अवधेश पुरोहित @ Bhopal
भोपाल। भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के वायदे के साथ भाजपा की यह सरकार सत्ता में आई यदि दो-तीन वर्षों के सुश्री उमा भारती और बाबूलाल गौर का शासनकाल छोड़ दिया जाए तो १३ वर्षों की प्रदेश भाजपा सरकार की सत्ता पर शिवराज सिंह चौहान काबिज हैं लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में हर प्रकार के माफियाओं के साथ-साथ मंत्री, अधिकारियों और सत्ता के दलालों के रैकेट के चलते राज्य में इस तरह का माहौल बना कि आज जनता तो भयभीत है ही तो वहीं भाजपा शासन से जुड़े मंत्री और उसकी पार्टी के विधायक के साथ-साथ अधिकारी भी पूरी तरह से भय के वातावरण में जीवन जी रहे हैं राज्य में यदि कोई इन माफियाओं के खिलाफ किसी भी तरह की आवाज उठाता है तो उसके खिलाफ यह माफिया एकजुट हो जाते हैं ऐसा ही कुछ राज्य के गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के साथ पिछले दिनों हुआ,
जब भूपेन्द्र सिंह ने राज्य के खाली खजाने को भरने और प्रदेश में शराब और परिवहन माफियाओं के खिलाफ एसी कमरों से निकलकर सड़क पर उतरकर कार्यवाही करना शुरू की तो राज्य में सक्रिय परिवहन माफिया जिनमें अधिकांश मंत्री और भाजपा के नेता शामिल हैं जिनकी बसें परिवहन नियमों को ताक में रखकर सड़कों पर वर्षों से धड़ल्ले से फर्राटे लेकर दौड़ रही हैं उनपर जब कार्यवाही परिवहन मंत्री ने शुरू की तो यह परिवहन माफिया उनके खिलाफ सक्रिय हो गया, मजे की बात तो यह है कि मंत्री महोदय की सक्रियता के खिलाफ राज्य के परिवहन आयुक्त ने भी अपनी जुबान खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी जब उनसे उनके इंदौर प्रवास के दौरान मीडिया ने यह पूछा कि आपने कोई बसें वगैरह चैक नहीं की तो उन्होंने अपने ही विभाग के मंत्री पर व्यंग्य कसते हुए मीडिया को जवाब दिया कि मेरा नाम वर्षों से खबरों में रहा है और अब मुझे छपास का कोई रोग नहीं है,
परिवहन आयुक्त के इस तरह के बयान से यह साफ जाहिर हो जाता है कि प्रदेश में हावी नौकरशाही के खिलाफ जब कोई कुछ कदम उठाता है तो वह उसका विरोध करता है, ऐसा ही कुछ परिवहन आयुक्त के इस मीडिया को दिये गये जवाब से मिलता है। यह स्थिति तो राज्य के गृहमंत्री की है, लेकिन राज्य में गुणवत्ताविहीन सड़कों के निर्माण करने वाली इन एजेंसियों के खिलाफ जब कहीं कोई कार्यवाही की जाती है तो वह भी जनप्रतिनिधियों को निशाना बनाने में नहीं चूकती, ऐसा ही कुछ धार जिले के जनविधायक ठाकुर सिंह ठाकुर के साथ हुआ उन्होंने जब इस जिले में नागदा-गुजरी रोड का निर्माण कर रही कंपनी के ठेकेदार मालिक डीपी अग्रवाल की दादागिरी कर सड़क निर्माण के दौरान किसानों को नुकसान पहुंचाने की कारगुजारी के खिलाफ जब आवाज उठाई तो मजे की बात यह है कि सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी के विधायक के खिलाफ मोर्चाबंदी करने वाले विधायक के खिलाफ प्रशासन और ठेकेदार एक होकर उन्हें बदनाम करने के तरह-तरह के षडय़ंत्र रचने लगे तो वहीं प्रशासन और ठेकेदार की मिलीभगत से विधायक के निजी सहायक और ड्रायवर पर एफआईआर दर्ज करवाकर उन्हें प्रताडि़त किया जाने लगा तो इससे दुखी विधायक ने जब शासन से अपने स्टाफ को बेकसूर बताने के प्रयास किये तो उसे प्रशासन में बैठी नौकरशाही ने उनकी एक नहीं सुनी जिससे वह निराश होकर अब अपना गृह जिले से पलायन करने का मन बना रहे हैं।
जहाँ भाजपा शासनकाल में सक्रिय माफियाओं का वर्चस्व इतना है कि उसके अवैध कारोबार के आगे जो कोई आता है उसे बक्शने की जहमत तक नहीं उठाते फिर वह आईएस अधिकारी हो या आईपीएस हो, ऐसा ही कुछ प्रदेश के नरसिंहपुर मुख्यालय में घटना घटित हुई, यहां खनिज माफियाओं के खिलाफ सघन अभियान छेडऩे वाले खनन अधिकारी ओपी बघेल की उनके निवास पर खड़ी कार को गत रात्रि आग के हवाले कर दिया।
