अवधेश पुरोहित @ Toc News
भोपाल। राज्य की भाजपा सरकार की कार्यकाल के दौरान २२ अरब रुपये प्रदेश में लगे कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिये पानी की तरह बहा दिये गये लेकिन उसके बावजूद भी राज्य में कुपोषण न तो कम होने का नाम ले रहा है और ना ही यह कलंक का टीका प्रदेश के माथे से खत्म करने की कोशिश में जरूर यह सरकार लगी हुई है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कागजों पर फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर जो दावे पेश किये जाते हैं उनसे प्रभावित होकर यह सरकार यह दावा आंकड़ों के आधार पर जरूर करती नजर आती है कि पहले इतने प्रतिशत था अब इतने प्रतिशत कुपोषण रह गया,
इसी आंकड़ेबाजी के खेल के चलते कुपोषण के मामले में भ्रष्टाचार की गंगोत्री मुख्यमंत्री के निकट के अधिकारियों से गुजरते हुए राज्य के श्योपुर, खंडवा, बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, शिवपुरी जैसे उन जिलों तक पहुंचती रही है, जहां के नौनिहाल कुपोषण की चपेट में आकर काल के गाल में एक के बाद एक समाते जा रहे हैं, लेकिन फिर भी सत्ता में बैठे सत्ताधीश इस मामले में भ्रष्टाचार की सीमा पार कर चुके भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा मुख्यमंत्री को गुमराह किया जाता रहा है और मुख्यमंत्री भी अधिकारियों की कागजों पर आंकड़ों की कलाबाजी को प्रफुल्लित होते रहे, लेकिन यह सब खेल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निकटतम और चहेते अधिकारियों के संरक्षण में ही चलता रहा और कर्जदार राज्य के खजाने से इस योजना में २२ करोड़ कागजों पर ही खर्च होते रहे
तो वहीं दूसरी ओर उक्त अधिकारी के संरक्षण में राज्य में सक्रिय पत्रकारों, राजनेताओं, ठेकेदारों और सत्ताधीशों की जुगलबंदी के चलते राज्य के कुपोषण के शिकार बच्चों और गर्भवती महिलाओं के निवाले पर डाका डालकर अपनी तिजोरी भरने का दौर खूब चल रहा है मजे की बात यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा जबकि इस कुपोषण के कलंक को मिटाने की उन्होंने कोशिश न की हो लेकिन उनकी इस कोशिश को उनके ही चहेते अधिकारियों द्वारा बट्टा लगाने का काम भी उतनी ही शक्ति से किया गया जिस तत्परता से मुख्यंमत्री इस कुपोषण की दिशा में सार्थक पहल करने की योजना बनाने में लगे थे,
लेकिन उनकी इस योजना को बट्टा लगाने का काम उनके ही चहेते अधिकारी द्वारा किया गया लेकिन इसके बावजूद भी न तो आजतक मुख्यमंत्री ने अपने विश्वसनीय अधिकारी के खिलाफ कोई कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई उनकी इस तरह की कार्यप्रणाली से राज्य में यह चर्चा लोग चटकारे लेकर करते नजर आ रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री के विश्वसनीय अधिकारी द्वारा प्रदेश की गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के मुंह के निवाले पर डाका डालने का काम किसके संरक्षण में किया और इतनी भारी भरकम राशि में आखिर किस-किसकी हिस्सेदारी हुई है, इस खोज में सभी लगे हुए हैं, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने उस चहेते अधिकारी के खिलाफ कोई सार्थक कदम नहीं उठाना भी कई संदेहों को जन्म दे रहा है।
तो लोग यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि यूँ तो भ्रष्टाचार की गंगोत्री प्रदेश में ऊपर से नीचे तक बह रही है, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में लगता है यह गंगोत्री ऊपर से नीचे की तरह अपनी सही दिशा में बहती नजर आ रही है और इस गंगोत्री में सभी कुपोषण और गर्भवती महिलाओं के मुंह के निवाले पर डाका डालने वाले वह जनप्रतिनिधि, पत्रकार, ठेकेदार और राजनेता लगे हुए हैं और सरकार केवल इस मामले के लेकर खानापूर्ति और नई-नई घोषणाएं करती दिखाई दे रही हैं तो वहीं हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की यह घोषणा की सोजना और आयुर्वेद से कुपोषण की समस्या से निजात पाई जा सकती है।
इसको लेकर लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि कब सोजना बोये जायेंगे, कब बड़े होंगे और कब उनमें फलियां लगेंंगी और कब कुपोशित बच्चों को उनके आहार के साथ परोसी जाएंगी अर्चना चिटनीस के इस अंक गणित को लेकर सभी उलझे हुए हैं तो वहीं इस बात को लेकर भी चर्चा है कि कहीं कुपोषण के नाम पर बाबा रामदेव के शोरूम सहकारिता विभाग की तरह महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस खुलवाने की कोशिश में तो नहीं हैं क्योंकि मोदी सरकार के देश की जनता को अच्छे दिन आने का झुनझुना पकड़ाकर केवल और केवल बाबा रामदेव या भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के अच्छे दिन नजर आ रहे हैं बाकी लोग आज भी अपने अच्छे दिन आने का इंतजार कर रहे हैं।
