माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी |
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उत्तर प्रदेश की मेरठ जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मुन्ना बजरंगी का खौफ आम लोगों पर ही नहीं, योगी सरकार के मंत्रियों तक पर कितना हावी था, उस समय पता चला था जब योगी के मंत्री की सिट्टी-पिट्टी भी उसका नाम सुनकर गुम हो गई थी। वाकया इसी साल जनवरी का है।
न भ्रष्टाचार, न गुंडा राज...इस नारे के साथ उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने विधानसभा चुनावों का प्रचार किया था और इसी वादे को सच्चा मान उत्तर प्रदेश के वोटरों ने उसे सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाया। लेकिन राज्य में माफिया और गुंडो का राज योगी दौर में भी कायम रहा है।इसी साल जनवरी में इसकी मिसाल उस वक्त देखने को मिली थी जब सरकारी ठेका चलाने वाले एक खतरनाक डॉन का नाम सुनते ही योगी सरकार के मंत्री की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी।
हुआ कुछ यूं था कि योगी सरकार के परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह गाजीपुर के दौरे पर थे। इस दौरे में वे अचानक वहां के रोडवेज परिसर में चल रहे निर्माण का जायजा लेने पहुंच गए। निर्माण कार्य में होती देरी और अव्यवस्था से मंत्री जी भड़क गए और अफसरों और कर्मचारियों की जमकर क्लास लगाई। इसी दौरान उन्होंने वहां तैनात एक इंजीनियर से पूछा कि आखिर इतनी देरी क्यों हो रही है। इस पर इंजीनियर ने बताया कि ठेकेदार के लोगों का बहुत दबाव रहता है, इस वजह से काम नहीं हो पा रहा।
यह सुनकर मंत्री जी और भड़क गए और पूछा कि आखिर कौन है ठेकेदार, बुलाओ उसे यहां। इस पर इंजीनियर ने जवाब दिया कि ठेकेदार मुन्ना बजरंगी का आदमी है। जैसे ही इंजीनियर ने मुन्ना बजरंगी का नाम लिया, मंत्री जी की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। घबराए हुए मंत्री जी ने कहा कि शांत रहो, पब्लिक प्लेस पर ऐसे किसी का नाम नहीं लिया जाता। मंत्री जी ने कहा था कि यहां बड़े बड़े माफिया हैं। उन्होंने टालते हुए कहा था कि आप सब वही करेंगे जो जिला बीजेपी अध्यक्ष कहेंगे।
इतना कहकर मंत्री जी पीछे की तरफ घूम गए। फिर बात बदलते हुए दूसरे अफसर से बोले देखो रोडवेज की सभी बसें साफ सुथरी होनी चाहिए, एक भी गंदी बस सड़क पर न जाए। अगर गंदी बसें सड़कों पर चलेंगी, तब कोई पैसेंजर बैठेगा नहीं।
आखिर कौन है मुन्ना बजरंगी, जिसका नाम सुनते ही मंत्री जी के होश उड़ गए?
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है और अभी उसकी उम्र करीब 50 साल है। वह उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव का रहने वाला है। बचपन से ही जुर्म दुनिया में शामिल हो गया था, और जब उस पर पहला मुकदम दर्ज हुआ था, तो उस वक्त वह महज 17 साल का था। इसके बाद वह इलाके के दबंग माफिया गजराज सिंह के लिए काम करने लगा। 80 के दशक में गजराज के इशारे पर ही उसने जौनपुर के बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में सनसनी फैला दी थी।
पूर्वांचल में धाक जमाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। इसके बाद मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा। लेकिन इसी बीच तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय मुख्तार अंसारी और मुन्ना बजरंगी के लिए चुनौती बनने लगे तो मुन्ना बजरंगी ने 2005 में कृष्णानंद राय की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी।
उसने अपने गैंग के साथ लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर एके 47 बंदूक से 400 गोलियां बरसाई थी। इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड से यूपी की सियासत में भूचाल आ गया था और हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा।
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