हालांकि इससे पूर्व खनिज माफियाओं द्वारा एक आईपीएस अधिकारी से लेकर कई पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार चुका है, लेकिन उसके बाद भी सरकार इन माफियाओं को संरक्षण देने में लगी हुई है, यही वजह है कि आज राज्य में खनिज माफिया इतने दबंग हो गए कि उनके काम में जो भी बाधा डालता है, उसे निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इस तरह की घटनाओं के साथ-साथ राज्य में यह स्थिति है कि बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर बनी यह सरकार राज्य में चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध कराने के वायदे के बावजूद भी राज्य की जनता को चौबीस घंटे बिजली नहीं दे पा रही है
जिसके कारण जनता में अक्रोश है और आक्रोषित जनता द्वारा राज्य में कहीं न कहीं से यह खबर सुर्खियों में रहती है कि फलां बिजली विभाग के दफ्तर में आक्रोषित जनता ने घेराव किया और अधिकारी के साथ बदसलूकी की, इस तरह की घटनाओं का सिलसिला राज्य में आयेदिन जारी है और इसी बदसलूकी की चपेट में आकर राजधानी में एक विद्युत अधिकारी को मौत के घाट उतार दिया गया, जब राजधानी में इस तरह की घटनाएं घटित हो रही हैं तो प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों की स्थिति क्या होगी और यहां के लोग किस तरह की विद्युत अव्यवस्थाएं झेल रहे होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है,
हालांकि विद्युत विभाग की अव्यवस्था का खेल उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा खेला जाता है, जिसके चलते राज्य में एक मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारी के द्वारा विद्युत खरीदी के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने का खुलासा हुआ है, यही नहीं उक्त अधिकारी के इस कारनामे की पोल राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि न खायेंगे और ना खाने देंगे का नारा देने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर किया गया। मोदी द्वारा कराई गई इस जाँच में यह उजागर हुआ कि मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारी द्वारा करोड़ों रुपये बिजली खरीदी के नाम पर इस राज्य में घोटाला कर विदेशों में अपने रिश्तेदारों के नाम पर सम्पत्ति बनाई गई।
हालांकि इससे पहले २००८ के चुनाव के पूर्व भी करोड़ों रुपये की बिजली खरीदी घोटाले को अंजाम दिया गया था। सवाल यह उठता है कि आखिर अधिकारियों द्वारा इस तरह के घोटालों को अंजाम किसके संरक्षण पर दिया जाता है और जब वह पकड़े जाते हैं तो उन्हें क्यों छोड़ दिया जाता है, इसको लेकर जनता में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। जहाँ तक मुख्यमंत्री के संरक्षण में चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों की है तो राज्य में कुपोषण के लगे कलंक को मिटाने के नाम पर शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान २२ अरब रुपये खर्च तो किये गये लेकिन कुपोषण के नाम पर अरबों रुपये खर्च किये जाने के बाद भी आज भी राज्य में कुपोषण का कलंक लगा हुआ है और इन कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मुंह के निवाले पर डाका डालने वाले अधिकारी आज मुख्यमंत्री के चहेते बने हुए हैं,
इस तरह की घटनाओं से यह साफ जाहिर हो जाता है कि भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने वाली भाजपा शासनकाल के मुखिया किस तरह से यह बयान तो दे देते हैं कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा लेकिन जब उनके अगल-बगल रहने वाले अधिकारी ही भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं तो उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती इस बात को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं, जहां एक ओर मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द रहने वाले अधिकारी घोटालों को अंजाम दे रहे हैं तो ऐसी स्थिति में जब राज्य के गृह और परिवहन मंत्री प्रदेश में शराब माफिया और परिवहन माफिया के खिलाफ मुहिम चलाते हैं तो यह माफिया परिवहन मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी करने लगता है यह उल्लेखनीय है कि जब परिवहन मंत्री ने यह अभियान चलाया तो इस दौरान राज्य के राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की एक गाड़ी राहतगढ़ में परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकड़ाई गई।
