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रेवाड़ी। सूबे में स्टडी सेंटर के नाम पर चल रही शिक्षा की दुकानें किस तरह अपना काम कर रही हैं, इसकी बानगी रेवाड़ी के अहीर कॉलेज में उस वक्त देखने को मिली, जब मात्र 50 हजार रूपए में पीएचडी की डिग्री देने का मामला सामने आया। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई और कई दिनों तक चले इस खेल के बाद कॉलेज के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक यादुवेंद्र सिंह की शिकायत पर शहर थाना पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दरअसल, अहीरवाल का लंदन कहे जाने वाले रेवाड़ी शहर का अहीर कॉलेज है। इस कॉलेज को पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व उनके छोटे भाई यादुवेन्द्र सिंह का संरक्षण रहा है, इस कॉलेज में चल रहे गोलमाल को देखकर हर कोई हैरान है। क्योंकि यहां के 3 कर्मचारियों ने प्राचार्य से शिकायत की थी कि कॉलेज के ही एक प्रोफेसर ने 50 हजार रूपए लेकर उन्हें पीएचडी की फर्जी डिग्री थमा दी है। शिकायत मिलते ही आनन-फानन में एक कमेटी गठित की गई। कमेटी ने मामले की जांच कर कॉलेज के ही प्रोफेसर डॉक्टर गजेंद्र सिंह को दोषी मानते हुए इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से की है। जिसके बाद प्रोफेसर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हो गया है।
जानकारी के मुताबिक, कॉलेज के ही डीपीई, लैब असिस्टेंट व कॉलेज के ही एक प्रोफेसर के बेटे को एम फिल व नेट क्लीयर करने के बाद अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाने की चाहत हुई, तो उन्होंने साथी प्रोफेसर से फर्जी डिग्री का जुगाड़ करने को कहा। साथी ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी और 50 से लेकर 80 हजार रूपए तक में उन्हें पीएचडी की डिग्री उपलब्ध करवा दी।
हालांकि बाद में डिग्री लेने वाले को पता लगा कि जिस विश्वविद्यालय की डिग्री उन्हें दी गई है, उस विश्वविद्यालय को यूजीसी ने पहले ही फ्रॉड घोषित कर दिया है। इसके बाद गुरुजी ने यूपी के कानपुर से डिग्री दिलाने की बात कहकर उनसे और राशि ऐंठ ली।
वहीं आरोपी प्रोफेसर गजेंद्र यादव ने कॉलेज प्रशासन पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिया है। उन्होंने कॉलेज के कई प्राध्यापकों पर फर्जी डिग्री लगाकर साक्षात्कार देने का आरोप भी लगाया। वहीं उन्होंने कहा कि वे लगातार कॉलेज में होने वाले गोलमाल को लेकर आरटीआई लगा रहे हैं, लेकिन कॉलेज प्रशासन उन्हें कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवा रहा है। उन्हें तो मात्र बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अगर कॉलेज की जांच हो तो फर्जी डिग्री मामले का बड़ा खुलासा हो सकता है।
उन्होंने पुलिस अधीक्षक को पुख्ता सुबूत उपलब्ध करवा दिए हैं कि किन-किन प्राध्यापकों ने फर्जी डिग्री लगाकर कॉलेज में प्रोफेसर का पद हासिल किया है, हालांकि पुलिस ने गजेन्द्र के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है। लेकिन एक बात जरूर साफ है कि कॉलेज में फर्जी डिग्री खरीदने का यह खेल शायद लंबे समय से चल रहा था। कॉलेज प्रशासन चाहकर भी इसे उजागर नहीं कर पा रहा था, क्योंकि यह कॉलेज एक प्रतिष्ठित राजघराने से संबंध रखता है।
रेवाड़ी। सूबे में स्टडी सेंटर के नाम पर चल रही शिक्षा की दुकानें किस तरह अपना काम कर रही हैं, इसकी बानगी रेवाड़ी के अहीर कॉलेज में उस वक्त देखने को मिली, जब मात्र 50 हजार रूपए में पीएचडी की डिग्री देने का मामला सामने आया। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई और कई दिनों तक चले इस खेल के बाद कॉलेज के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक यादुवेंद्र सिंह की शिकायत पर शहर थाना पुलिस ने प्रोफेसर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दरअसल, अहीरवाल का लंदन कहे जाने वाले रेवाड़ी शहर का अहीर कॉलेज है। इस कॉलेज को पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेंद्र सिंह, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व उनके छोटे भाई यादुवेन्द्र सिंह का संरक्षण रहा है, इस कॉलेज में चल रहे गोलमाल को देखकर हर कोई हैरान है। क्योंकि यहां के 3 कर्मचारियों ने प्राचार्य से शिकायत की थी कि कॉलेज के ही एक प्रोफेसर ने 50 हजार रूपए लेकर उन्हें पीएचडी की फर्जी डिग्री थमा दी है। शिकायत मिलते ही आनन-फानन में एक कमेटी गठित की गई। कमेटी ने मामले की जांच कर कॉलेज के ही प्रोफेसर डॉक्टर गजेंद्र सिंह को दोषी मानते हुए इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक से की है। जिसके बाद प्रोफेसर के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हो गया है।
जानकारी के मुताबिक, कॉलेज के ही डीपीई, लैब असिस्टेंट व कॉलेज के ही एक प्रोफेसर के बेटे को एम फिल व नेट क्लीयर करने के बाद अपने नाम के आगे डॉक्टर लगाने की चाहत हुई, तो उन्होंने साथी प्रोफेसर से फर्जी डिग्री का जुगाड़ करने को कहा। साथी ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी और 50 से लेकर 80 हजार रूपए तक में उन्हें पीएचडी की डिग्री उपलब्ध करवा दी।
हालांकि बाद में डिग्री लेने वाले को पता लगा कि जिस विश्वविद्यालय की डिग्री उन्हें दी गई है, उस विश्वविद्यालय को यूजीसी ने पहले ही फ्रॉड घोषित कर दिया है। इसके बाद गुरुजी ने यूपी के कानपुर से डिग्री दिलाने की बात कहकर उनसे और राशि ऐंठ ली।
वहीं आरोपी प्रोफेसर गजेंद्र यादव ने कॉलेज प्रशासन पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिया है। उन्होंने कॉलेज के कई प्राध्यापकों पर फर्जी डिग्री लगाकर साक्षात्कार देने का आरोप भी लगाया। वहीं उन्होंने कहा कि वे लगातार कॉलेज में होने वाले गोलमाल को लेकर आरटीआई लगा रहे हैं, लेकिन कॉलेज प्रशासन उन्हें कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवा रहा है। उन्हें तो मात्र बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अगर कॉलेज की जांच हो तो फर्जी डिग्री मामले का बड़ा खुलासा हो सकता है।
उन्होंने पुलिस अधीक्षक को पुख्ता सुबूत उपलब्ध करवा दिए हैं कि किन-किन प्राध्यापकों ने फर्जी डिग्री लगाकर कॉलेज में प्रोफेसर का पद हासिल किया है, हालांकि पुलिस ने गजेन्द्र के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है। लेकिन एक बात जरूर साफ है कि कॉलेज में फर्जी डिग्री खरीदने का यह खेल शायद लंबे समय से चल रहा था। कॉलेज प्रशासन चाहकर भी इसे उजागर नहीं कर पा रहा था, क्योंकि यह कॉलेज एक प्रतिष्ठित राजघराने से संबंध रखता है।
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