी में 18 जवानों के शहीद होने पर आपका खून खौल रहा है तो यकीन मानिए की युद्ध की स्थिति में आपको अपने सैकड़ों-हजारों सैनिक खोने के लिए तैयार रहना पड़ेगा. आकड़ें बताते हैं कि अभी तक भारत पाकिस्तान में हुए तीन युद्धों में दोनों तरफ से 22,000 से भी ज्यादा सैनिक मारे गए हैं. और अभी युद्ध होने कि स्थिति में भयंकर जान माल के नुकसान का अनुमान है.
100 रुपये तक पहुँच सकता है एक डॉलर का भाव: अर्थव्यवस्था में सुस्ती का असर रुपये में गिरावट के रूप में भी दिखेगा. अनुमान है कि युद्ध कि स्थिति में रुपया लुढ़क कर 100 रुपए प्रति डॉलर के स्तर को छू लेगा. इसका मतलब होगा बाहर देशों से आयात करने वाली हर वस्तु महंगी हो जाएगी. ऐसी स्थिति में पेट्रोल डीजल के भाव भी आसमान पर पहुँच जाएंगे.
परमाणु हमले कि भी बनी रहेगी आशंका:
भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु हथियार संपन्न देश हैं. ऐसे में अगर भारत को युद्ध के मैदान में भारी पड़ता देख पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार के इस्तेमाल की पहल करता है पूरे दक्षिण एशिया में भारी जानमाल का नुकसान देखने को मिलेगा.
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