ऐसे ही भाजपा नेताओं और मंत्रियों के साथ-साथ सत्ता से जुड़े लोगों की गाडिय़ां इस समय राज्यभर की सड़कों पर परिवहन नियमों को अनदेखा कर सड़कों पर फर्राटे लेते नजर आ रही हैं और उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता, जब परिवहन मंत्री ने जब इनके खिलाफ मुहिम चलाई तो यह माफिया उनके खिलाफ सक्रिय हो गया प्रदेश की ऐसी स्थिति में राज्य में कोई भी माफियाओं के खिलाफ मुहिम चला सकेगा, इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठते हैं और लोग यह मांग करते भी नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने जहां कुपोषण को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की बात कही है तो वहीं परिवहन विभाग को भी प्रदेश में किस रूट पर किसकी बसें चल रही हैं,
इसका भी खुलासा होना चाहिए जिससे यह उजागर हो सके कि प्रदेश में सत्ताधीशों से जुड़े नाते-रिश्तेदारों और मंत्रियों के कितने वाहन भाजपा शासनकाल के दौरान प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रहे हैं, शायद इसी तरह के अपने सगे-संबंधियों और भाजपा नेताओं की बसें दौड़ाने के लिये प्रदेश के सड़क परिवहन निगम को समाप्त करने की दिशा में इस सरकार ने जल्दबाजी की तो वहीं उससे जुड़ी परसम्पत्तियों को बिल्डरों को बेचने में इस सरकार ने जरा भी देरी नहीं की, इन स्थितियों को देखते हुए तो यही समझ में आता है कि राज्य में माफियाओं का साम्राज्य चल रहा है और इन्हीं माफियाओं के चलते राज्य में समांनांतर सरकार चलती दिखाई दे रही है।
भोपाल। भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के वायदे के साथ भाजपा की यह सरकार सत्ता में आई यदि दो-तीन वर्षों के सुश्री उमा भारती और बाबूलाल गौर का शासनकाल छोड़ दिया जाए तो १३ वर्षों की प्रदेश भाजपा सरकार की सत्ता पर शिवराज सिंह चौहान काबिज हैं लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में हर प्रकार के माफियाओं के साथ-साथ मंत्री, अधिकारियों और सत्ता के दलालों के रैकेट के चलते राज्य में इस तरह का माहौल बना कि आज जनता तो भयभीत है ही तो वहीं भाजपा शासन से जुड़े मंत्री और उसकी पार्टी के विधायक के साथ-साथ अधिकारी भी पूरी तरह से भय के वातावरण में जीवन जी रहे हैं राज्य में यदि कोई इन माफियाओं के खिलाफ किसी भी तरह की आवाज उठाता है तो उसके खिलाफ यह माफिया एकजुट हो जाते हैं ऐसा ही कुछ राज्य के गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के साथ पिछले दिनों हुआ,
जब भूपेन्द्र सिंह ने राज्य के खाली खजाने को भरने और प्रदेश में शराब और परिवहन माफियाओं के खिलाफ एसी कमरों से निकलकर सड़क पर उतरकर कार्यवाही करना शुरू की तो राज्य में सक्रिय परिवहन माफिया जिनमें अधिकांश मंत्री और भाजपा के नेता शामिल हैं जिनकी बसें परिवहन नियमों को ताक में रखकर सड़कों पर वर्षों से धड़ल्ले से फर्राटे लेकर दौड़ रही हैं उनपर जब कार्यवाही परिवहन मंत्री ने शुरू की तो यह परिवहन माफिया उनके खिलाफ सक्रिय हो गया, मजे की बात तो यह है कि मंत्री महोदय की सक्रियता के खिलाफ राज्य के परिवहन आयुक्त ने भी अपनी जुबान खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी जब उनसे उनके इंदौर प्रवास के दौरान मीडिया ने यह पूछा कि आपने कोई बसें वगैरह चैक नहीं की तो उन्होंने अपने ही विभाग के मंत्री पर व्यंग्य कसते हुए मीडिया को जवाब दिया कि मेरा नाम वर्षों से खबरों में रहा है और अब मुझे छपास का कोई रोग नहीं है,
