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01 Aug. 2017
पटनाः उच्चतम न्यायालय बिहार के मुख्यमंत्री के बारे में एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि नीतीश कुमार ने अपने खिलाफ एक विचाराधीन आपराधिक मामले को छिपाया इसलिए विधान परिषद की उनकी सदस्यता रद्द की जाये। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, अमिताभ रॉय और एम. ए. खानविल्कर की पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर विचार करेगी।
याचिका में नीतीश पर कथित तौर पर लंबित हत्या के आपराधिक मामले को छिपाने का आरोप लगाया गया है. न्यायमूर्ति दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति अमिताव रॉय और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता एमएल शर्मा के मामले की तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर कहा कि वह इसे देखेगी. पीठ ने कहा कि वह देखेगी कि मामले को सुनवाई के लिए कब सूचीबद्ध किया जा सकता है.
सोमवार को दायर की गई याचिका में आरोप लगाया है कि जदयू नेता के खिलाफ एक आपराधिक मामला है. इसमें वह वर्ष 1991 के बाढ़ लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव से पहले स्थानीय कांग्रेस नेता सीताराम सिंह की हत्या और चार अन्य लोगों को घायल करने के मामले में आरोपी हैं. याचिकाकर्ता ने न्यायालय से सीबीआई को इस मामले में कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है. उन्होंने कहा, प्रतिवादी संख्या दो (चुनाव आयोग) ने कुमार के खिलाफ आपराधिक मामले की जानकारी होने के बावजूद उनकी सदन की सदस्यता रद्द नहीं की और प्रतिवादी आज तक संवैधानिक पद पर बने हुए हैं.
अधिवक्ता ने चुनाव आयोग के वर्ष 2002 के आदेश के अनुसार कुमार की सदस्यता रद्द करने की मांग की है, जिसके अनुसार उम्मीदवारों को नामांकन पत्र के साथ हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का ब्योरा भी देना पड़ता है. उन्होंने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2012 को छोड़कर वर्ष 2004 के बाद कभी भी अपने खिलाफ लंबित मामले की जानकारी नहीं दी.
RJD ने की नीतीश के इस्तीफे की मांग
वहीं दूसरी तरफ आरजेडी ने भी नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है. नीतीश के खिलाफ चल रहे हत्या के इसी मामले को आधार बनाकर लालू प्रसाद की पार्टी ने नीतीश कुमार से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने को कहा है. आरजेडी के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव के खिलाफ सिर्फ बेनामी संपत्ति अर्जित करने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी और इसी को आधार मानकर नीतीश ने उनका इस्तीफा मांगा था. वहीं नीतीश के खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है और ऐसे मैं उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.
मामले में स्पीडी ट्रायल की मांग
जगदानंद सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि नीतीश कुमार अपराध के सबसे बड़े पोषक और संरक्षक रहे हैं. आरजेडी के तरफ से मांग थी कि 1991 में सीता राम सिंह, जिनकी हत्या हुई, उनके परिवार को आज भी न्याय की आस है. ऐसे में नीतीश कुमार के खिलाफ चल रहे केस में तेजी आनी चाहिए और स्पीडी ट्रायल भी कराया जाना चाहिए.
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