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आयोग को कठोर कदम उठाने होंगे-डॉ तोमर, मानवाधिकार आयोग की कार्यशाला में अपने व्याख्यान में रखी समस्याएं,झाबुआ में हुई हृदय विदारक घटना से की अपनी बात की शुरुआत
भोपाल - मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग 21 सितम्बर 2016 को अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में भोपाल में आयोग की ओर से बालश्रम एवं बाल अधिकार विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
इस कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ होने के नाते बचपन बचाओ आंदोलन के पूर्व राज्य संयोजक एवं मानवाधिकार एवं बाल अधिकार कार्यकर्ता डॉ राघवेन्द्रसिंह तोमर को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास मन्त्री श्रीमती अर्चना चिटनीस एवं मध्यप्रदेश बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र शर्मा विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र मोहन कंवर ने की ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाल अधिकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं बचपन बचाओ आंदोलन के पूर्व संयोजक डॉ राघवेन्द्रसिंह तोमर ने सबसे पहले झबुआ के ढेबर गाँव के असमय काल के मुंह में समाये चारों बच्चों एवं उनके माता पिता को श्रद्धांजली देते हुये सरकार की लाचार व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर अब भी हम समय रहते नहीं सचेत हुये तो ढेबर जैसी घटनाएं हमें यूँ ही व्यथित करती रहेगी ।उन्होंने बच्चों एवं उनके माता पिता को नमन करते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाया तब पूरा सदन इस घटना से स्तब्ध था ।
डॉ तोमर ने कहा कि प्रदेश में ईंट भट्ठों,स्लेट पेन्सिल उद्योग,शराब फैक्ट्रियों,पत्थर खदानों,तेंदूपत्ता एवं बीड़ी उद्योग,सराफा कारीगरों के कारखानों, होटलों,चाय की दुकानों,घरों एवं अन्य कल कारखानों में 20 लाख से अधिक बच्चे बालश्रम करने को मजबूर है पर सरकार के जिम्मेदार अधिकारी एवं विभाग कागजी कार्यवाहियां करने में जुटे हुए है ।इसी प्रकार बड़ी संख्या में बच्चों से भीख मंगवाने,तस्करी कराने जैसे काम भी कराये जा रहे है ।
डॉ तोमर ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में बच्चों की तस्करी के मामलों के साथ बच्चियों के साथ दुराचार एवं शोषण के मामले लगातार बढ़ना बेहद चिंता का विषय है ।नाबालिग बच्चियों से देह व्यापार जैसा घिनोना कृत्य कराया जाना बहुत शर्मनाक है । मन्दसौर नीमच एवं रतलाम जिलों में यह अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है लेकिन जिम्मेदार अपने कर्तव्य से पलायन कर रहे है ।
डॉ तोमर ने कहा कि बालश्रम एवं बाल शोषण को रोकने के लिए बनी प्रदेश,जिला एवं ब्लॉक स्तर की समितियां सिर्फ कागजों की शोभा बड़ा रही है हकीकत में कोई कार्य नहीं होता । श्रम विभाग,पुलिस विभाग एवं महिला शशक्तिकरण विभाग को इस दिशा में संयुक्त और नियमित कार्यवाहियां करनी चाहिए जो कभी नहीं होती ।
डॉ तोमर ने आँगनवाड़ियों एवं शासकीय विद्यालयों एवं मदरसों के संचालन में हो रही अनियमितताएं एवं मध्यान्ह भोजन तथा पोषण आहार की गुणवत्ता ख़राब होने को कुपोषण का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि जब तक ईमानदार इच्छा शक्ति एवं नैतिकता जिम्मेदार लोंगों में नहीं आएगी तब तक हमारे नन्हे मुन्हे बच्चों का शोषण होता रहेगा ।
डॉ तोमर ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम का बुरी तरह मख़ौल उड़ाया जा रहा है ।जरूरत मंद बच्चों को समय पर निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के लिये अभी तक सितम्बर माह में भी प्रवेश नहीं मिल पा रहा है । प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय एवं जिला शिक्षा केंद्र सिर्फ आमदनी कमाने का जरिया बन चुके है ।