भोपाल। राज्य की भाजपा सरकार की कार्यकाल के दौरान २२ अरब रुपये प्रदेश में लगे कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिये पानी की तरह बहा दिये गये लेकिन उसके बावजूद भी राज्य में कुपोषण न तो कम होने का नाम ले रहा है और ना ही यह कलंक का टीका प्रदेश के माथे से खत्म करने की कोशिश में जरूर यह सरकार लगी हुई है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा कागजों पर फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर जो दावे पेश किये जाते हैं उनसे प्रभावित होकर यह सरकार यह दावा आंकड़ों के आधार पर जरूर करती नजर आती है कि पहले इतने प्रतिशत था अब इतने प्रतिशत कुपोषण रह गया,
इसी आंकड़ेबाजी के खेल के चलते कुपोषण के मामले में भ्रष्टाचार की गंगोत्री मुख्यमंत्री के निकट के अधिकारियों से गुजरते हुए राज्य के श्योपुर, खंडवा, बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, शिवपुरी जैसे उन जिलों तक पहुंचती रही है, जहां के नौनिहाल कुपोषण की चपेट में आकर काल के गाल में एक के बाद एक समाते जा रहे हैं, लेकिन फिर भी सत्ता में बैठे सत्ताधीश इस मामले में भ्रष्टाचार की सीमा पार कर चुके भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा मुख्यमंत्री को गुमराह किया जाता रहा है और मुख्यमंत्री भी अधिकारियों की कागजों पर आंकड़ों की कलाबाजी को प्रफुल्लित होते रहे, लेकिन यह सब खेल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निकटतम और चहेते अधिकारियों के संरक्षण में ही चलता रहा और कर्जदार राज्य के खजाने से इस योजना में २२ करोड़ कागजों पर ही खर्च होते रहे
तो वहीं दूसरी ओर उक्त अधिकारी के संरक्षण में राज्य में सक्रिय पत्रकारों, राजनेताओं, ठेकेदारों और सत्ताधीशों की जुगलबंदी के चलते राज्य के कुपोषण के शिकार बच्चों और गर्भवती महिलाओं के निवाले पर डाका डालकर अपनी तिजोरी भरने का दौर खूब चल रहा है मजे की बात यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा जबकि इस कुपोषण के कलंक को मिटाने की उन्होंने कोशिश न की हो लेकिन उनकी इस कोशिश को उनके ही चहेते अधिकारियों द्वारा बट्टा लगाने का काम भी उतनी ही शक्ति से किया गया जिस तत्परता से मुख्यंमत्री इस कुपोषण की दिशा में सार्थक पहल करने की योजना बनाने में लगे थे,
लेकिन उनकी इस योजना को बट्टा लगाने का काम उनके ही चहेते अधिकारी द्वारा किया गया लेकिन इसके बावजूद भी न तो आजतक मुख्यमंत्री ने अपने विश्वसनीय अधिकारी के खिलाफ कोई कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई उनकी इस तरह की कार्यप्रणाली से राज्य में यह चर्चा लोग चटकारे लेकर करते नजर आ रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री के विश्वसनीय अधिकारी द्वारा प्रदेश की गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों के मुंह के निवाले पर डाका डालने का काम किसके संरक्षण में किया और इतनी भारी भरकम राशि में आखिर किस-किसकी हिस्सेदारी हुई है, इस खोज में सभी लगे हुए हैं, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने उस चहेते अधिकारी के खिलाफ कोई सार्थक कदम नहीं उठाना भी कई संदेहों को जन्म दे रहा है।
तो लोग यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि यूँ तो भ्रष्टाचार की गंगोत्री प्रदेश में ऊपर से नीचे तक बह रही है, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में लगता है यह गंगोत्री ऊपर से नीचे की तरह अपनी सही दिशा में बहती नजर आ रही है और इस गंगोत्री में सभी कुपोषण और गर्भवती महिलाओं के मुंह के निवाले पर डाका डालने वाले वह जनप्रतिनिधि, पत्रकार, ठेकेदार और राजनेता लगे हुए हैं और सरकार केवल इस मामले के लेकर खानापूर्ति और नई-नई घोषणाएं करती दिखाई दे रही हैं तो वहीं हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस की यह घोषणा की सोजना और आयुर्वेद से कुपोषण की समस्या से निजात पाई जा सकती है।
इसको लेकर लोग यह कहते नजर आ रहे हैं कि कब सोजना बोये जायेंगे, कब बड़े होंगे और कब उनमें फलियां लगेंंगी और कब कुपोशित बच्चों को उनके आहार के साथ परोसी जाएंगी अर्चना चिटनीस के इस अंक गणित को लेकर सभी उलझे हुए हैं तो वहीं इस बात को लेकर भी चर्चा है कि कहीं कुपोषण के नाम पर बाबा रामदेव के शोरूम सहकारिता विभाग की तरह महिला बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस खुलवाने की कोशिश में तो नहीं हैं क्योंकि मोदी सरकार के देश की जनता को अच्छे दिन आने का झुनझुना पकड़ाकर केवल और केवल बाबा रामदेव या भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के अच्छे दिन नजर आ रहे हैं बाकी लोग आज भी अपने अच्छे दिन आने का इंतजार कर रहे हैं।
No comments:
Post a Comment