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राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा आज दूसरी बार आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दिये जाने के बाद अब आसाराम के सामने सुप्रीम कोर्ट का ही रास्ता बचता है। मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट में दूसरी बार आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दिये जाने के बाद अब आसाराम के सामने जमानत के लिए सु्प्रीम कोर्ट में गुहार लगाने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है। हालांकि आसाराम की तरफ से अदालत पहुंचे वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने आसाराम को जमानत न मिल पाने पर निराशा व्यक्त की और कहा कि उन्होने अपना काम किया। अब अगर क्लाइंट (आसाराम) की मर्जी होगी तो सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
हालांकि इसके साथ ही राम जेठमलानी ने यह तर्क भी दिया कि वे बिना मांगे किसी को सलाह नहीं देते हैं। इसलिए अब जो तय करना है वह आसाराम से जुड़े लोगों को तय करना है कि वे सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल करेंगे या नहीं करेंगे।
मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने एक तरह से वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी की सारी दलीलों को खारिज करते हुए आसाराम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। जेठमलानी के तर्कों को जज ने ही खारिज कर दिया और उल्टे उन्हें ही कटघरे में खड़ा कर दिया। राम जेठमलानी ने तर्क दिया था कि लड़की को अय्याशी करने का शौक है इसलिए वह लड़कों के बीच रहना पसंद करती है। इसीलिए वह एक बार अपने गुरूकुल से भाग भी चुकी है। इस पर अदालत ने उलटे राम जेठमलानी को जवाब दिया कि कोई भी लड़की इन बातों के लिए अपनी इज्जत को दांव पर नहीं लगाएगी।
राम जेठमलानी की ओर से आसाराम के बचाव में जितने भी तर्क दिये गये वे सब सरकारी वकील और जज ने काट दिये। राम जेठमलानी ने लड़की के बालिग होने की बात कही जिस पर सरकारी वकील ने लड़की के नाबालिग होने के कई प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर दिये। इसके बाद राम ने आसाराम को उनकी वरिष्ठता और ख्याति के आधार पर जमानत की मांग की जिसे अदालत ने खारिज करते हुए जमानत याचिका को आज खारिज कर दिया।
बहरहाल अब हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आसाराम के सामने सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा बचता है। जोधपुर की स्थानीय अदालन ने उनकी न्यायिक हिरासत 11 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है।
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