डॉ तोमर ने कहा कि केन्द्र सरकार की महती योजना राष्ट्रीय बालश्रम परियोजना एवं मदरसों के संचालन व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है । यहाँ दर्ज बच्चों की संख्या और उनकी उपस्थिति की जांच कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके ।
डॉ तोमर ने कहा कि श्रम विभाग कहता है कि प्रदेश में कोई बाल श्रमिक नहीं है तो फिर राष्ट्रिय बाल श्रम योजना में जो बच्चे अध्ययनरत है वह कौन बच्चे है ? क्या यह योजना बंद होनी चाहिये ।
डॉ तोमर ने कहा कि मन्दसौर में मानव तस्करी के खिलाफ पूर्व में चलाया गया अभियान वर्तमान में रोक दिया गया जिस कारण पुनः बच्चियों की खरीद फरोख्त प्रारम्भ हो गई है ।पूर्व में जिन बच्चियों को मानव तस्करों से मुक्त कराया गया उनके लिये सरकार की कोई विशेष योजना नहीं होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है । साथ ही उन बच्चियों को वापस उन्ही मानव तस्करों को सौंपे जाने का खतरा लगातार बना हुआ है इस दिशा में ठोस कार्यवाही जरूरी है ।
डॉ तोमर ने महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनीस,मानव अधिकार आयोग कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ वीरेन्द्र मोहन कंवर, मध्यप्रदेश बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष डॉ राघवेन्द्र शर्मा से इन सब मामलों पर कार्यवाही हेतु एक विशेष दल का गठन कर कार्यवाही करने का प्रस्ताव रखा ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास मन्त्री श्रीमती अर्चना चिटनीस, मध्यप्रदेश बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र शर्मा एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र मोहन कंवर ने डॉ तोमर को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा सदन के संज्ञान में लाये गए सभी मामलों पर कार्यवाही हेतु विभिन्न दलों का गठन कर बच्चों के अधिकार दिलाने की कार्ययोजना बनाई जाएगी । शीघ्र ही मन्दसौर के सभी मामलों की जाँच एवं कार्यवाही के लिये आयोग अपने एक दल को भेजकर जाँच कराकर कार्यवाही करेगा ।
आयोग को कठोर कदम उठाने होंगे-डॉ तोमर, मानवाधिकार आयोग की कार्यशाला में अपने व्याख्यान में रखी समस्याएं,झाबुआ में हुई हृदय विदारक घटना से की अपनी बात की शुरुआत
भोपाल - मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग 21 सितम्बर 2016 को अपने स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में भोपाल में आयोग की ओर से बालश्रम एवं बाल अधिकार विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
इस कार्यक्रम में विषय विशेषज्ञ होने के नाते बचपन बचाओ आंदोलन के पूर्व राज्य संयोजक एवं मानवाधिकार एवं बाल अधिकार कार्यकर्ता डॉ राघवेन्द्रसिंह तोमर को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास मन्त्री श्रीमती अर्चना चिटनीस एवं मध्यप्रदेश बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र शर्मा विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र मोहन कंवर ने की ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बाल अधिकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं बचपन बचाओ आंदोलन के पूर्व संयोजक डॉ राघवेन्द्रसिंह तोमर ने सबसे पहले झबुआ के ढेबर गाँव के असमय काल के मुंह में समाये चारों बच्चों एवं उनके माता पिता को श्रद्धांजली देते हुये सरकार की लाचार व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर अब भी हम समय रहते नहीं सचेत हुये तो ढेबर जैसी घटनाएं हमें यूँ ही व्यथित करती रहेगी ।उन्होंने बच्चों एवं उनके माता पिता को नमन करते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाया तब पूरा सदन इस घटना से स्तब्ध था ।
डॉ तोमर ने कहा कि प्रदेश में ईंट भट्ठों,स्लेट पेन्सिल उद्योग,शराब फैक्ट्रियों,पत्थर खदानों,तेंदूपत्ता एवं बीड़ी उद्योग,सराफा कारीगरों के कारखानों, होटलों,चाय की दुकानों,घरों एवं अन्य कल कारखानों में 20 लाख से अधिक बच्चे बालश्रम करने को मजबूर है पर सरकार के जिम्मेदार अधिकारी एवं विभाग कागजी कार्यवाहियां करने में जुटे हुए है ।इसी प्रकार बड़ी संख्या में बच्चों से भीख मंगवाने,तस्करी कराने जैसे काम भी कराये जा रहे है ।