परिवहन आयुक्त के इस तरह के बयान से यह साफ जाहिर हो जाता है कि प्रदेश में हावी नौकरशाही के खिलाफ जब कोई कुछ कदम उठाता है तो वह उसका विरोध करता है, ऐसा ही कुछ परिवहन आयुक्त के इस मीडिया को दिये गये जवाब से मिलता है। यह स्थिति तो राज्य के गृहमंत्री की है, लेकिन राज्य में गुणवत्ताविहीन सड़कों के निर्माण करने वाली इन एजेंसियों के खिलाफ जब कहीं कोई कार्यवाही की जाती है तो वह भी जनप्रतिनिधियों को निशाना बनाने में नहीं चूकती, ऐसा ही कुछ धार जिले के जनविधायक ठाकुर सिंह ठाकुर के साथ हुआ उन्होंने जब इस जिले में नागदा-गुजरी रोड का निर्माण कर रही कंपनी के ठेकेदार मालिक डीपी अग्रवाल की दादागिरी कर सड़क निर्माण के दौरान किसानों को नुकसान पहुंचाने की कारगुजारी के खिलाफ जब आवाज उठाई तो मजे की बात यह है कि सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी के विधायक के खिलाफ मोर्चाबंदी करने वाले विधायक के खिलाफ प्रशासन और ठेकेदार एक होकर उन्हें बदनाम करने के तरह-तरह के षडय़ंत्र रचने लगे तो वहीं प्रशासन और ठेकेदार की मिलीभगत से विधायक के निजी सहायक और ड्रायवर पर एफआईआर दर्ज करवाकर उन्हें प्रताडि़त किया जाने लगा तो इससे दुखी विधायक ने जब शासन से अपने स्टाफ को बेकसूर बताने के प्रयास किये तो उसे प्रशासन में बैठी नौकरशाही ने उनकी एक नहीं सुनी जिससे वह निराश होकर अब अपना गृह जिले से पलायन करने का मन बना रहे हैं।
जहाँ भाजपा शासनकाल में सक्रिय माफियाओं का वर्चस्व इतना है कि उसके अवैध कारोबार के आगे जो कोई आता है उसे बक्शने की जहमत तक नहीं उठाते फिर वह आईएस अधिकारी हो या आईपीएस हो, ऐसा ही कुछ प्रदेश के नरसिंहपुर मुख्यालय में घटना घटित हुई, यहां खनिज माफियाओं के खिलाफ सघन अभियान छेडऩे वाले खनन अधिकारी ओपी बघेल की उनके निवास पर खड़ी कार को गत रात्रि आग के हवाले कर दिया।
हालांकि इससे पूर्व खनिज माफियाओं द्वारा एक आईपीएस अधिकारी से लेकर कई पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार चुका है, लेकिन उसके बाद भी सरकार इन माफियाओं को संरक्षण देने में लगी हुई है, यही वजह है कि आज राज्य में खनिज माफिया इतने दबंग हो गए कि उनके काम में जो भी बाधा डालता है, उसे निपटाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। इस तरह की घटनाओं के साथ-साथ राज्य में यह स्थिति है कि बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे पर बनी यह सरकार राज्य में चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध कराने के वायदे के बावजूद भी राज्य की जनता को चौबीस घंटे बिजली नहीं दे पा रही है
जिसके कारण जनता में अक्रोश है और आक्रोषित जनता द्वारा राज्य में कहीं न कहीं से यह खबर सुर्खियों में रहती है कि फलां बिजली विभाग के दफ्तर में आक्रोषित जनता ने घेराव किया और अधिकारी के साथ बदसलूकी की, इस तरह की घटनाओं का सिलसिला राज्य में आयेदिन जारी है और इसी बदसलूकी की चपेट में आकर राजधानी में एक विद्युत अधिकारी को मौत के घाट उतार दिया गया, जब राजधानी में इस तरह की घटनाएं घटित हो रही हैं तो प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों की स्थिति क्या होगी और यहां के लोग किस तरह की विद्युत अव्यवस्थाएं झेल रहे होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है,
हालांकि विद्युत विभाग की अव्यवस्था का खेल उच्च स्तरीय अधिकारियों द्वारा खेला जाता है, जिसके चलते राज्य में एक मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारी के द्वारा विद्युत खरीदी के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी करने का खुलासा हुआ है, यही नहीं उक्त अधिकारी के इस कारनामे की पोल राज्य के मुख्यमंत्री नहीं बल्कि न खायेंगे और ना खाने देंगे का नारा देने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर किया गया। मोदी द्वारा कराई गई इस जाँच में यह उजागर हुआ कि मुख्यमंत्री के चहेते अधिकारी द्वारा करोड़ों रुपये बिजली खरीदी के नाम पर इस राज्य में घोटाला कर विदेशों में अपने रिश्तेदारों के नाम पर सम्पत्ति बनाई गई।
