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रांची । विकास की नित्त नई ऊचाईयां छूते भारत का एक कोना ऐसा भी है जहां गरीबी और बेबसी है। ऐसे गरीबों का कोई देखभाल करने वाला नहीं होता है। सरकार के द्वारा चलाई गई स्कीमों और बनाये गए बड़े-बड़े अस्पतालों में भी इन्हें कोई देखने वाला नहीं है। इनकी बेबसी पर ना तो कोई साथ देने वाला है और न ही कोई रोने वाला।
ऐसा ही एक दर्दनाक मामला सामने आया है रांची स्थित रिम्स अस्पताल से। रिम्स के ऑर्थो वार्ड के कॉरीडोर में एक लावारिश महिला को फर्श पर खाना दिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय जांच टीक का गठन किया गया। जांच टीम ने महिला और रिम्स की उपाधीक्षक, डायटिशियन कुमारी मीनाक्षी से पूछताछ की।
पूछताछ में महिला ने बताया कि एक महीने से उसे जमीन पर ही खाना दिया जा रहा है। किचन का स्टाफ उसे जमीन पर ही खाना देता है। बता दें कि गुरुवार को रांची के एक बड़े गवर्नमेंट हॉस्पिटल राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में महिला के साथ जानवरों जैसा सलूक किये जाने का मामला सामने आया।
रिम्स जैसे अस्पताल में ये महिला फर्श पर खाना खाने को मजबूर है। जहां लोगों को बिना बेड के बैठने में भी शर्म महसूस होती है। जब महिला ने किचन स्टाफ से खाना मांगा तो उसे पहले फटकारा गया। बाद में उससे फर्श साफ करवाया गया और उसी फर्श पर खाना दिया गया। दरअसल इस गरीब महिला के पास खाना खाने के लिए कोई बर्तन नहीं था।
ये इस गरीब दुखिया की लाचारी नहीं है, ये तो रिम्स की मजबूरी है! हर साल 300 करोड़ रिम्स के योजना मद में खर्च होते हैं लेकिन एक गरीब को थाली देने के लिए भी इसके पास पैसे नहीं है। खुदा न करे कि कोई गरीब अगर इनके पास अपनी सांसे छोड़ दें तो न जाने रिम्स उसके साथ कैसा व्यवहार करेंगे?
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