डॉ तोमर ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में बच्चों की तस्करी के मामलों के साथ बच्चियों के साथ दुराचार एवं शोषण के मामले लगातार बढ़ना बेहद चिंता का विषय है ।नाबालिग बच्चियों से देह व्यापार जैसा घिनोना कृत्य कराया जाना बहुत शर्मनाक है । मन्दसौर नीमच एवं रतलाम जिलों में यह अवैध कारोबार खूब फल फूल रहा है लेकिन जिम्मेदार अपने कर्तव्य से पलायन कर रहे है ।
डॉ तोमर ने कहा कि बालश्रम एवं बाल शोषण को रोकने के लिए बनी प्रदेश,जिला एवं ब्लॉक स्तर की समितियां सिर्फ कागजों की शोभा बड़ा रही है हकीकत में कोई कार्य नहीं होता । श्रम विभाग,पुलिस विभाग एवं महिला शशक्तिकरण विभाग को इस दिशा में संयुक्त और नियमित कार्यवाहियां करनी चाहिए जो कभी नहीं होती ।
डॉ तोमर ने आँगनवाड़ियों एवं शासकीय विद्यालयों एवं मदरसों के संचालन में हो रही अनियमितताएं एवं मध्यान्ह भोजन तथा पोषण आहार की गुणवत्ता ख़राब होने को कुपोषण का मुख्य कारण बताते हुए कहा कि जब तक ईमानदार इच्छा शक्ति एवं नैतिकता जिम्मेदार लोंगों में नहीं आएगी तब तक हमारे नन्हे मुन्हे बच्चों का शोषण होता रहेगा ।
डॉ तोमर ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम का बुरी तरह मख़ौल उड़ाया जा रहा है ।जरूरत मंद बच्चों को समय पर निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के लिये अभी तक सितम्बर माह में भी प्रवेश नहीं मिल पा रहा है । प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय एवं जिला शिक्षा केंद्र सिर्फ आमदनी कमाने का जरिया बन चुके है ।
डॉ तोमर ने कहा कि केन्द्र सरकार की महती योजना राष्ट्रीय बालश्रम परियोजना एवं मदरसों के संचालन व्यवस्था में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है । यहाँ दर्ज बच्चों की संख्या और उनकी उपस्थिति की जांच कराई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके ।
डॉ तोमर ने कहा कि श्रम विभाग कहता है कि प्रदेश में कोई बाल श्रमिक नहीं है तो फिर राष्ट्रिय बाल श्रम योजना में जो बच्चे अध्ययनरत है वह कौन बच्चे है ? क्या यह योजना बंद होनी चाहिये ।
डॉ तोमर ने कहा कि मन्दसौर में मानव तस्करी के खिलाफ पूर्व में चलाया गया अभियान वर्तमान में रोक दिया गया जिस कारण पुनः बच्चियों की खरीद फरोख्त प्रारम्भ हो गई है ।पूर्व में जिन बच्चियों को मानव तस्करों से मुक्त कराया गया उनके लिये सरकार की कोई विशेष योजना नहीं होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है । साथ ही उन बच्चियों को वापस उन्ही मानव तस्करों को सौंपे जाने का खतरा लगातार बना हुआ है इस दिशा में ठोस कार्यवाही जरूरी है ।
डॉ तोमर ने महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती चिटनीस,मानव अधिकार आयोग कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ वीरेन्द्र मोहन कंवर, मध्यप्रदेश बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष डॉ राघवेन्द्र शर्मा से इन सब मामलों पर कार्यवाही हेतु एक विशेष दल का गठन कर कार्यवाही करने का प्रस्ताव रखा ।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि महिला एवं बाल विकास मन्त्री श्रीमती अर्चना चिटनीस, मध्यप्रदेश बाल अधिकार आयोग अध्यक्ष श्री राघवेन्द्र शर्मा एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष श्री वीरेन्द्र मोहन कंवर ने डॉ तोमर को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा सदन के संज्ञान में लाये गए सभी मामलों पर कार्यवाही हेतु विभिन्न दलों का गठन कर बच्चों के अधिकार दिलाने की कार्ययोजना बनाई जाएगी । शीघ्र ही मन्दसौर के सभी मामलों की जाँच एवं कार्यवाही के लिये आयोग अपने एक दल को भेजकर जाँच कराकर कार्यवाही करेगा ।
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