हालांकि इससे पहले २००८ के चुनाव के पूर्व भी करोड़ों रुपये की बिजली खरीदी घोटाले को अंजाम दिया गया था। सवाल यह उठता है कि आखिर अधिकारियों द्वारा इस तरह के घोटालों को अंजाम किसके संरक्षण पर दिया जाता है और जब वह पकड़े जाते हैं तो उन्हें क्यों छोड़ दिया जाता है, इसको लेकर जनता में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। जहाँ तक मुख्यमंत्री के संरक्षण में चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों की है तो राज्य में कुपोषण के लगे कलंक को मिटाने के नाम पर शिवराज सरकार के कार्यकाल के दौरान २२ अरब रुपये खर्च तो किये गये लेकिन कुपोषण के नाम पर अरबों रुपये खर्च किये जाने के बाद भी आज भी राज्य में कुपोषण का कलंक लगा हुआ है और इन कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मुंह के निवाले पर डाका डालने वाले अधिकारी आज मुख्यमंत्री के चहेते बने हुए हैं,
इस तरह की घटनाओं से यह साफ जाहिर हो जाता है कि भय, भूख और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने वाली भाजपा शासनकाल के मुखिया किस तरह से यह बयान तो दे देते हैं कि भ्रष्टाचारियों को बख्शा नहीं जाएगा लेकिन जब उनके अगल-बगल रहने वाले अधिकारी ही भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं तो उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती इस बात को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं, जहां एक ओर मुख्यमंत्री के इर्द-गिर्द रहने वाले अधिकारी घोटालों को अंजाम दे रहे हैं तो ऐसी स्थिति में जब राज्य के गृह और परिवहन मंत्री प्रदेश में शराब माफिया और परिवहन माफिया के खिलाफ मुहिम चलाते हैं तो यह माफिया परिवहन मंत्री के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी करने लगता है यह उल्लेखनीय है कि जब परिवहन मंत्री ने यह अभियान चलाया तो इस दौरान राज्य के राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता की एक गाड़ी राहतगढ़ में परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकड़ाई गई।
ऐसे ही भाजपा नेताओं और मंत्रियों के साथ-साथ सत्ता से जुड़े लोगों की गाडिय़ां इस समय राज्यभर की सड़कों पर परिवहन नियमों को अनदेखा कर सड़कों पर फर्राटे लेते नजर आ रही हैं और उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता, जब परिवहन मंत्री ने जब इनके खिलाफ मुहिम चलाई तो यह माफिया उनके खिलाफ सक्रिय हो गया प्रदेश की ऐसी स्थिति में राज्य में कोई भी माफियाओं के खिलाफ मुहिम चला सकेगा, इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठते हैं और लोग यह मांग करते भी नजर आ रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने जहां कुपोषण को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की बात कही है तो वहीं परिवहन विभाग को भी प्रदेश में किस रूट पर किसकी बसें चल रही हैं,
इसका भी खुलासा होना चाहिए जिससे यह उजागर हो सके कि प्रदेश में सत्ताधीशों से जुड़े नाते-रिश्तेदारों और मंत्रियों के कितने वाहन भाजपा शासनकाल के दौरान प्रदेश की सड़कों पर दौड़ रहे हैं, शायद इसी तरह के अपने सगे-संबंधियों और भाजपा नेताओं की बसें दौड़ाने के लिये प्रदेश के सड़क परिवहन निगम को समाप्त करने की दिशा में इस सरकार ने जल्दबाजी की तो वहीं उससे जुड़ी परसम्पत्तियों को बिल्डरों को बेचने में इस सरकार ने जरा भी देरी नहीं की, इन स्थितियों को देखते हुए तो यही समझ में आता है कि राज्य में माफियाओं का साम्राज्य चल रहा है और इन्हीं माफियाओं के चलते राज्य में समांनांतर सरकार चलती दिखाई दे रही है।
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