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भोपाल। मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों की महिलाएँ अब घर में केवल चौका-चूल्हा ही नहीं संभालती। आपस में एकजुट होकर कृषि, दुग्ध उत्पादन, अगरबत्ती-मोमबत्ती-फिनाइल निर्माण, मुर्गी-पालन, किराना आदि व्यवसाय भी करती हैं।
ऐसा कर इन महिलाओं ने अपने घरों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में सहयोग करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण महिलाओं की सोच में शासन के राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, तेजस्विनी कार्यक्रम, दीनदयाल अंत्योदय योजना जैसे प्रभावी कार्यक्रमों के सहयोग से यह बदलाव आया है। अब ग्रामीण महिलाएँ घर की आर्थिक ताकत बन रही हैं।
फिनाइल का शुरू किया कारोबार
रायसेन जिले के ग्राम नयापुरा सोडरपुर की ऐसी ही कुछ महिलाओं ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से फिनाइल बनाने का काम शुरू किया। आसपास के हाट-बाजार में इनकी बनाई फिनाइल की बिक्री अब बढ़ती जा रही है। महिलाओं ने अमन आजीविका महिला ग्राम संगठन भी बनाया है। यह संगठन फिनाइल निर्माण, पैकेजिंग और मार्केटिंग का काम संयुक्त रूप से करता है।
साँची दुग्ध संघ को 500 लीटर दूध बेचता है समूह
तेजस्विनी ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम में टीकमगढ़ जिले के तीन स्थानों पर दुग्ध संकलन केन्द्र की स्थापना की गई है। इन केन्द्रों में स्व-सहायता समूहों की महिलाओं ने अच्छा मुनाफा कमाया है। महाराजपुरा, सिमरिया और नेगुवां दुग्ध केन्द्रों से सागर में साँची दुग्ध संघ को दूध भेजा जा रहा है। तेजस्विनी समूह की महिलाएँ ही सचिव और टेस्टर हैं। ये केन्द्र में आने वाले दूध का अत्याधुनिक मशीनों से परीक्षण कर फेट के आधार पर भुगतान करती हैं।
प्रारंभ में समूह के पास मात्र 30-40 लीटर दूध आता था। यह मात्रा बढ़कर अब 500 लीटर तक हो गई है। दुग्ध विक्रेता को गुणवत्ता के आधार पर 50 से 60 रुपये प्रति लीटर भाव में यह दूध मिलता है। समूह की महिलाएँ ही दुग्ध उत्पादक भी हैं। पहले बिचौलिये घर में आकर मात्र 25-30 रुपये लीटर के भाव से दूध ले जाते थे। अब दूध के अच्छे रेट मिलने से महिलाओं के गौधन में भी वृद्धि हो रही है। तेजस्विनी उन्हें दुधारु पशु खरीदने के लिये सूक्ष्म वित्त, बैंक और नाबार्ड के सहयोग से ऋण दिला रही है। हाल ही में आईसीआईसीआई बैंक इन महिलाओं को एक-एक लाख के टर्म लोन देने को तैयार हो गया है।
बैंक सखी बनी कीर्ति : गाँव वालों का काम हुआ आसान
सागर जिले के ग्राम सहजपुर की कीर्ति राजपूत लगभग 15 गाँव में बैंकिंग सेवा मुहैया करवा रही हैं। कीर्ति ने दीनदयाल अंत्योदय योजना, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और मध्यांचल ग्रामीण बैंक के सहयोग से अपनी कियोस्क स्थापित की है। लगभग 15-20 किलोमीटर के दायरे के गाँवों के लोग उनके माध्यम से बैंकिंग सेवा का लाभ उठा रहे हैं। ग्राम बरकोटी खुर्द, मनकापुर, सहजपुरी, दलपतपुर, डूगरिया, धनगुवां और नाहरमऊ गाँव के लोगों को पहले वृद्धावस्था पेंशन और बैंक के अन्य कामों के लिये गौरझामर जाना पड़ता था।
मात्र 10वीं कक्षा तक शिक्षित परित्यक्ता महिला कीर्ति खुद भी अपनी बच्ची के पालन के लिये संघर्ष कर रही थी। कीर्ति को वर्ष 2017 में मध्यांचल ग्रामीण बैंक ने बैंक सखी के रूप में कियोस्क सेंटर संचालन के लिये विधिवत प्रशिक्षण दिया और अध्ययन भ्रमण भी करवाया।
कीर्ति अब नई बैंक सखियों को भी कार्य में पारंगत बना रही हैं। इस काम से उन्हें 7 हजार रुपये तक की मासिक आमदनी हो जाती है। गाँव वाले उन्हें प्यार से बैंक वाली बहनजी कहने लगे हैं।
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