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माननीय प्रधान मंत्री जी, जैसा कि आप जानते हैं कि प्रत्येक 10 साल में सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों के वेतन-भत्तों और पेंशन को संशोधित करने से पहले वेतन आयोग द्वारा देश और विदेशों में घूम-घूम कर विदेशी सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों के वेतन-भत्तों और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं का सरकारी खर्चे पर विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
तदोपरांत वेतन आयोग वेतन, भत्ते, सुविधा और पेंशन के बारे में अपनी अनुशंसा करता है। जिसके अनुरूप सरकार वेतन-भत्तों और पेंशन को संशोधित करती हैं। इसके बाद भी अनेक सरकारी कर्मचारी-अधिकारी असंतोष व्यक्त करते हुए देखे जा सकता हैं।
माननीय प्रधान मंत्री जी, दूसरी ओर यहां पर हम सब के लिये यह महत्वपूर्ण तथ्य विचारणीय है कि सभी कर्मचारी-अधिकारी और पेंशनर, उन्हें मिलने वाले वेतन, भत्तों और पेंशन के जरिये अपने घर-परिवार और जीवन संचालित करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य वे सब के सब खाने के लिये भोजन, सब्जी, दूध, दही, छाछ, मावा आदि अनेकानेक कृषि आधारित खाद्य और पेय पदार्थ बाजार से क्रय करते हैं। जो सभी कृषकों द्वारा उत्पादित किये जाते हैं।
माननीय प्रधान मंत्री जी, यह सर्व-स्वीकार्य हकीकत है कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में शतप्रतिशत लोगों का जीवन कृषि पर आधारित है। कृषि उत्पादों के बिना लोगों का जिंदा रहना असंभव है। इसके बावजूद भी कृषकों के हालातों को सुधारने के लिये किसी भी सरकार ने ऐसी कोई परिणामदायी स्थायी व्यवस्था निर्मित नहीं की गयी है, जिसके तहत कर्मचारी-अधिकारियों के हितों की भांति भारत के कृषकों के हितों के संरक्षण हेतु विदेशों में जाकर, वहां के कृषकों का अध्ययन किया जाकर भारत में कृषि एवं यहां के कृषकों के उत्थान के लिये पुख्ता व्यवस्था की जा सके। क्या यह कृषि प्रधान भारत के कृषकों और कृषि के साथ खुला अन्याय नहीं है?
माननीय प्रधान मंत्री जी, जैसा कि आप जानते हैं कि सबको अन्न उपलब्ध करवाने वाला कृषक आत्महत्या करने को विवश है। इस गंभीर स्थिति का आपकी पार्टी के अनेक उच्च पदस्थ नेताओं के द्वारा घोर आपत्तिजनक तरीके से अपमान किया जाता रहा है। आपकी सरकार भी 4 साल का कार्यकाल पूर्ण कर चुकी है, लेकिन किसान की स्थिति यथावत है। किसान आप और आपकी सरकार से भी पूरी तरह से नाउम्मीद हो चुका है। परिणामस्वरूप किसानों की दशा बद से बादतर होती जा रही है।
अत: माननीय प्रधान मंत्री जी, किसानों सहित सभी वंचित समुदायों के हितों के संरक्षण तथा संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा हेतु देशभर में सेवारत हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन के लाखों समर्थकों एवं सदस्यों की ओर से आपको याद दिलाया जाता है कि प्रधानमंत्री के रूप में किसानों की हिफाजत करना आपका संवैधानिक दायित्व है। जिसमें आप गत 4 साल में पूरी तरह से असफल रहे हैं। कृपया आप कृषि एवं किसान के हालातों पर विचार कीजिये, अन्यथा देशभर के किसान को मजबूरन सड़क पर उतरने को विवश होना पड़ सकता है? यदि ऐसा हुआ तो सभी लोकतांत्रिक सरकारों के लिये स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल हो जायेगा।
माननीय प्रधान मंत्री जी, अंत में यह और कि 'हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!' जय भारत! जय संविधान! नर, नारी सब एक समान! जैसे आदर्श वाक्यों की भावना में विश्वास करने वाले हक रक्षक दल की ओर से इस खुले खत के माध्यम से हालातों से अवगत करवाकर आप से उम्मीद है कि आप अविलम्ब कृषि एवं किसानों के संरक्षण के बारे में न्यायसंगत निर्णय लेकर इतिहास रचने का अवसर नहीं गंवायेंगे?
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश', राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन, जयपुर, राजस्थान, 30.06.2018, 9875066111
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