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- बैतूल डीपीसी अशोक पराड़कर की नौकरी पर लटकी तलवार
- फर्जी बीएड की अंक सूचि एवं थर्ड डिवीजन पास अंक सूचि पर करवाया संविलियन
बैतूल, रामकिशोर पंवार : बैतूल जिला मुख्यालय में पदस्थ डीपीसी (जिला परियोजना अधिकारी जिला शिक्षा केन्द्र बैतूल) के विरूद्ध छिन्दवाड़ा जिला कलैक्टर द्वारा प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन , भोपाल को पत्र क्रमांक 4951 / शिक्षा/ अनु./2018 दिनांक 4 मई 2018 भेजी गई शिकायत जांच प्रतिवेदन रिर्पोट में अशोक पराड़कर तत्कालिन प्राचार्य अशासकीय शाला राजेन्द्र उमावि कामठीकला विकास खण्ड पाढुर्णा जिला छिन्दवाड़ा के प्राचार्य पद पर संविलियन के सबंद्ध में जो तथ्य सामने लाए है वह काफी चौकान्ने वाले है।
सूचना के अधिकार कानून के तहत एक आरटीआई एक्टीविस्ट द्वारा जिला छिन्दवाड़ा कलैक्टर की जांच प्रतिवदेन रिर्पोट की सत्याप्रित प्रति मांगी गई जिसके अनुसार शिकायतकत्र्ता अभिषेक विश्वकर्मा द्वारा अशोक पराड़कर के विरूद्ध की गई शिकायत में जांच प्रतिवेदन रिर्पोट जो शाला प्राचार्य शासकीय उमावि सॉख छिन्दवाड़ा द्वारा जो जांच रिर्पोट प्रस्तुत की गई है उसके अनुसार श्री अशोक पराड़कर शाला प्राचार्य पद पर संविलियन की पात्रता नहीं रखते है। कलैक्टर छिन्दवाड़ा के अनुसार अशोक पराड़कर अर्थ शास्त्र में तृतीय श्रेणी प्राप्त है.
जबकि शाला प्राचार्य पद पर सीधी भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम द्धितीय श्रेणी होनी चाहिए थी। इसके अलावा बीएड, हाई स्कूल कक्षाओ (9वी एवं 10वी) में पांच वर्ष का अनुभव अनिवार्य होना चाहिए। श्री अशोक पराड़कर की राजेन्द्र उमावि कामठीकला विकास खण्ड पाढुर्णा जिला छिन्दवाड़ा के प्राचार्य पद पर नियुक्ति ही गलत हुई है। कलैक्टर छिन्दवाड़ा ने अशोक पराड़कर की पूरी संविलियन कार्रवाई को ही नियम विरूद्ध बताते हुए कार्रवाई का अनुरोध किया है। इस संदर्भ में आयुक्त लोक शिक्षण, संचनालय मध्यप्रदेश भोपाल, संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल को भी सूचना पत्र देते हुए जांच प्रतिवेदन रिर्पोट के साथ अपना अभिमत भी दिया है।
आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज एवं कलैक्टर छिंदवाड़ा का पत्र
बैतूल जिले में बीते लगभग तीन वर्षो से डीपीसी के पद पर कार्यरत अशोक पराड़कर (जिला परियोजना अधिकारी जिला शिक्षा केन्द्र बैतूल) के संदर्भ में शाला प्राचार्य शासकीय उमावि सॉख छिन्दवाड़ा द्वारा लिखा गया है कि श्री अभिषेक विश्वकर्मा, दुध डेरी के पीछे खजरी रोड़ छिन्दवाड़ा द्वारा शिकायत दर्ज की गई थी कि छिन्दवाड़ा जिले में वर्ष 1999 एवं 2000 में अशासकीय शाला बोरगांव, मोरडोंगरी, जयश्री, मारूड़ एवं राजेन्द्र उमावि को शासनाधीन किया गया। जिसमें अशासकीय राजेन्द्र उमावि कामठीकला विकासखण्ड पाढुर्णा जिला छिन्दवाड़ा को शासनाधीन करने एवं तत् समय कार्यरत प्राचार्य अशोक पराड़कर द्वारा शासन सें धोखाधड़ी करके प्राचार्य पद पर अवैधानिक रूप से सम्मिलियन कराया गया। इस हेतू शिकायतकत्र्ता द्वारा श्री अशोक पराड़कर की स्नातक एवं स्नातकोत्तर की अंक सूचि एवं लोक शिक्षण संचानालय द्वारा जारी पत्र दिनांक 31/7/2015 जिसकी प्रतिलिपी जिला शिक्षा अधिकारी बैतूल को दी गई प्रस्तुत की गई।
