इंदौर । (राजेन्द्र के.गुप्ता - 98270-70242)
सहायक आबकारी आयुक्त कार्यालय में हुए 41 करोड़ 73 लाख 73 हजार 670 रुपए के आबकारी बैंक चालान फर्जीवाड़े में राजस्व वसूली के लिए पुलिस और मीडिया को धोखा देकर वर्तमान अफसर भी खुलेआम पूरी क़ानून व्यवस्था , पुलिस और मीडिया को धोखा देने में लगे है ।
आरोपी शराब ठेकेदारों के लाइसेंस तत्काल निरस्त करने की बजाए विधि सलाह के नाम पर चार महीने से अधिक समय दे दिया। इस कारण से विधि सलाह की आड़ में कार्यवाही पर लीपापोती के आरोप वर्तमान आबकारी अफ़सरों पर भी लगने लगे है । इस स्थिति में वर्तमान आबकारी अफसरों पर भी आरोप लग रहे है कि आरोपी शराब ठेकेदारों से मोटी सांठ - गांठ कर आरोपी शराब ठेकेदारों को नुक़सान से बचाया जा रहा है और इसलिए चालू वर्ष पूरा निकालने की साजिश रची जा रही है । जबकि एसे मामलों में तत्काल लायसेंस निरस्त करने सहित अन्य विभागीय कार्यवाही करने सम्बंधी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश है ।
कई मामलों में कुछ ही दिनो में विधि सलाह मिल जाती है पर इस मामले में आबकारी एसी द्वारा माँगी गई विधि सलाह अब तक नही मिल पाई है, ना ही एसी ने तत्काल विधि सलाह पाने की कोशिश की । मतलब साफ है आरोपी ठेकेदारों को लाभ पहुँचाने के लिए इंदौर से भोपाल तक लायसेंस निरस्ती की कार्यवाही को साल निकलने तक के लिए खिंचा जा रहा है ।
एसी स्थिति में चालू वर्ष निकालने के लिए अब भी आरोपी ठेकेदारों से मोटी सांठ - गांठ की शंकाओ को बढ़ावा मिल रहा है । लायसेंस निरस्ती की कार्यवाही नही करने से एसा लग रहा है की सरकार की बदनामी सरकार झेले ,अफसर मस्ती में है वो अपने लाभ के हिसाब से काम करते है । इस केस में सरकार की काफ़ी बदनामी हो रही है और चुनाव आने वाले है ,विधानसभा में भी प्रश्न लगे है ,जिनके जवाब अगले सत्र में सामने आएगे।फर्जीवाड़े के छींटे वर्तमान आबकारी अफसरों पर भी पड़ रहे है जाँच एजेंसी द्वारा कुछ दिनो में इस मामले में बड़ी कार्यवाही भी की जा सकती है ।
आरोपी ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में स्वयं दिए प्रमाण, एडीईओ सिन्हा पर आरोप -
आरोपी शराब ठेकेदारों ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में शपथ पत्र के साथ लायसेंसी दुकानों का संचालन अर्थात लायसेंस अनुबंध पर राजु दशवंत और अंश त्रिवेदी को देने की बात स्वीकार करते हुए अनुबंध की प्रतिया भी प्रस्तुत की है जो एसी कार्यालय में भी दर्ज है । जबकि ऐसा करना आबकारी एक्ट के अनुसार नियमों और ठेका शर्तों का गंभीर उल्लघन की श्रेणी में आता है । वही सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश है की राजस्व हानि पहुँचाने ,आपराधिक साजिश रचने जैसी स्थिति में शराब ठेकेदार के लाइसेंस तत्काल निरस्त कर दिए जाए । इस मामले में आरोपी शराब ठेकेदारों ने आबकारी एक्ट के निर्धारित नियमों - शर्तों का उल्लघन तो किया ही है सरकार के साथ बड़ी धोखाधड़ी कर राजस्व का मोटा चूना लगाया है । अब धोखाधड़ी की राशि वसूलने के लिए अलग से अफसरों को समय देना पड़ रहा है और अतिरिक्त शासकीय राशि खर्च करना पड़ रही है ।
जिसका अतिरिक्त आर्थिक भार निश्चित ही सरकार और जनता पर पड़ रहा है । इस मामले के कारण अन्य कार्यों पर विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है । पूरा विभाग बदनाम हो चुका है उसके बावजूद अब तक आरोपी शराब ठेकेदारों के लायसेंस निरस्त नही करना वर्तमान आबकारी अफसरों को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है क्योंकि विधि सलाह माँगने के बाद प्राप्त करने की रुचि दिख नही रही है । एसी आफिस में भोपाल से पदस्थ किए गए एडीईओ सिन्हा आरोपी शराब ठेकेदारों और जेल में बंद आरोपी ठेकेदारों के परिजनों से सांठ - गांठ कर जानकारी छुपा रहे है जिसकी लिखित शिकायत भी की गई है ।
वर्तमान आबकारी अफसर वाहवाही लूटने और जिम्मेदारी से बचने के लिए क़ानून की उड़ा रहे धज्जियाँ -
वर्तमान आबकारी अफसर वाहवाही लूटने और जिम्मेदारी से बचने के लिए क़ानून की धज्जियाँ उड़ा रहे है और आरोपी शराब ठेकेदारों के नुक़सान की चिंता ज़्यादा कर रहे है यह बिना मोटी सांठ - गांठ के संभव नही लगता है ,क्योंकि कोई भी अपनी नौकरी और छवि को यू ही दाँव पर नही लगता है । चालू वर्ष का राजस्व प्राप्त करने के लिए और ठेकेदारों को बचे वर्ष का लाभ कमवाने के लिए लाइसेंस शर्तों के उल्ल्घन को साफ अंदेखा किया जा रहा है । पुलिस व अन्य को भी सिन्हा जैसे भ्रष्ट अफसर स्पष्ट जानकारी और दस्तावेज़ नही दे रहे है । इससे अन्दाज़ा लगाया जा सकता है की चमड़ी कितनी मोटी हो चुकी है ।
वर्तमान आबकारी अफसर चालू वर्ष को आरोपी शराब ठेकेदारों के साथ ही निपटाने के चक्कर में आरोपी शराब ठेकेदारों को आगे कानूनी लाभ लेने का रास्ता भी बना रहे है और भविष्य में लाइसेंस शर्तों का उल्लघन करने वालों के पक्ष में बचाव का उदाहरण भी पैदा कर रहे है । आरोपी ठेकेदारों के नाम से ही चालू वर्ष के ठेके निपटा देना पुलिस जाँच ,मीडिया और जाँच एजेंसियों की आँख से काजल चुराने जैसा है । चालू वर्ष की ठेका राशि मिल जाने से वर्तमान आबकारी अफसरों को वाहवाही मिल सकती है जो स्वयं अपनी पीठ ठोकने के लिए हो सकती है वर्ना लाइसेंस निरस्ती की कार्यवाही चुनाव में उदाहरण के रूप में पेश की जा सकती है ।
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