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जबलपुर 25 जून 2018. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं कार्यपालक अध्यक्ष, नालसा नई दिल्ली केनिर्देशानुसार सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील न्यायालयों तक 14 जुलाई शनिवार को नेशनल लोकअदालत का आयेाजन किया जायेगा इसी क्रम में जिला एवं तहसील न्यायालय सिहोरा तथा पाटन में भीनेशनल लोक अदालत का आयेाजन किया जायेगा।
इस नेशनल लोक अदालत में सिविल, आपराधिक, चेक बाउंस, विद्युत अधिनियम, जल कर,पारिवारिक विवाद, मोटर दुर्घटना दावा, श्रम न्यायालय, भूमि अधिग्रहण, बैंक रिकवरी, राजस्व प्रकरण(न्यायालयों में लंबित) तथा राजीनामा योग्य न्यायालयों में लंबित एवं ऐसे प्रकरण जिनमें विवाद है। परंतुन्यायालय में प्रस्तुत नहीं किए गए है, उनका निराकरण आपसी सुलह एवं समझौते के आधार पर कियाजावेगा। नेशनल लोक अदालत में बैंक रिकवरी प्रकरणों, विद्युत के प्रकरणों तथा नगर निगम के जल करके प्रकरणों में समय समय पर शासन के निर्देशानुसार विशेष छूट का लाभ दिया जावेगा।
नेशनल लोक अदालत में मिलेगी विद्युत के प्रकरणों में विशेष छूट
नेशनल लोक अदालत मे विद्युत अधिनियम की धारा 135, 138 तथा 126 के मामलों मेविशेष छूट का लाभ उपभोक्ताओं को प्रदान किया जा रहा है। न्यायालयों मे लंबित प्रकरण एवंप्रीलिटिगेशन प्रकरणों मे निम्नदाब श्रेणी के समस्त घरेलू, समस्त कृषि, 05 किलो वॉट भार तक के गैरघरेलू तथा 10 अश्व शक्ति भार तक के औद्योगिक उपभोक्ताओं को छूट दिए जाने के प्रावधान हैं।
प्रीलिटिगेशन स्तर पर -
सिविल दायित्व की राशि पर 40 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान मे चूक किये जानेपर 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट दी जावेगी।
लिटिगेशन स्तर पर -
सिविल दायित्व की राशि पर 25 प्रतिशत एवं आंकलित राशि के भुगतान मे चूक किये जानेपर 16 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से लगने वाले ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट दी जावेगी।
आवेदक को छूट के उपरान्त शेष देय आंकलित सिविल दायित्व एवं ब्याज की राशि एक मुश्तभुगतान करना होगा। विद्युत उपभोक्ताओं को उपरोक्तानुसार छूट का लाभ विद्युत चोरी या अनाधिकृतउपयोग पहली बार किये जाने की स्थिति मे ही दिया जावेगा तथा पूर्व की लोक अदालत मे छूट प्राप्त किएउपभोक्ता छूट के पात्र नही होंगे एवं सामान्य विद्युत देयकों के विरूद्ध बकाया राशि पर कोई छूट नही दीजावेगी। यह छूट नेशनल लोक अदालत 14 जुलाई को समझौता करने के लिए ही लागू रहेगी।
नेशनल लोक अदालत में न्यायालयों मंे लंबित सिविल प्रकरणों में राजीनामा किए जाने परआवेदकों को संपूर्ण कोर्टफीस वापिस प्राप्त होगी। लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण सेपक्षकारों को त्वरित, शीघ्र एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है। लोक अदालत में पारित अवार्ड की अपील एवंरिवीजन भी नहीं होती है जिससे प्रकरणों के निराकरण में लगने वाले समय की बचत होती है।
पक्षकारों से आग्रह किया गया है कि नेशनल लोक अदालत मे अधिक से अधिक संख्या मेउपस्थित होकर अपने प्रकरणों का निराकरण करा कर लोक अदालत का समुचित लाभ उठावें।
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