प्रकरण के संदर्भ में अभिलेखो की जांच में पाया गया कि मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग/ मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल के पत्र क्रमांक /2444/20-5/98 दिनांक 16/10/1998 द्वारा अशासकीय राजेन्द्र उमावि कामठीकला विकासखण्ड पाढुर्णा को शासनाधीन करके का निर्णय लिया गया। तत्पश्चात मध्यप्रदेश शासन स्कूल शिक्षा विभाग , मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल के पत्रक्रमांक /1314/1186/20-5/98 दिनांक 24/6/1999 द्वारा वर्ष 1999- 2000 के बजट में उक्त शिक्षण संस्थान को शासनाधीन करने का प्रस्ताव पारीत किया गया। शासन द्वारा 1 जुलाई 2000 को से शासनाधीन लेने की सहमति दी गई। शाला प्राचार्य अशोक पराड़कर को छोड़ कर पूरे शाला राजेन्द्र उमावि कामठीकला विकास खण्ड पाढुर्णा जिला छिन्दवाड़ा के सभी कर्मचारियों का संविलियन हो गया जिसकी फाइल जिला कार्यालय में उपलब्ध है.
लेकिन अशोक पराड़कर तत्कालिन शाला प्राचार्य प्राचार्य अशासकीय शाला राजेन्द्र उमावि कामठीकला विकास खण्ड पाढुर्णा जिला छिन्दवाड़ा का संविलियन शासन स्तर पर हुआ है जिसकी फाइले जिला मुख्यालय पर मौजूद नहीं है। इस संदर्भ में एक अन्य शिकायतकत्र्ता अविनाश यादव ने भी जो दस्तावेज प्राप्त किए गए है वे भी शिकायत की पुष्टि करते है। अशोक पराड़कर द्वारा 1987 में अर्थशास्त्र से स्नाकोत्तर श्रेणी डिग्री परीक्षा तृतीय श्रेणी में पास की गई जो प्राचार्य पद पर निर्धारित अर्हाता की पूर्ति नहीं करती है।
इस संदर्भ में श्री पराड़कर को दिनांक 31/7/2015 को लोक शिक्षण संचनालय भोपाल द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करके दिनांक 11 अगस्त 2015 को उपस्थित होने का आदेश जारी किया गया था लेकिन अपने पांव के नीचे की जमीन खसक जाने की वजह से श्री पराड़कर आयुक्त लोक संचनालय के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। मजेदार बात तो यह है कि श्री अशोक पराड़कर ने अपनी बीएड की डिग्री रानी दुर्गावति विश्वविद्यालय की 1988 की प्रस्तुत की गई। इस संदर्भ में प्रमाणिक जानकारी यह है कि 1988 में पत्राचार से बीएड रानी दुर्गावति विश्व विद्यालय जबलपुर नहीं करवाता था। इस अंक सूचि पर प्राचार्य की मोहर भी नहीं लगी हुई है।
अशोक पराड़कर ने फर्जी बीएड की अंक सूचि पेश कर कूटरचित दस्तावेजो के आधार पर शाला प्राचार्य पर अपनी नियुक्ति पाई एवं संविलियन करवाया गया जो कि प्रमाणित करता है कि शासन के नियमो को नजर अंदाज कर धोखाधड़ी करके शाला प्राचार्य पद पाया है। श्री आर आर मेहता प्राचार्य शाला प्राचार्य शासकीय उमावि सॉख छिन्दवाड़ा द्वारा अपनी जो जांच प्रतिवेदन रिर्पोट पेश की गई उसे जिला शिक्षा अधिकारी जिला छिन्दवाड़ा द्वारा भी सहमति प्रदान कर दिनांक 26 /04 /2018 को जिला कलैक्टर छिन्दवाड़ा के समक्ष जांच प्रतिवेदन रिर्पोट पेश की गई। श्री मेहता का कहना था कि अशोक पराड़कर वर्तमान डीपीसी बैतूल को बार - बार उपस्थित होकर अपने कथन एवं साक्ष्य पेश करने का मौका दिया गया लेकिन वे हर बार उपस्थित नही हुए।
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